देश में एक शिक्षक वाले एक लाख स्कूल, मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 17,874 स्कूल ऐसे जिसमें एक शिक्षक
संदीप कुलश्रेष्ठ । हाल ही में संसद में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट में कहा गया हैं कि देश में 105,630 सरकारी प्राइमरी और माध्यमिक स्कूल ऐसे हैं , जो सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। यह स्थिति अत्यंत ही चिंताजनक हैं। गौरतलब हैं कि देश में लगभग 13 लाख सरकारी स्कूल हैं । इसमें से 8 प्रतिशत स्कूलों में एकमात्र शिक्षक हैं। मध्यप्रदेश की स्थिति और भी खराब हैं। देश में मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य हैं, जहां एक शिक्षक वाले सबसे ज्यादा 17,874 स्कूल हैं। मध्यप्रदेश के लिए यह विशेष चिंता का विषय हैं। देश और प्रदेश की इस दयनीय स्थिति में ठोस बदलाव लाने की अत्यंत आवश्यकता हैं।
यह सबको ज्ञात हैं कि पक्की नींव पर ही अच्छा भवन खड़ा किया जा सकता हैं। यदि प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर ही इस प्रकार की दयनीय स्थिति सामने आ रही हैं तो यह अत्यंत ही चिंताजनक विषय होना चाहिए। केंद्र शासन स्तर पर और राज्य शासन स्तर पर विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है। यह एक सामान्य बात हैं कि प्राथमिक शाला में कक्षा एक से पांचवी तक की कक्षाएं लगती हैं। इसमें में एक कक्षा में औसत चार विषय के मान से कुल 20 विषय होते हैं।इसे किसी भी एक मात्र शिक्षक के द्वारा पढ़ाया जाना संभव नही हैं। देश में और प्रदेश में ऐसी बदहाल स्थिति अचानक सामने आई हो ऐसी भी बात नहीं हैं। इस पर गंभीरता से कभी सोच विचार ही नही किया गया। इसके परिणाम स्वरूप प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का स्तर अत्यंत ही कमजोर हो गया हैं। ऐसी स्थिति में सरकारी स्कूल से होनहार बच्चों के निकलने की आशा करना व्यर्थ ही हैं।
खास बात यह हैं कि आर टी ई एक्ट के अंतर्गत प्रत्येक 30 से 35 छात्रों पर एक शिक्षक का होना अनिवार्य हैं। आर टी ई अधिनियम को लागू हुए बरसों बीत गए हैं। इसके बावजूद अभी तक मूलभूत बातों पर ध्यान नही देना केन्द शासन और राज्य शासन के शिक्षाविदों के लिए गंभीर चिंतन का विषय होना चाहिए। इस पर गंभीरतापूर्वक चिंतन-मनन कर उसके सफल क्रियान्वयन की सख्त जरूरत हैं।
यह सर्व ज्ञात हैं कि गरीब के बच्चे ही सरकारी स्कूलों में पढते हैं। साधन सम्पन्न व्यक्ति अपने बच्चे को निजी स्कूलों में पढ़ा लेते हैं। इस कारण केंद्र और राज्य सरकार की यह महती जिम्मेदारी हैं कि वे प्राथमिक स्तर पर रिक्त शिक्षकों की पूर्ति कर बच्चों को प्राथमिक शिक्षा का मूलभूत अधिकार उन्हें उपलब्ध कराएँ।