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गुरू गोविंदसिंघ महाराज ने दिया एक संगत, एक पंगत का संदेश


उज्जैन। एक संगत, एक पंगत का संदेश देकर छोटे-बड़े का भेद मिटाने वाले गुरू गोविंदसिंघ महाराज ने विपरित परिस्थितियों में भी मनोबल बढ़ाने का काम किया। कभी विचारों को भटकने नहीं दिया और अपने धर्म में जियेंगे अपने धर्म में मरेंगे वाली प्रवृत्ति को जिंदा रखा। मुगल शासकों के बार-बार आक्रमणों के बीच उन्होंने देश की परिस्थितियों को समझते हुए मनोबल बढ़ाने का काम किया और किसी को मनोबल खोने नहीं दिया।

उक्त बात शुक्रवार रात कालिदास अकादमी स्थित पं. सूर्यनारायण व्यास संकुल हाल में मुख्य वक्ता के रूप में प्रांत प्रचारक पराग अभ्यंकर ने सिक्ख पंथ के दशमगुरू श्री गुरू गोविंद सिंघ महाराज के 350वें महाप्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम ‘अर्पण’ के अंतर्गत दशमगुरू के संदेशों की प्रासंगिकता विषय पर विशिष्ट व्याख्यान में कही। कार्यक्रम संयोजक इकबालसिंह गांधी एवं निदेशक इंद्रजीतसिंह खूनजा के अनुसार पंजाबी साहित्य अकादमी द्वारा राष्ट्रीय सिक्ख संगत के सहयोग से आयोजित व्याख्यान की अध्यक्षता राष्ट्रीय सिख संगत के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरूचरणसिंघ गिल ने की। अतिथि के रूप में राष्ट्रीय सिख संगत के राष्ट्रीय महामंत्री बिहारीलाल, राष्ट्रीय सिख संगत क्षेत्रीय अध्यक्ष अजीतसिंघ नारंग, राष्ट्रीय सिख संगत मालवा प्रांत अध्यक्ष इंदरजीतसिंघ खनूजा, राष्ट्रीय सिख संगत क्षेत्रीय महामंत्री चरणसिंह गिल, गुरूद्वारा गुरूसिंघ सभा अध्यक्ष गुरदीपसिंह जूनेजा उपस्थित थे। अतिथियों का स्वागत सिक्ख संगत अध्यक्ष इंद्रजीतसिंह मुटरेजा, हरमीतसिंघ भमरा, रवि छाबड़ा, गुरमीतसिंघ, चरणजीतसिंघ सन्नी, गोल्डी साहनी, भनू निंद्रा, सन्नी सलूजा, कमजीत सलूजा, देव सलूजा, गुरमीतसिंघ मल्होत्रा, करतारसिंघ सिध्दु, जोगेन्द्ररसिंघ विग ने किया। संचालन ऋषिराज अरोरा ने किया एवं आभार सतबीरसिंह कालरा ने माना।

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