निगम के बजट में महापौर को साढ़े सात करोड़, अध्यक्ष को पांच करोड़, कांग्रेसी पार्षदों ने ली आपत्ति
उज्जैन। नगर निगम बजट में असंवैधानिक प्रस्ताव को निरस्त करने की मांग को लेकर कांग्रेस पार्षद दल सोमवार को निगम कमिश्नर से मिला। बजट में महापौर को आवंटन हेतु साढ़े करोड़ तथा निगम अध्यक्ष को अनुशंसा से निर्माण हेतु पांच करोड़ की राशि दिये जाने का प्रस्ताव है। कांग्रेस पार्षद दल ने महापौर तथा निगम अध्यक्ष को अलग से बढ़ाकर दिये हुए मद पर आपत्ति लेते हुए शहर के सभी वार्डों में उक्त राशि को समान रूप से विकास कार्य हेतु बांटने की मांग की है।
नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ के अनुसार वित्तीय वर्ष 17-18 के प्रस्तावित व्यय में अचल विकास के अंतर्गत महापौर को वार्डों के कार्य हेतु साढ़े सात करोड़ आवंटन हेतु तथा निगम अध्यक्ष को अनुशंसा से निर्माण कार्य हेतु 5 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। जबकि मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम एवं नियमों के अंतर्गत महापौर और निगम अध्यक्ष को पृथक से अनुशंसा का कोई प्रावधान नहीं है। यह राशि सभी वार्डों के विकास कार्य एवं अन्य कार्य हेतु समान रूप से प्रस्तावित की जाना चाहिये थी। निर्वाचित पार्षदों की भांति ही समान रूप से महापौर और अध्यक्ष की अनुशंसा होनी चाहिये। कांग्रेसी पार्षद दल ने निगम कमिश्नर आशीष सिंह से सवाल किया कि किन नियमों एवं विधानों के अनुरूप इस तरह के प्रस्ताव बनाए हैं। आय व्यय लेखा जोखा में प्रस्तावित यह राशि पूर्णतया अवैधानिक है तथा मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियमों के प्रावधानों का उल्लंघन है। नगर निगम सीमा क्षेत्र में स्मार्ट सिटी की योजना भी प्रस्तावित है और नगर निगम की वित्तीय स्थिति बहुत खराब है। नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ के साथ कमिश्नर से मिलने पहुंचे कांग्रेसी पार्षद माया त्रिवेदी, मीना जितेन्द्र तिलकर, ताराबाई मालवीय, रेखा गेहलोत, प्रमीला मीणा, हेमलता गब्बर कुवाल, गुलनाज खान, हिम्मतलाल देवड़ा, रहीम लाला, सपना सांखला, जफर एहमद सिद्दीकी, विजयसिंह दरबार, आत्माराम मालवीय ने मांग की कि महापौर तथा अध्यक्ष को बजट में प्रस्तावित अनुशंसा की राशि के प्रस्ताव को विलोपित करने हेतु तत्काल कार्यवाही करें तथा इस राशि को समान रूप से 54 वार्डों के विकास कार्य हेतु निर्धारित की जाए। साथ ही अनुसूचित जाति, जनजाति क्षेत्रों तथा वार्ड के अंतर्गत आने वाले गांव में जहां विकास कार्य नहीं हुए हैं वहां ज्यादा मद स्वीकृत किया जाए।
निगम कमिश्नर को चेताया क्या हम कोर्ट चले जाएं
राजेन्द्र वशिष्ठ तथा माया त्रिवेदी ने निगम कमिश्नर से कहा नगर निगम अधिनियम के अंतर्गत बोर्ड के लगभग 2 वर्ष पूर्ण होने पर भी मेयर इन काउंसिल का गठन विधि अनुसार नहीं हुआ है। समिति के सदस्यों का निर्वाचन भी नहीं हुआ। मेयर इन काउंसिल में अवैध निर्णय हो रहे हैं। आपको भी कई बार शिकायत कर चुके हैं। लेकिन मेयर इन काउंसिल का गठन नहीं हुआ, आप नहीं सुन रहे तो क्या हम कोर्ट चले जाएं। कमिश्नर से कहा झोन अध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ। शहर के गंदे नालों का पानी क्षिप्रा में मिलना जारी है। शहर में पीने के पानी की व्यवस्था जस की तस है।
निगम बोर्ड ध्वस्त, पीएचई मस्त
शहर में पानी की समस्या के बारे में बताते हुए नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ ने कहा कि पूरा निगम का बोर्ड ध्वस्त है, फिजूल खर्चियां हो रही है वहीं दूसरी ओर पीएचई मस्त है। अवैध कमाई में लगा है। मेरे ही वार्ड में 150 लोगों को कनेक्शन देने के लिए फार्म भरवाये थे, 70 लोगों की भी डायरी नहीं बनी, पीएचई कर्मचारी, अधिकारी पैसा खा रहे हैं, सस्पेंड करो ऐसे लोगों को। वहीं जफर एहमद सिद्दीकी ने कहा कि 10 सालों से मेरे क्षेत्र में पाईप लाईन फूटी पड़ी है कई बार शिकायतें की लेकिन कोई सुधार कार्य नहीं हुआ।