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रासायनिक उर्वरक से कम हो रही मिट्टी की उर्वरा क्षमता



आरक्षित वर्ग की महिलाओं के लिए आयोजित शून्य प्रतिशत कृषि कार्यशाला में समझाया
उज्जैन। रासायनिक उर्वरक का उपयोग अधिक होने से मिट्टी की उर्वरा क्षमता कम हो रही है। जैविक खाद में अधिक उर्वरक होते हैं जो कम लागत से पैदावार बढ़ाने में मदद करते हैं। उर्वरा क्षमता बढ़ानी है तो जैविक उर्वरक एवं जैविक कीटनाशक का उपयोग अधिक किया जाए। वहीं गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए बारिश के पानी को रोककर नलकूप रिचार्ज तथा कुआ रिचार्ज करें।

उक्त बात आरक्षित वर्ग की महिलाओं के लिए ग्राम हरनियाखेड़ी में शून्य प्रतिशत कृषि (जैविक कृषि) पर भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ की सहकारी शिक्षा क्षेत्रीय उज्जैन एवं कृपा वेलफेयर की सक्षम परियोजना के संयुक्त प्रयास से आयोजित छह दिवसीय कार्यशाला में अतिथियों ने कही। कार्यशाला का शुभारंभ सेवा सहकारी समिति मर्यादित प्रबंधक अनवर पटेल के आतिथ्य में हुआ। अतिथि स्वागत प्रभारी परियोजना अधिकारी चंद्रशेखर बैरागी ने किया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए अनवर पटेल ने राज्य एवं केन्द्र शासन द्वारा कृषि पर कई योजनाओं के क्रियान्वयन के बारे में बताते हुए सहकारिता विभाग द्वारा जारी जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी। कार्यशाला में सेवानिवृत्त उपसंचालक बी.के. शर्मा, तेजवीरसिंह, डाॅ. एन.सी., उद्यानिकी अधीक्षक सुनील सिरसट, व्याख्याता सुधा मल, कृषि विज्ञान केन्द्र के डाॅ. एस.के. कौशिक, वैज्ञानिक ललित जैन ने जैविक कृषि के फायदे बताए। कार्यशाला समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में दूदर्शी पंचायत के सरपंच राजेश पटेल, विशिष्ट अतिथि आर.के. दुबे उपस्थित थे। अध्यक्षता मोबाईल यूनिट प्रभारी पशु चिकित्सा केन्द्र जी.जी. गोस्वामी ने की। आर.के. दुबे ने संबोधन में कहा कि हर वर्ष मिट्टी का परीक्षण करना चाहिये ताकि हमें मालूम हो कि हमारी मिट्टी में कौन सा तत्व है। संचालन प्रेमसिंह झाला ने किया एवं आभार गोपाल गुप्ता ने माना। कार्यशाला में सिस्टर तानिया एवं प्रभा चैधरी का विशेष सहयोग रहा।

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