पूरे देश में एक समान पाठ्यक्रम , केंद्र का सराहनीय प्रयास
संदीप कुलश्रेष्ठ । केंद्र शासन द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया हैं। इसके तहत पूरे देश में विज्ञान, गणित और अंग्रेजी का एक समान पाठ्यक्रम होगा। मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय द्वारा इस संबंध में एक ड्राफ्ट तैयार कर जारी कर दिया गया हैं। इसमें 16 अगस्त तक सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। केंद्र शासन का यह प्रयास अत्यंत ही सराहनीय हैं। इस संबंध में केंद्र शासन को एक समान पाठ्यक्रम के साथ साथ एक समान पाठ्यपुस्तकों की व्यवस्था भी लागू कर देना चाहिए। इससे कोई भी शिक्षण संस्थान या राज्य मनमानी और अनचाही अनुपयोगी पुस्तकें बच्चों पर लाद नहीं सकेंगे।
केंद्र शासन की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत एक और महत्वपूर्ण निर्णय भी लिया जा रहा हैं। पाठ्यक्रमों में भेदभाव बढ़ाने वाले विषय हटाए जाएंगे। इसमें जाति , धर्म , लिंग , विकलांगता आदि के आधार पर भेदभाव बढ़ाने वाले मुद्दे, घटनाएं , उदाहरण आदि को किताब में शामिल नहीं किया जाएगा। पाठ्यक्रमों में सामाजिक और सांस्कृतिक सद्भावना बढ़ाने वाले विषयों को शामिल किया जाएगा। ये निर्णय भी सराहनीय होंगे।
कक्षा छटी से परीक्षा प्रणाली फिर से शुरू होगी
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा रही हैं। इसके अंतर्गत शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्ररीक्षा प्रणाली फिर से शुरू की जा रही हैं। वर्तमान शिक्षा पद्धति से हो यह रहा हैं कि माध्यमिक शाला में आने के बावजूद बच्चों को प्राथमिक शिक्षा का भी ज्ञान नही रहता हैं। इस कारण कक्षा छटी से फिर से परीक्षा शुरू करने का निर्णय भी एक अच्छी शुरूवात मानी जानी चाहिए ।
केंद्र शासन को केवल यह ध्यान रखना हैं कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत ऐसी कोई योजना नहीं बने जिससे कि उस पर एक राजनीति दल विशेष के प्रति झुकाव प्रतीत हों। शिक्षा नीति एक अत्यंत ही संवेदनशील मामला हैं। इसको उतने ही संवेदनशीलता के साथ काम करने की महती आवश्यकता हैं।
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