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महिलाएं भागीदारी न करें तो दहेज, भ्रूण हत्या संभव नहीं



गायत्री शक्ति पीठ में आयोजित महिला सम्मेलन में परिवार की मुखिया शैल दीदी के संदेश का वाचन

उज्जैन। नारी के स्नेह, ममता, के गुणों का कोई विकल्प नहीं, फिर भी दहेज और भ्रूण हत्या के कुकृत्य में जान गवानी पड़ती है। इन कृत्यों में महिलाएं भागीदारी न करें तो संभव नहीं। इस प्रकार नारी से ही आशा की जा रही है कि इन कुकृत्यों को बंद कर दिया जाए। 
गायत्री परिवार की मुखिया शैल दीदी शांतिकुज्ज हरिद्वार के उक्त संदेश का वाचन गायत्री शक्तिपीठ पर आयोजित महिला सम्मेलन में सुमित्रा कपूर दीदी ने किया। सम्मेलन में मुख्यमंत्री के नाम विधवा बहिन को पुनर्विवाह करने पर भी परिवार पेंशन मिलती रहे के अनुरोध का ज्ञापन भी पारित किया गया। अध्यक्षता करते हुए उपझोन समन्वयक महाकालेश्वर श्रीवास्तव ने कहा कि बहिनों को रचनात्मक गतिविधियों के संचालन में संसाधनों की कमी नहीं आने देंगे। उर्मिला जोशी ने मुख्य वक्ता के रूप बोलते हुए बहिनों को माताजी के महिला जागृति अभियान की जानकारी देते हुए बताया कि माताजी द्वारा 70 के दशक में महिला जागृति का जो शंखनाद किया गया था वह अब महाभियान बन गया है। संध्या पुरोहित, शांति भट्ट, डाॅ. वंदना जोशी, अनु महेश्वरी, रश्मि शर्मा, नीता टंडन ने भी सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त किए। संचालन उर्मिला तोमर ने किया एवं आभार रजनी मीणा ने माना। 

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