मुनिराज धीरसागरजी महाराज को दी विनयांजलि
गृहस्थ जीवन में उज्जैन रहा कार्यक्षेत्र-इंदौर में आचार्यश्री के दर्शन कर जागा था वैराग्य
उज्जैन। आचार्यश्री विद्यासागरजी के शिष्य मुनिराज धीरसागर महाराज को शुक्रवार सुबह फ्रीगंज स्थित पंचायती दिगंबर जैन मंदिर में विनयांजलि दी गई। धीरसागरजी महाराज का उज्जैन से गहरा संबंध रहा। एम.कॉम, एमबीए, एम.ए, एलएलबी करने के उपरांत मुनिराज ने अपने गृहस्थ जीवन में उज्जैन के सोयाप्लांट में अकाउंट अधिकारी के पद पर कार्य किया। आचार्य विद्यासागरजी महाराज के इंदौर में दर्शन किये और उसी समय नौकरी छोड़कर आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लेकर आचार्यश्री के साथ चल दिये। 12 वर्ष तक आचार्यश्री के सानिध्य में मौन रहकर अपनी साधना की।
मीडिया प्रभारी सचिन कासलीवाल के अनुसार मुनिराज धीरसागरजी की समाधि गुना नगर में विगत दिवस हुई। सामाजिक संसद और पंचायती दिगंबर जैन मंदिर द्वारा शुक्रवार सुबह 9.30 बजे विनयांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें अशोक जैन चायवाला, ज्ञानचंद्र जैन, नरेन्द्र बड़जात्या, शैलेन्द्र शाह, नरेन्द्र बिलाला, नितीन डोसी, योगेन्द्र बेनाड़ा, वीजेन्द्र जैन सुपारीवाले, दीपक जैन, सुरेश अशोक अनिल कासलीवाल, रमेश जैन, महेश जैन, कमल बड़जात्या, महेन्द्र लुहाड़िया, अनिल गंगवाल, राहुल जैन, देवेन्द्र जैन आदि ने विनयांजलि प्रस्तुत की। संचालन धर्मेन्द्र सेठी ने किया। अंत में सामाजिक संसद अध्यक्ष अशोक जैन चायवाला ने प्रस्ताव रखा कि धीरसागरजी महाराज का उज्जैन से जुड़ाव रहा है इसलिए यहां पर इनके पगलिये बनाना चाहिये और साहित्य भी प्रकाशित होना चाहिये जिसे सर्वसहमति से पास किया गया। गुना में जहां धीरसागरजी का समाधि स्थल बन रहा है वहां उनकी छत्री निर्माण होना है इस हेतु भी समाजजनों ने सहयोग प्रदान किया।