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51 बच्चों की सफलता की कहानियां एक जैसी हैं, जिनके हृदय में बचपन से ही कुछ समस्याएं थीं


उज्जैन । उज्जैन जिले के 51 बच्चों की लगभग एक जैसी कहानियां थी। किसी के दिल में छेद था तो किसी के जन्म के पांच दिन बाद ही शरीर नीला पड़ने लगा था। किसी बच्चे को खेलते-खेलते अचानक थकान लगती। आम बच्चों की तरह पढ़ाई न कर पाना, बार-बार निमोनिया होना जैसी समस्याएं थी। बच्चों के मां-बाप यहां-वहां भटकते और अपनी खराब आर्थिक स्थिति के कारण बड़े चिकित्सालयों में इलाज करवाने में खुद को समर्थ नहीं पाते। मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना में इनको राह मिली और सभी बच्चों के हृदय का ऑपरेशन विभिन्न निजी चिकित्सालयों, जिनमें नारायण हृदयालय, मेदान्ता, भण्डारी हॉस्पिटल, ग्रेटर कैलाश हॉस्पिटल जैसे प्रसिद्ध चिकित्सालय शामिल हैं, में करवाया। उनके ऑपरेशन पर शासन की ओर से 68 लाख 20 हजार रूपये का खर्च किया गया।

51 बालक-बालिकाओं के पालकों ने एक स्वर में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का आभार मानते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना नहीं होती तो उनके बच्चों की जीवन रक्षा करना मुश्किल था। उज्जैन निवासी अथर्व का जन्म के पांच दिन बाद से ही शरीर नीला पड़ने लगा। चिकित्सकों ने परीक्षण में पाया कि उसके हृदय द्वारा सामान्य रूप से रक्त का संचार नहीं किया जा रहा है। ऑपरेशन कराना खर्चीला काम था। अर्चना परिसर उज्जैन में रहने वाले पिता नितीन भावसार ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत मोबाइल हेल्थ टीम से सम्पर्क किया और वरिष्ठ चिकित्सकों के परामर्श के बाद अथर्व का नारायण हृदयालय में उपचार किया गया। सफल सर्जरी के बाद अथर्व अपना प्रथम जन्म दिवस मना चुका है। इसी तरह वैभव यादव भी जन्म से दो माह तक बार-बार बीमार रहने लगा। चिकित्सकों ने परीक्षण कर बताया कि नन्हे-मुन्ने वैभव के दिल में छेद है, बिना ऑपरेशन इसको ठीक नहीं किया जा सकता था। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण पालक श्री श्याम यादव द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के समन्वयक से मिलकर सहायता की अपील की गई। इन्दौर के सीएचएल अस्पताल में जांच उपरान्त तत्काल ऑपरेशन करवाया गया। यही नहीं हृदय उपचार योजना के अन्तर्गत ऑपरेशन के तीन माह तक फालोअप जांच के लिये इन्दौर जाने की परिवहन व्यवस्था भी शासन द्वारा की गई। आज वैभव सामान्य बच्चों की तरह खेलता-दौड़ता है।

जन्म के तीन दिन बाद लगातार बीमार रहने पर नीलगंगा उज्जैन की रहने वाली स्नेहा राठौर की जांच करवाई गई। जांच में पता लगा कि स्नेहा के दिल में छेद है। उपचार कराने में असमर्थ पालक द्वारा यहां-वहां दवाई करवाने में दो वर्ष निकल गये। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम द्वारा बालिका की आंगनवाड़ी में जांच की गई तो उसे इन्दौर के निजी चिकित्सालय मेदान्ता में ऑपरेशन के लिये भेजा गया। बालिका अब स्वस्थ जीवन जी रही है। इसी तरह की कहानियां बेगमबाग की साफिया परवीन, ग्राम खामरिया खाचरौद की सरेकुंवर, जयसिंहपुरा उज्जैन के दिव्यांश माली, ग्राम निपानिया नागदा के युवराज, ग्राम जहांगीरपुर बड़नगर की आयशा मंसूरी, ग्राम किठौदा जागीर घट्टिया के विकास चौधरी और जयसिंहपुरा की माही की है। मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना से उपचार पाकर 51 बच्चे आज स्वस्थ जीवन जी रहे हैं और उनके पालक मध्य प्रदेश सरकार व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को कोटि-कोटि धन्यवाद दे रहे हैं।

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