अधिक सिजेरियन डिलीवरी करवाने वाले अस्पताल पर नजर रखे स्वास्थ्य विभाग, बालिका विद्यालयों में लगायें सी.सी.टी.वी. कैमरे
उज्जैन । श्रीमती लता वानखेड़े की अध्यक्षता में भोपाल में हुई राज्य महिला आयोग की नीतिगत बैठक में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। आयोग ने निजी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए साल भर में 50 प्रतिशत से अधिक प्रसूति आपरेशन पर होने पर सतत निगरानी रखने और जाँच कराने की अनुशंसा की है। बैठक में आयोग की सदस्य श्रीमती गंगा उईके, श्रीमती अंजू सिंह बघेल, श्रीमती प्रमिला बाजपेयी, श्रीमती संध्या राय और श्रीमती सूर्या चौहान भी मौजूद थी।
श्रीमती वानखेड़े ने कहा कि प्रदेश के सभी चिकित्सालयों के जच्चा-बच्चा वार्ड में सफाई की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करे। चिकित्सक और नर्स मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार करे।
आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग से प्रदेश के सभी बालिका विद्यालयों में सी.सी.टी.वी. कैमरा लगाने, बालिक-बालिका के लिये अलग-अलग टायलेट बनाने, प्रत्येक स्कूल में 'आंतरिक परिवार समिति' बनाने और इसकी जानकारी प्रत्येक छात्रा को देने की अनुशंसा की। श्रीमती वानखेड़े ने कहा कि समिति का गठन 3 माह में कर सूचित करें।
आयोग ने अनुसूचित जनजाति विभाग से सभी बालिका छात्रावास में एक्वागार्ड लगाने, छात्रों को दी जानेवाली कोचिंग केवल महिला अध्यापिकाओं से करवाने और बिजली एवं खान'पान की व्यवस्था बेहतर करने की अनुशंसा की।
आयोग द्वारा मध्यप्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराधों के बारे में पूछने पर गृह विभाग ने बताया कि प्रदेश में महिलाओं द्वारा की गई शिकायतें दर्ज की जाती है जैसा की कई अन्य राज्यों में नहीं होता। यहाँ जीरो टालरेंस की नीति है और शिकायत दर्ज न करने वाले पुलिस कर्मी के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में आँगनवाड़ी, आशा और ऊषा कार्यकर्ता मिलकर महिलाओं के प्रति अपराध रोकने में सहायता कर रही हैं। खासतौर से कन्या महाविद्यालय और विद्यालय के आसपास निर्भया पेट्रोलिंग जारी है। 11 बड़े शहरों में महिला थाने हैं और 50 जिलों में उन्नत महिला प्रकोष्ठ बनाये गये हैं। आयोग ने जाँच प्रकरणों में जाँच प्रतिवेदन तुरंत उपलब्ध करवाने को कहा।
प्रदेश के बड़े शहरों में काफी तादाद में खुल रहे निजी गर्ल्स हॉस्टल की जानकारी रखने, इनमें रहने वाली छात्राओं का पुलिस वेरीफिकेशन करवाने और इस बात का सतत ध्यान रखें कि इनका अवांछित कार्यों में दुरूपयोग न हो। बैठक में वाणिज्य एवं उद्योग, सामाजिक न्याय, वन, चिकित्सा शिक्षा, विधि, नगरीय प्रशासन, जेल, श्रम आदि विभागों में महिलाओं के लिये लागू योजनाओं और कार्य-स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम, आंतरिक परिवाद समिति पर चर्चा की गई।