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नेतृत्व का गुण अंदर से उत्पन्न होता है, कोई जन्म से नेतृत्वकर्ता नहीं होता



भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ द्वारा आयोजित नेतृत्व विकास कार्यशाला में बोले सांसद
उज्जैन। नेतृत्व का गुण व्यक्ति के अंदर से ही उत्पन्न होता है कोई जन्म से नेतृत्वकर्ता नहीं होता। छत्रपति शिवाजी एवं रणजीतसिंह ऐसे नेतृत्वकर्ता हुए जिनका नेतृत्व आज भी प्रासंगिक है। 
उक्त बात भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ सहकारी शिक्षा क्षेत्रीय परियोजना द्वारा आयोजित नेतृत्व विकास कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सांसद डॉ. चिंतामणि मालवीय ने कही।  अध्यक्षता अपेक्स बैंक भोपाल के संचालक राजपालसिंह सिसौदिया ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में नगर निगम उपनेता राजश्री जोशी, विशेष अतिथि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के संचालक डॉ. भगवानसिंह पंवार थे। कार्यक्रम के विशेष विशेषज्ञ सहकारी प्रबंध संस्थान भोपाल के संकाय सदस्य अमित मुद्गल थे। कार्यशाला का शुभारंभ अतिथियों द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया। स्वागत भाषण चंद्रशेखर बैरागी ने दिया। राजपालसिंह सिसौदिया ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि सनातन समय से नेतृत्व चला आ रहा है। भारत में नेतृत्व तो भारतीयों के खून में ही विद्यमान है सिर्फ पहचान नहीं है जिस प्रकार कस्तुरी मर्ग कस्तुरी को ढूंढता है। आपने सहकारिता की परिभाषा देते हुए रामसेतु का उदाहरण दिया। राजश्री जोशी ने कहा कि महिला नेतृत्व को भी उभार कर बाहर लाना आवश्यक है क्योंकि वर्तमान में महिला नेतृत्व ने भारत ही नहीं अपितु विश्व में अपना एवं देश का नाम रोशन किया है। चरित्र और नेतृत्व एक दूसरे के पूरक हैं। डॉ. भगवानसिंह पंवार ने कहा कि नेतृत्व के लिए व्यक्ति की सोच सकारात्मक होना चाहिये। अमित मुद्गल ने कहा कि सहकारिता में नेतृत्व कैसा हो, कैसे नेतृत्व हो और सहकारिता के नेतृत्व का मूल्य समझाया। कार्यशाला में कृषि सेवा सहकारी संस्थाओं के अध्यक्ष एवं संचालकों ने प्रतिभागी के रूप में भाग लिया। कार्यक्रम में प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किये गये। संचालन सहकारी शिक्षा प्रेरक प्रेमसिंह झाला ने किया एवं आभार जगदीश नारायणसिंह ने माना। 

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