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महिला आयोग अध्यक्ष ने एमआईटी कॉलेज में किया विचार केन्द्र का उद्घाटन



    उज्जैन । सांस्कृतिक मूल्यों के साथ विद्यार्थियों को आगे बढ़ना चाहिये। वे आधुनिक होने के साथ ही संस्कारवान भी रहें। यह बात राज्य महिला आयोग अध्यक्ष लता वानखेड़े ने उज्जैन के समीप एमआईटी कॉलेज विचार केन्द्र में विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कही। इसके पूर्व उन्होंने कॉलेज के विचार केन्द्र का फीता काटकर उद्घाटन किया। इस अवसर पर राज्य महिला आयोग की सदस्या सुश्री अंजूसिंह बघेल, नईदुनिया के ग्रुप एडिटर श्री आनन्द पाण्डेय, श्री एमपी वशिष्ठ, श्री प्रमोद दुबे तथा कॉलेज के विद्यार्थी एवं प्राध्यापकगण उपस्थित थे।

    राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने विद्यार्थियों को अपने उद्बोधन में कहा कि परिष्कृत मूल्यों के साथ विद्यार्थियों में एक आदर्श भाव हो। उन्होंने विद्यार्थियों को अपने जीवन के लिये लक्ष्य निर्धारित करने की बात करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को एक लक्ष्य अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिये निर्धारित करते हुए उसकी प्राप्ति के लिये सतत प्रयास करते रहना चाहिये। अपनी सोच विस्तृत रखें, आत्मविश्वास के साथ वे जहां चाहें पहुंच सकते हैं। उन्होंने राज्य महिला आयोग के द्वारा किये जा रहे कार्यों की भी जानकारी दी।

    आयोग की सदस्या अंजूसिंह बघेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज के प्रतिस्पर्धी युग में हम संस्कृति और नैतिकता को खो रहे हैं। आपाधापी के इस युग में बच्चों के व्यवहार में हिंसा परिलक्षित हो रही है। बच्चों के मन में नकारात्मकता क्यों आ रही है, यह विचारणीय प्रश्न है। हमें इस दिशा में चिन्तन-मनन करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें नैतिक मूल्यों के साथ अच्छी शिक्षा देने का प्रयास करना होगा। माता-पिता बच्चों को स्पर्धा में धकेलते हैं। वे अपने सपने अपने बच्चों के माध्यम से पूरा करना चाहते हैं, जो गलत हैं। हमें बच्चों की इच्छा का ध्यान रखना होगा। यह देखना होगा कि बच्चे का रूझान किस दिशा में है और उसका आईक्यू स्तर क्या है, अन्यथा बच्चे कुंठाग्रस्त होकर गलत कदम उठा लेते हैं। उन्होंने बच्चों में मानसिक शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक श्रम की आदत भी विकसित करने पर जोर दिया।

    कार्यक्रम में श्री प्रमोद दुबे ने अपने उद्बोधन में कहा कि जीवन में विकास के लिये बगैर निराश हुए सतत प्रयास किये जाना चाहिये। उन्होंने सहयोग की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सहयोग से ही व्यक्ति आगे बढ़ता है। इसके साथ ही स्व-अनुशासन होना चाहिये। सतत सीखते रहने की प्रवृत्ति हमारे मन में रहनी चाहिये। उन्होंने जिज्ञासा, चरित्र, संवाद और सम्प्रेषण की विस्तृत व्याख्या विद्यार्थियों के समक्ष करते हुए कहा कि संवाद सफलता की बड़ी कुंजी है। नईदुनिया के ग्रुप एडिटर श्री आनन्द पाण्डेय ने कहा कि व्यावसायिक जीवन में सफल होने के लिये संवाद और सम्प्रेषण बहुत जरूरी है। विद्यार्थियों को अवसाद से बचना चाहिये। परीक्षा में नम्बर कम आने की स्थिति को अपने मन-मस्तिष्क पर ओढ़ना नहीं चाहिये। जीवन में सतत प्रयास और दृढ़ संकल्प से सफलता अवश्य मिलती है। उन्होंने अपने उद्बोधन में विश्वास और संवाद पर जोर दिया। स्वागत उद्बोधन श्री प्रवीण वशिष्ठ ने दिया। राजलक्ष्मी गर्ग ने संचालन किया। डॉ.विवेक बंसोड़ ने आभार माना।

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