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स्वदेशी गौ नस्ल संरक्षण-संवर्धन के लिए प्रदेश की 15 गौ-शाला और 150 गाँव का चयन


आईटीसी और बाएफ ने भोपाल में किया कार्यक्रम का शुभारंभ 

आईटीसी और बाएफ ने इंदौर, उज्जैन और सीहोर की 15 गौ-शाला और उनके आसपास के 150 गाँवों का चयन स्वदेशी गौ नस्ल संरक्षण और संवर्धन के लिए किया है। कार्यक्रम का शुभारंभ आज पशुपालन विभाग के ऑडिटोरियम में किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अनुउत्पादित गायों के संरक्षण-संवर्धन के साथ उनको उत्पादन के योग्य बनाना, स्वदेशी गौ नस्ल संरक्षण-संवर्धन के साथ गौ-शाला को जर्म प्लाज्मा एवं रिसोर्स सेन्टर की तरह विकसित कर उन्नत देशी गौ नस्लों का गौ-संवर्धन, गैर वर्णात्मक पशुओं का अच्छी स्वदेशी दुधारू-गिर, साहीवाल आदि से प्रजनन कर नस्ल सुधार और जलवायु परिवर्तन के साथ अपर्याप्त उपलब्ध संसाधनों को देखते हुए स्वदेशी दुधारू नस्ल का संरक्षण करते हुए उनकी संख्या बढ़ाना है।

नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट हरियाणा के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. डी.के. सदाना ने 10 पी मॉडल के माध्यम से, बाएफ पुणे के कार्यक्रम निदेशक डॉ. आलोक जुनेजा ने देश-विदेश में प्रचलित सफल गौ- नस्ल संरक्षण और संवर्धन तकनीक पर जानकारी दी। डॉ. जुनेजा ने बताया कि नवीन तकनीक से गाय के गर्भाधान के 18वें दिन ही गाभिन होने का पता लगाया जा सकता है। इससे उसकी अच्छी देख-भाल होने से स्वस्थ बच्चे का जन्म होगा। पशुपालन विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. महैया ने मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्वदेशी गौ-नस्ल संरक्षण एवं संवर्धन योजनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम में आईटीसी के मिशन सुनहरा कल परियोजना में बाएफ (भारतीय एग्रो फाउण्डेशन) द्वारा उत्पन्न गिर स्वदेशी गाय का पालन कर दुग्ध उत्पादकता बढ़ाने के लिये हाल ही में राज्य शासन द्वारा गोपाल पुरस्कार से पुरस्कृत किसान श्री राजाराम और श्री गजेन्द्र सिंह ने अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने जैविक खाद और गौ-मूत्र से विभिन्न प्रकार की औषधि तैयार करने की भी जानकारी दी।

कार्यक्रम में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान पंजाब के स्वामी विद्यानंद, क्षेत्रीय प्रबंधक आईटीसी श्री गिरीश मोहन, चयनित गौ-शाला प्रबंधन समिति सदस्य, बाएफ के तकनीकी पदाधिकारी, आरजीएम, एनआरएलएम और आरटीसी के विभिन्न संस्थान के अधिकारी मौजूद थे। बाएफ के मुख्य कार्यक्रम संयोजक श्री एस.के. पाण्डेय ने आभार माना।

सुनीता दुबे

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