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समाज को वैचारिक क्रांति की आवश्यकता


 

अध्यात्म से मनुष्य की सद्शक्ति जागृत होती हैं

 

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा दिल्ली स्थित दिव्य धाम आश्रम में मासिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया| जिसमें सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य एवं शिष्याओं ने समस्त धर्म ग्रंथों के समन्वय से आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर करते हुए प्रवचनों को श्रद्धालुओं के समक्ष रखा|

साध्वी जी ने कहा कि अध्यात्म का प्रारंभ तो स्वयं की खोज से होता है| अध्यात्म सदा से ही समय की प्रथम मांग रहा है लेकिन भौतिकवाद में डूबा मानव सदा से ही संसार को जानना चाहता है| विचार करने योग्य तथ्य है कि यदि किसी को अपने घर में पड़ी वस्तुओं की जानकारी ही नहीं है, लेकिन उनके आस-पड़ोस का बहुत ज्ञान एकत्रित कर रखा हैं| एसी आस्था में कोई भी प्राणी उसी विद्धता का सम्मान नहीं करेगा| ठीक यही बात हमारे जीवन में घटित हो रही है| हम स्वयं से अनजान हैं, हम कौन हैं, कहा से आए हैं इत्यादि प्रश्नों का हल हमारे पास नहीं है| किन्तु संसार के ज्ञान से ही हम महानता के शिखर को छूना चाहते हैं| जो हमारे जीवन का एक बहुत बड़ा भ्रम है| अध्यात्म हमारे भ्रम को तोड़ता है और हमें सत्य की अनुभूति की ओर ले जाता है| यह सत्य कहीं बाहर नहीं अपितु हमारे भीतर ही है और उसका दिव्य प्रकाश भी हमारे भीतर प्रकट होता है| इस मिथ्या भरे संसार में चारों तरफ भ्रम ही भ्रम है|

गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी जी ने बताया कि अध्यात्म दिव्य चक्षु द्वारा प्रकट वह मार्ग है जिसके द्वारा मानव की सद्शक्तियाँ पुनः जाग्रति होती हैं| इसलिए अध्यात्म पथ को कई भक्तों ने दृष्टि सुधार का मार्ग भी कहा है| वास्तव में मानव स्वयं तो पवित्र है किन्तु विषयों का संग, उस पर दुष्प्रवृत्तियों की परत चदा देता है| हमारे महापुरषों का कहना है कि यदि मानव स्वयं में पवित्र न होता तो वो कभी भी अपनी खोई पवित्रता को दोबारा प्राप्त ही न कर पाता| ऐसे में कोई भी दुष्टता के पश्चात् अच्छाई की ओर कभी न झुक पाता| जिस प्रकार अन्धकार को दूर करने के लिए प्रकाश की ज़रूरत होती है उसी प्रकार समाज में फैले इस अन्धकार को दूर करने हेतु हमें स्वयं प्रकाश बनाना होगा| आज वर्तमान समाज को एसी ही वैचारिक क्रांति की ज़रूरत है| जिसका आधार मात्र ब्रह्मज्ञान है! ब्रह्मज्ञान का भाव वह ज्ञान जिसके द्वारा मानव अपने घट में ही ईश्वर के दर्शन करता है और यह ज्ञान पूर्ण गुरु की कृपा से ही मानव प्राप्त करता है|प्रवचनों तथा सुमधुर भजनों के कार्यक्रम को सुन श्रद्धालुगण भाव विभोर हो उठे! और अंत में सबने विश्व में शांति के लिए ईश्वर के चरणों में सामूहिक प्रार्थना भी अर्पित की!

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