भारतीय महिलाओं के लिए घर खरीदने की चुनौतियां
मिस दीपाली शिंदे - यूनिट हेड - माला (महिला लोन डिवीजन), एस्पायर होम फाइनेंस कार्पोरेशन लि.
(एएचएफसीएल) मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज लिमिटेड की एक सहायक कंपनी है जो मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड का एक हिस्सा है
हाल के वर्षां में रीयल इस्टेट में ग्राहक सेगमेंट का एक बढता हुआ वर्ग अपना घर खरीदने की इच्छुक महिलाए हैं। महिलाओं के उत्थान के लिए भारत सरकार एवं निजी क्षेत्र द्वारा शुरू की गई पहलों को देखते हुए यह वृद्धि आश्चर्यचकित नहीं करती है। यदपि अभी काफी कुछ करने की जरूरत है फिरभी समाज के दृष्टिकोण में बडें पैमाने पर बदलाव आ रहा है और धीरे-धीरे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की प्रगति का स्वागत किया गया है। आगामी दशक में भारतीय कार्यबल में क्रमिक रूप से 87 मिलियन से अधिक महिलाओं के शामिल होने के अनुमान से उद्योग को स्वयं को ग्राहक के इस नए वर्ग के लिए तैयार करना होगा। जब एक नया घर खरीदने का निर्णय लिया जाता है तब महिलाएं भी परिवार की एक मुख्य निर्णयकर्ता होती हैं।
अनेक भारतीय महिलाओं की प्राथमिकता सूची में घर की खरीददारी ने भी जगह ले ली है और यह रू झान निश्चित रूप से नहीं बदलेगा। स्वयं के स्वामित्व के घर को महिलाओं के सुरक्षा कदम के रूप में देखे जाने की शुरूआत हो रही है। इसके अतिरिक्त अनेक कामकाजी महिलाएं रीयल इस्टेट निवेश को एक ऐसे लाभप्रद संपिŸा श्रेणी के रूप में देखती हैं जो उच्च प्रतिफल प्रदान करता है।
घर खरीदने वाली अकेली या विवाहित महिलाओं की संख्या बढ रही है और अधिकांश मामलों में अनेक मुख्य निर्णयकर्ता होने से इस आशाप्रद वर्ग के लिए पद्धति भी प्रदान करनी चाहिए। यदपि बैंक लोन एवं विŸाय मदद की दृष्टि से प्रक्रिया अभी भी जटिल एवं कठिन है। लोन के लिए आवेदन करते समय सह-आवेदक या गारंटर का अभिकथन महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली सबसे बडी बाधा है। सुलभता का अभाव लोन प्रदान करने वाली स्कीमों के बीच फर्क पैदा करता है। विवाहित महिलाएं होम लोन प्राप्त करने के लिए काफी बेहतर स्थिति में होती हैं क्योंकि उनके पति सह-आवेदक के तौर पर गारण्टी प्रदान करते हैं।
महिलाओं द्वारा आय की नियमितता की गारंटी के लिए प्रमाण की जरूरत के बारे में बारंबार चिंता व्यक्त की जाती है। इसके पीछे तर्क यह है कि घर खरीदने हेतु लोन के लिए आवेदन करने वाली महिला की आय या कैरियर में पारिवारिक जीवन की मुश्किलों के कारण ब्रेक आएगा। यह ईएमआई अदा करने की उनकी क्षमता को कमजोर बना देता है। तलाकशुदा, अलग हो गयी या विधवा महिलाओं के लिए लोन के लिए आवेदन करना या घर पाना अत्यधिक चुनौतीपूर्ण है।
इसे समझने की जरूरत है कि इसी तरह की स्थिति में एक पुरूष को लोन के लिए आवेदन करते समय अधिक मुश्किलों का सामना नहीं करना होगा। विŸा क्षेत्र में मौजूदा लिंग संबंधित अत्यधिक भेदभाव में बदलाव लाने की जरूरत है। महिलाएं उनके लोन की किस्तों का भुगतान नहीं कर पाएगी, यह सोच निरर्थक है और इसे बदलने की जरूरत है। आवेदन के लिए मेरिट एक मात्र आधार होना चाहिए न कि लिंग।
प्रक्रिया को सुगम बनाने की जरूरत हैं। इस समय कामकाजी अकेली/तलाकशुदा/विधवा महिला की अपेक्षा कमाने वाली विवाहित महिला द्वारा ज्यादा लोन पाने की संभावना अधिक है। महिलाओं की घर खरीदी प्रक्रिया में उनकी मदद करने के लिए आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है। पात्र महिला आवेदकों की मदद करने से उन्हें सहजता से होम लोन मिलेगा।
कुल मिलाकर स्थिति गंभीर नहीं है। भारतीय विŸाय कंपनियां रियायती दरों पर होम लोन एवं महिलाओं के लिए विशेष लोन प्रदान कर रही हैं। हर तरह के आवेदकों को होम लोन देना महत्वपूर्ण है। फोकस उनकी सामाजिक स्थिति पर न होकर सिर्फ मेरिट पर होना चाहिए। कामकाजी महिलाओं की जरूरत पूरी करने पर आखिरकार चक्र शुरू होगा और उनके समेत विशाल ग्राहक सेगमेंट को लाने में मदद मिलेगी। आखिरकार यह मॉर्गेज बाजार के लिए एक अत्यधिक फायदेवाला कारोबार साबित हो सकता है।