मध्यप्रदेश बिजली के क्षेत्र में बना सरप्लस स्टेट
उज्जैन । मध्यप्रदेश सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के फलस्वरूप अब यह राज्य अंगुलियों में गिने जाने वाले चंद उन राज्यों में शामिल हो चुका है, जहाँ सभी उपभोक्ताओं के साथ ग्रामीण क्षेत्र के घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है। साथ ही कृषि उपभोक्ताओं को 10 घंटे बिजली प्रदाय की सुदृढ़ व्यवस्था है। मध्यप्रदेश में 6 िबजली कंपनी के कुशल समन्वय एवं प्रबंधन से 10 हजार मेगावाट से अधिक बिजली की माँग की शत-प्रतिशत सप्लाई से मिसाल कायम हुई है।
प्रदेश में विगत 5 वर्ष में विद्युत आपूर्ति में लगभग 64 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। विगत वर्ष में कुल 6380 करोड़ यूनिट विद्युत की आपूर्ति की गई, जो वर्ष 2014-15 की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक रही। प्रथम बार पिछले रबी मौसम में 10 हजार मेगावॉट से अधिक विद्युत आपूर्ति की गई। राज्य में वर्तमान में विद्युत की पर्याप्त उपलब्धता है। वर्तमान में प्रदेश में 17 हजार 169 मेगावाट बिजली की उपलब्ध क्षमता है। विद्युत की यह उपलब्धता दीर्घकालीन विद्युत क्रय अनुबंधों के आधार पर सुनिश्चित की गई है। प्रदेश में मांग के अनुरूप बिजली की आपूर्ति करने के लिए वर्ष 2022 तक का रोडमेप तैयार किया गया है। इस दौरान प्रदेश की बिजली की उपलब्ध क्षमता बढ़कर 22 हजार 513 मेगावाट हो जाएगी।
वित्तीय वर्ष 2003-04 से विद्युत क्षेत्र की प्रगति
क्र. विवरण इकाई 2003-04 2015-16 मार्च तक
1. राज्य की उपलब्ध विद्युत उत्पादन क्षमता मेगावॉट 5173 16800
2. शीर्ष माँग मेगावॉट मेगावॉट 4984 10841
3. विद्युत आपूर्ति मिलियन यूनिट 28599 63875
4. पारेषण क्षमता मेगावॉट मेगावॉट 4805 14100
5. वितरण ट्रांसफार्मर लाख में 1.68 5.35
6. उपभोक्ता लाख में 64.40 122.75
प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी व्यापक कार्य किये गये हैं। विगत 3 वर्ष में इसमें लगभग 2670 मेगावॉट क्षमता वृद्धि की गई है, जिससे प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता 3107 मेगावॉट हो गई है। गत वर्ष देश में सबसे अधिक 1580 मेगावॉट नवकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित की गई, जो देश में उक्त वर्ष में स्थापित की गई क्षमता का लगभग एक चौथाई है। पवन ऊर्जा के क्षेत्र में 1226 मेगावॉट की क्षमता स्थापित की गई, जो देश में सबसे ज्यादा तथा उक्त वर्ष में स्थापित क्षमता का लगभग 40 प्रतिशत है। प्रदेश के रीवा जिले में 750 मेगावाट क्षमता का सोलर प्लांट स्थापित किये जाने की कार्यवाही प्रगति पर है। सोलर प्लांट से प्रदेश के साथ दिल्ली मेट्रो के लिए भी बिजली उपलब्ध होगी।
वर्ष 2003 में विद्युत उपलब्ध क्षमता 4673 मेगावॉट थी, जो बढ़कर वर्तमान में 17 हजार मेगावाट से अधिक हो गयी है। विद्युत कंपनी एमपी जेनको द्वारा खण्डवा जिले में श्रीसिंगाजी ताप विद्युत गृह 2X660 मेगावॉट क्षमता की सुपर क्रिटिकल तकनीक आधारित दूसरे चरण की विस्तार परियोजना का निर्माण कार्य एल एण्ड टी के माध्यम से तेजी से करवाया जा रहा है। परियोजना की प्रथम विस्तार इकाई से जुलाई 2018 में तथा द्वितीय विस्तार इकाई से नवम्बर 2018 में वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ होगा। लगभग 5 लाख अस्थायी कृषि पंप कनेक्शन को स्थायी में परिवर्तित करने की योजना भी तैयार की जा रही है।
क्रमांक 204-0861 ...... 2
विगत 10 वर्ष में बिजली के क्षेत्र में हुई प्रगति
क्र. विवरण इकाई 2005-06 2015-16 मार्च तक
1. राज्य की उपलब्ध विद्युत
उत्पादन क्षमता मेगावॉट 6310 16800
2. शीर्ष माँग मेगावॉट 5780 10841
3. विद्युत आपूर्ति मिलियन यूनिट 32186 57015
4. पारेषण क्षमता मेगावॉट 5563 14100
5. उच्च-दाब लाइन किलोमीटर 197175 381037
6. वितरण ट्रांसफार्मर नम्बर 182865 535308
7. उपभोक्ता लाख 65.5 122.75
भारत सरकार के केन्दीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा जारी नये आँकड़ों के अनुसार देश के 37 राज्य एवं यूटिलिटी में सिर्फ 6 राज्य में 10 हजार मेगावॉट से अधिक बिजली उपलब्ध है। इनमें मध्यप्रदेश भी एक है। महत्वपूर्ण बात यह है कि मध्यप्रदेश में जितनी बिजली की माँग है, उससे अधिक बिजली की उपलब्धता है। वर्ष 2015 के दौरान बिजली के मामले में कुछ नये रिकार्ड भी मध्यप्रदेश ने कायम किये हैं। गत वर्ष 25 दिसम्बर को राज्य के इतिहास मंह सर्वाधिक 10 हजार 902 मेगावाट बिजली की माँग की आपूर्ति सफलता से कर नया रिकार्ड स्थापित किया गया। इसी प्रकार 20 अक्टूबर 2015 को 22 करोड़ 48 लाख 74 हजार यूनिट बिजली सप्लाई कर एक दिन में सबसे अधिक बिजली प्रदाय करने का रिकार्ड भी बन चुका है।
विद्युत उपभोक्ता संख्या में वृद्धि (लाख में)
वर्ष घरेलू विद्युत उपभोक्ता कुल विद्युत उपभोक्ता
2003-04 46.44 64.43
2004-05 46.79 64.94
2005-06 47.39 65.54
2006-07 48.06 66.56
2007-08 54.96 73.65
2008-09 57.75 77.47
2009-10 61.59 82.18
2010-11 69.09 90.75
2011-12 73.53 96.33
2012-13 77.49 101.50
2013-14 81.60 109.50
2014-15 85.80 115.82
2015-16 89.45 122.75
एम.पी. पॉवर मैनेजमेंट कम्पनी लिमिटेड ने पिछले वर्ष प्रदेश के लिए बाहरी स्त्रोतों से बिजली सप्लाई की उपलब्धता को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया। कंपनी नई बिजली परियोजना की स्थापना के लिये निरंतर सार्थक पहल कर रही है। कंपनी के श्रीसिंगाजी ताप विद्युत परियोजना के द्वितीय चरण में 660-660 मेगावाट की दोनों इकाइयों के निर्माण में निर्धारित लक्ष्य से अधिक प्रगति की गई है। कंपनी द्वारा अपने ताप एवं जल विद्युत गृहों से अधिकतम बिजली उत्पादन के प्रयास किये जा रहे हैं। कंपनी की सभी जल विद्युत इकाइयाँ संचालन के लिए उपलब्ध हैं और जरूरत के मुताबिक इनमें बिजली उत्पादन किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश की तीन वितरण कंपनी द्वारा राजस्व वसूली में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया है। गत वर्ष 2015 में अप्रैल से दिसम्बर तक 13 हजार 358 करोड़ 93 लाख रुपये की राजस्व वसूली की गई। वर्ष 2014-15 की इसी अवधि में वसूली 28 लाख 12 हजार 305 करोड़ 28 लाख रुपये थी। इस प्रकार तीनों विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा राजस्व वसूली में लगभग 8.56 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
वर्ष 2003-04 से विद्युत प्रदाय
वर्ष 2003-04 से वर्ष 2015-16 तक राज्य में प्रदाय की गयी विद्युत की वर्षवार जानकारी निम्नानुसार है:-
क्र. वर्ष कुल उपलब्ध क्षमता (मेगावॉट में) उपलब्ध क्षमता में वृद्धि (मेगावॉट में)
1. 2003-04 28599 -
2. 2004-05 30624 2025
3. 2005-06 32186 1562
4. 2006-07 33256 1070
5. 2007-08 35828 2572
6. 2008-09 34648 1181
7. 2009-10 34839 192
8. 2010-11 38956 4117
9. 2011-12 42945 3989
10. 2012-13 47858 4913
11. 2013-14 51976 4118
12. 2014-15 57014 5038
13. 2015-16 63875 6861
तीनों विद्युत वितरण कंपनी द्वारा शहरी क्षेत्र में इंटीग्रेटेड पॉवर डेव्हलपमेंट स्कीम और ग्रामीण क्षेत्र में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के माध्यम से विद्युत भार को देखते हुए बिजली अधोसंरचना के विकास एवं प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए महत्वपूर्ण योजना तैयार की गई है। आईपीडीएस में पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के 142 नगर, मध्य क्षेत्र के 55 और पश्चिम क्षेत्र के 111 नगर में बिजली अधोसंरचना विकास के कार्य किये जायेंगें। दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना में तीन कम्पनी के गाँव एवं मजरा-टोलों में विद्युत विकास के कार्य करवाये जायेंगें। इन गाँवों में अविद्युतीकृत मजरा-टोलों एवं गाँव मेंविद्युतीकरण, नये सब-स्टेशन, 33 के. वी. लाइनों के निर्माण के साथ नये पॉवर िडस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर की स्थापना महत्वपूर्ण है। इन कार्यों के पूरा हो जाने के बाद वितरण कंपनी के एटी एण्ड सी लॉसेस कम होंगे। बिजली उपभोक्ताओं को पहले की तुलना में बेहतर विश्वसनीय एवं गुणवत्तायुक्त बिजली सप्लाई संभव हो सकेगी।
वर्ष 2003-04 से विद्युत उपलब्धता में वृद्धि
उपभोक्ताओं को विद्युत प्रदाय के लिये दीर्घकालीन विद्युत क्रय अनुबंध निष्पादित किये गये हैं। वर्ष 2003-04 से वर्ष 2015-16 तक राज्य की विद्युत की उपलब्ध क्षमता में वृद्धि की वर्षवार जानकारी निम्नानुसार है:-
क्र. वर्ष कुल उपलब्ध क्षमता
(मेगावॉट में) उपलब्ध क्षमता में वृद्धि
(मेगावॉट में)
1. 2003-04 5173 500
2. 2004-05 6027 854
3. 2005-06 6310 283
4. 2006-07 6828 518
5. 2007-08 8017 1189
6. 2008-09 8352 335
7. 2009-10 8771 419
8. 2010-11 9068 297
9. 2011-12 9483 416
10. 2012-13 10480 996
11. 2013-14 12656 2176
12. 2014-15 15190 2535
13. 2015-16 16800 1610
विशिष्ट उपलब्धियाँ
कृषि उपभोक्ताओं को प्रतिदिन 10 घंटे गुणवत्तापूर्ण बिजली प्रदाय के साथ ही वितरण ट्रांसफार्मर की संख्या में भी तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले 5 साल में 2 लाख 31 हजार नये ट्रांसफार्मर स्थापित किये गये हैं। विगत 5 वर्ष में 7 लाख 32 हजार स्थायी पम्प कनेक्शन प्रदान कर 55 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी। मध्यप्रदेश में नये अति उच्च-दाब उप-केन्द्र रिकार्ड संख्या में स्थापित हुए हैं। ट्रांसमिशन हानियों के 2.82 प्रतिशत के स्तर के साथ प्रदेश देश के न्यूनतम ट्रांसमिशन हानियों वाले राज्यों में शामिल है। विगत पाँच साल में नई 33 के.व्ही. एवं 11 के.व्ही. लाइनों के निर्माण व्यापक-स्तर पर हुए। इसके फलस्वरूप उच्च-दाब लाइनों (33 एवं 11 के.व्ही.) की लम्बाई में इस अवधि में एक लाख 36 हजार किलोमीटर की वृद्धि दर्ज हुई।
विगत पाँच वर्ष में वितरण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिये अनेक कार्य हाथ में लिये गये। इनमें 599 नये 33 के.व्ही. उप-केन्द्र की स्थापना, 8861 किलोमीटर 33 के.व्ही. एवं एक लाख 27 हजार किलोमीटर 11 के.व्ही. की नयी लाइन का निर्माण शामिल है। इसके अलावा 2 लाख 31 हजार नये वितरण ट्रांसफार्मर की स्थापना के साथ ट्रांसफार्मर बढ़कर 4 लाख 98 हजार हो गये।
वर्ष 2003-04 में ट्रांसमिशन क्षमता 4805 मेगावॉट थी, जो पिछले वर्ष बढ़कर 14 हजार 100 मेगावॉट हो गयी। वर्ष 2003-04 में वितरण ट्रांसफार्मर की संख्या एक लाख 60 हजार थी जो अब बढ़कर 4 लाख 98 हजार हो गयी है। वर्ष 2003-04 में जहाँ विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या 64 लाख 40 हजार थी, जो वर्ष 2015-16 में बढ़कर एक करोड़ 22 लाख 75 हजार से अधिक हो गयी है।