देश भर में भारी वर्षा से बाढ़ : हजारों बेघरबार, अनेक मौतें बाढ़ से होने वाले नुकसानों को रोकने के लिए पहल जरूरी
डॉ. चन्दर सोनाने
हाल ही में मध्यप्रदेश और देशभर में भारी वर्षा हो रही हैं। इससे अनेक गांव बाढ़ के पानी में डूब गए हैं। कई शहरों का अन्य शहरों से संपर्क टूट गया हैं। हजारों लोग बेघरबार हो गए हैं। अनेकों की मौतें हो गई हैं। अब हर वर्ष होने वाली भारी वर्षा से नुकसान को कम से कम करने के लिए कारगार कदम उठाने की सख्त आवश्यकता हैं। हम वर्षा नहीं रोक सकते , किंतु वर्षा से होने वाले नुकसानों को तो कम से कम करने की पहल कर ही सकते हैं। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर और राज्य स्तर पर विस्तृत पड़ताल करने की आवश्यकता हैं। पड़ताल से प्राप्त जानकारी के आधार पर दीर्घकालीन योजनाएँ बनाकर कार्य करने की आवश्यकता हैं।
पूर्व में भी देश में विशेषकर सुरत, मुंबई, श्रीनगर आदि बड़े शहरों में हुई भीषण बारिश से हुए नुकसानों की सबको जानकारी हैं। हाल ही में हो रही बारिश के परिणाम भी सामने हैं। हजारों करोड़ रूपयों का प्रतिवर्ष नुकसान देश को उठाना पड़ता हैं।बेवजह और असमय अनेक जानें भी जाती हैं। हजारों आवासहीन हा जाते हैं। इन्हें संभलने में वर्षो लग जाते हैं। भारी वर्षा से होने वाले हर तरह के नुकसान से सभी भली भाँती परीचित हैं। इसके बावजूद राज्य स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर कोई दीर्घकालीन योजना नहीं बनाई जाती हैं, यह चिंता का विषय हैं।
पूर्व में देशभर में हुई भारी बारिश से होने वाले नुकसानों की प्रारंभिक पड़ताल के नतीजे भी सबके सामने हैं। गांवो विशेषकर शहरों में बेतरतीब विकास एक प्रमुख कारण हैं। हर शहर में अवैध कॉलोनियों की भीड़ बढ़ती जा रही हैं। हर जगह पर पानी के पा्रकृतिक निकास को रोककर वहां अवैध निर्माण कर दिए जाते हैं। पूर्व में बने प्राकृतिक रूप से जल का संचय करने वाले तालाब धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। हर गांव और शहरों में पुराने तालाबों में अतिक्रमण से भी हम सब वाकिफ हैं। प्राकृतिक रूप से पानी का निकास इन तालाबों में हो जाता था, जो अब रूक गया हैं। इस कारण से बारिष का पानी गांव और षहरों में घूसकर तबाही मचाता हैं।
केंद्र शासन को राज्य शासन के साथ मिलकर प्रत्येक शहर के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना बनाने की महती आवश्यकता हैं। इस कार्ययोजना में 50 वर्ष पूर्व की भौगोलिक स्थिति और वर्तमान स्थिति के आधार पर सूक्ष्म और विस्तृत सर्वे करने की जरूरत हैं। विशेषज्ञों से यह जानना जरूरी हैं कि शहरों की कॉलोनियों में और गांवों में पहले तो ऐसा पानी नहीं भरता था ? अब क्यों बह रहा हैं ? इसकी पड़ताल करने की जरूरत हैं। विदेशों में भीषण बारिश के कारण आने वाली बाढ़ से होने वाले नुकसानों और प्राकृतिक प्रकोप के कारण होने वाली हानियों की कारणों की विस्तृत पड़ताल की जाती हैं। पड़ताल के बाद विशेषज्ञों के सुझावों के आधार पर दीर्घकालीन योजनाएँ बनाई जाती हैं। इस कारण विदेशों के विकसित देशों की तुलना में हमारे देश में होने वाले नुकसान की तादाद बहुत ज्यादा होती हैं। इसलिए जरूरत इस बात की हैं कि इस विषय को संवेदनशील मुद्दा मानते हुए केंद्र और राज्य स्तर पर विस्तृत योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
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