द्वितीय विश्व युद्ध के वायु सैनिक की अंतिम शोभायात्रा में उमड़ा जनसैलाब
उज्जैन। द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की ओर से भागीदारी करने वाले वायुसेना के वारंट ऑफिसर पी. वी. देवशिखामणी ने उज्जैन में ३० दिसम्बर को अंतिम सांस ली। ४ जनवरी को उनकी भव्य शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें देश-विदेश हजारों शिक्षाविद्, सभी धर्मों के धर्माचार्य और श्रद्धालुजन शामिल हुए। 'जय मसीह के घोष के साथ निकली यात्रा में छोटे-बड़े, महिला-पुरुष, किशोर-जवान सभी ने बढ़चढ़कर भाग लिया व स्व. देवशिखामणी के अंतिम दर्शन किए। अंतिम दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि ३० दिसम्बर को ईश्वर में विलीन हुए स्व. देवशिखामणी का पार्थीव शरीर शोभायात्रा निकाले जाने के दिवस तक भी तेजस्वी बना हुआ था। इसे देखकर सभी श्रद्धालु आश्चर्यचकित थे। फ्रीगंज से सुबह ११.१५ बजे निकली शोभायात्रा प्रमुख मार्गों से होते हुए १२.१५ बजे नीलगंगा कब्रीस्तान पहुंची। जहाँ स्व. श्री देवशिखामणी की देह को मिट्टी में दफनाया गया। उल्लेखनीय है कि ऐसी शवयात्रा उज्जैन के नागरिकों को पहली बार देखने को मिली जिसमें सभी चेहरे प्रसन्नचित थे। सभी को यह दृढ़विश्वास था कि देवपुरुष स्व. देवशिखामणी जी स्वर्ग पहुँच गए हैं।
उल्लेखनीय है कि द्वितीय विश्व युद्ध में भागीदारी करने वाले वायुसेना के वारंट ऑफीसर एवं प्रभु ईशु मसीह के सेवक श्री देवशिखामणी जी ने अपने जीवन के तीन युद्ध में अदम्य साहस का परिचय दिया। जापान, बर्मा, मलेशिया युद्ध में उन्होंने वायुसेना के वारंट ऑफिसर पद पर अपनी सेवाएं दी थी। द्वितीय युद्ध में वायुसेना से भागीदारी करने वाले श्री देवशिखामणी देश में दूसरे सैनिक के बतौर जीवित थे। १९६० में वायुसेना से वे सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने तीन बार विश्व के तमाम देशों का भ्रमण किया है। वर्ष २००८ में जब वे पुत्र डॉ. मेल्कीसदेक के मिलने अमेरिका गए थे तब वहाँ भी डलास शहर में अमेरिकी सरकार की ओर से उनका अभिनंदन किया गया था। अमेरिका के ९० शहरों का भ्रमण भी उन्होंने किया था। सेवानिवृत्ति के उपरांत से ही भारत शासन उन्हें पेंशन प्रदान करता रहा। श्री देवशिखामणीजी अपने पीछे पांच पुत्र एवं दो बेटियों का भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके ज्येष्ठ पुत्र एबनेज़र अमेरिकी पुलिस से सेवानिवृत्त भारत के कोयम्बटुर में निवासरत हैं। दूसरे पुत्र जॉन कनाड़ा में बतौर सीए के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। तीसरे पुत्र डॉ. सेम्युअल भी कनाड़ा में ही सीए हैं। चौथे पुत्र डॉ. मेल्कीसदेक अमेरिका में साइंटिस्ट हैं एवं विगत ४ वर्षों से उज्जैन में रहकर पिता की सेवा में लीन थे। पाँचवे पुत्र टाइटस कुवैत में इंजीनियर के पद कार्यरत है। उनकी पुत्री मेर्सी कुवैत में नर्सिंग सुपरींटेंडेंट के रूप में कार्य करते हुए कुवैत युद्ध में उन्होंने सेवाएं दी थी। श्री देवशिखामणीजी का पार्थिव शरीर उज्जैन में बख्तावर मार्ग स्थित उनके निवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। अत्याधुनिक वातानुकूलित मोबाइल मॉर्चुरि में रखा गया है। यह जानकारी डॉ. मेल्कीसदेक देवशिखामणी ने दी।