उज्जैन में हुआ पित्त की थैली के कैंसर का सफल ऑपरेशन
अब तक एम्स, टाटा मेमोरियल व महानगरों के कारपोरेट अस्पतालों में ही होते थे
उज्जैन। एम्स, टाटा मेमोरियल व महानगरों के कारपोरेट अस्पतालों में होने
वाले गंभीर कैंसर के इलाज को डॉ. उमेश जेठवानी ने शहर में ही कर दिखाया।
35 वर्षीय तथा 45 वर्षीय दो महिलाओं को पित्त की थैली में कैंसर की गठान
थी। जिसका ऑपरेशन पित्त की थैली और लीवर को निकालने पर ही सफल हो सकता
था। डॉ. जेठवानी ने रेडिकल कोलिसिस्टेक्टोमी पध्दति से ऑपरेशन किया और अब
ये दोनों महिलाएं स्वस्थ हैं।
डॉ. जेठवानी के अनुसार पित्त की थैली व नली के कैंसर तीसरी या चौथी स्टेज
में सामने आते हैं। आम धारणा यही है कि शुरूआती स्टेज में ही कैंसर का
इलाज संभव है। कैंसर के तीसरे या अंतिम स्टेज में पहुंचने पर मरीज बच
नहीं सकता। पित्त की थैली के कैंसर में सर्जरी (रेडिकल कोलिसिस्टेक्टोमी)
ही सफल साबित होती है। अभी तक यह सर्जरी सिर्फ एम्स, टाटा मेमोरियल व
महानगरों के कारपोरेट अस्पतालों में ही हो पाती थी जिसमें दो से ढाई लाख
का खर्च आता था। डॉ. उमेश जेठवानी ने यह ऑपरेशन रेडिकल कोलियिस्टेकटोमी
पध्दति से शहर के गुरूनानक अस्पताल में कर दो मरीजों को पित्त की थैली के
कैंसर से निजात दिलाई। उज्जैन निवासी पार्वतीबाई उम्र 45 वर्ष को 6 माह
पहले पेट दर्द की शिकायत हुई थी। काफी इलाज व जांच के बाद पता चला कि उसे
पित्त की थैली में कैंसर की बीमारी है। चिकित्सकों ने उसे इंदौर के बड़े
अस्पतालों में ईलाज की सलाह दी। मरीज के परिजनों ने उसे डॉ. उमेश जेठवानी
को दिखाया। डॉ. जेठवानी ने मरीज का रेडिकल कोलिसिस्टेक्टोमी पध्दति से
उज्जैन में ही सफल ऑपरेशन किया। अब वह पूर्णतः स्वस्थ है। इसी प्रकार शहर
की ही सुनीता उम्र 35 वर्ष पित्त की थैली के कैंसर से पीड़ित थी। डॉ.
जेठवानी ने उनका भी रेडिकल कोलिसिस्टेक्टोमी पध्दति से ऑपरेशन किया और अब
वह भी स्वस्थ है।