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सिंहस्थ के निर्माण कार्यो में भ्रष्टाचार की शिकायतें, मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह निष्पक्ष जांच के दें आदेश


 
डाॅ. चन्दर सोनाने
             मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ के भव्य आयोजन के लिए अपना खजाना खोल दिया था। कुल 3,183 करोड़ रूपये की राशि के विभिन्न निर्माण कार्यो की स्वीकृति राज्य शासन द्वारा दी गई थी। इन निर्माण कार्यां की पहली बारिश में ही पोल खुल गई हैं। लोक निर्माण विभाग हों या नगर निगम, जल संसाधन विभाग हो या पुलिस विभाग। कोई भी विभाग अछूता नहीं हैं। आगामी विधानसभा सत्र में कांग्रेस और भाजपा दोनों के विधायकों ने सिंहस्थ के भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए मोर्चा खोल दिया हैं। भ्रष्टाचार से चिंतित  जनप्रतिनिधियों ने सिंहस्थ में हुए भ्रष्टाचार   के प्रश्न पुछना आरंभ कर दिया हैं। आइये, सिंहस्थ में हुए कुछ प्रमुख भ्रष्टाचारों की हम सिलसिलेवार पडताल करते हैं।
पहली बारिश में ही सड़कें हुईं खस्ताहाल
    लोक निर्माण विभाग ने करोंड़ों रूपयों की लागत से इनर और आउटर रिंग रोड़ बनाए थे। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में विभिन्न सड़कों का निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग द्वारा किया गया था। लोक निर्माण विभाग के सेतु निगम ने 14 नए पुल भी बनाए थेे। किंतु पहली बारिश में ही सड़कों की हालत खस्ता हो गई। विशेषकर आउटर रिंग रोड़ और इनर रिंग रोड़ तथा बड़नगर रोड़ और मुल्लापरा रोड़ की हालत ज्यादा खस्ताहाल हैं । लोक निर्माण विभाग के सेतु निगम द्वारा बनाए गए पुलों की सड़क और पहुंच मार्गों पर अभी से खड्डे पड़ गए हैं। आउटर रिंग रोड़ और इनर रिंग रोड में बनाई गई पुलियाएँ अभी से धँसने लगी हैं।  लोक निर्माण विभाग के निर्माण कार्यो की यह हालत पहली बारिश में ही ये हैं, तो आगामी समय में इन सड़को के क्या हाल होंगे ?
नगर निगम के निर्माण कार्यों की हालत खराब
      नगर निगम को सिंहस्थ निर्माण कार्यों के लिए सभी विभागों में से सबसे अधिक 417 करोड़ रूपये दिए गए थे। सबसे खराब हालत नगर निगम के निर्माण कार्यो की ही दिखाई दे रही हैं। नगर निगम ने सिहस्थ में पूरे शहरी क्षेत्र और मेला क्षेत्र में सड़क बनाई थी। पहली बारिश में ही जगह जगह खड्डे दिखाई दे रहे हैं। सडक निर्माण में पानी की निकासी का कोई इंतजाम नहीं होने के कारण उज्जैन शहर में जगह जगह सड़के नदी बन गई हैं। चामुंडा माता मंदिर चैराहा , माधवनगर रेलवे स्टेशन, पुरातत्व संग्रहालय से चारधाम मंदिर तथा विभिन्न चौराहों पर पानी की निकासी नहीं होने के कारण वहां नदी जैसे हालात बन गए हैं। नगर निगम द्वारा चैराहे के सौंदर्यीकरण में जगह जगह उद्यान बनाए गए थे। जगह जगह डिवाइडर भी बनाए गए थे। इन सभी जगहों पर मखमली घास और पौधे लगाए गए थे। इनकी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं होने के कारण यहां सब पौधांे को गाय- बकरी चर रहे हैं। चौराहों के सौंदर्यीकरण और डिवाइडर में लगाए गए लाल पत्थर अभी से उखड़ने लग गए हैं। सिंहस्थ मेला क्षेत्र और पंचकोशी यात्रा मार्ग के पड़ाव स्थलों पर  मुलभूत सुविधाओं के निर्माण की जिम्मेदारी भी नगर निगम को दी गई थी। इस कार्य में पूरी तरह से नगर निगम असफल रहां ।गुणवत्ताहीन और अधिक राशि से शौचालय निर्माण के ठेके दिए गए है। साधु संत और श्रद्धालु पूरे मेला अवधि में इससे परेशान और दुःखी रहे। समाज सेवी संगटनों ने निशुल्क प्याऊ लगाने का प्रस्ताव देने के बावजूद नगर निगम द्वारा टेंडर लगाकर प्याउ लगाई गई । पूरे मेला अवधि में इसकी चर्चा रही।
पहली बारिश में ही घाटों की कलई खुली
                 इस सिंहस्थ में साढ़े आठ किलोमीटर लंबे घाट बनाकर श्रद्धालुओं को स्नान कराने की सुविधा दी गई थी। रंगीन बने घाट पहली नजर में ही सबका मन मोह रहे थे। किंतु, पहली बारिश में ही घाटों की कलई खुल गई । गुणवत्ताहीन घाट बनाकर उन्हें रंगीन पोत दिए गए थे। बारिश में रंग धुलने से वास्तविकता सामने आ गई । अधिकतर घाट अपनी दुर्दशा पर आंसु बहा रहे है।। कई ऐसे स्थान थे जैसे दत्त अखाड़ा घाट, जहां सिंहस्थ के पूर्ण होने के बाद घाटों पर लाल पत्थर लगाए गए। इससे सिंहस्थ के कार्यो  की उपयोगिता पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया।
हर विभाग ने लगाए लाल पत्थर
             यदि सिंहस्थ के निर्माण कार्यो में एक विभाग लाल पत्थर का उपयोग करें तो समझ में आता हैं, किंतु सिंहस्थ के विभिन्न निर्माण कार्यो में अलग अलग विभागों ने अपने - अपने निर्माण कार्यो में लाल पत्थर ही लगाए। नगर निगम ने अपने प्रत्येक चौराहे के सौंदर्यीकरण एव डिवाडर में जहां हर जगह लाल पत्थर का उपयोग किया, वहीं जल संसाधन विभाग ने अपने सभी घाट भी लाल पत्थर से ही बनवाए। लोक निर्माण विभाग ने जहां भी सड़के बनाई और डिवाइडर लगाए वहां भी उसने लाल पत्थर का ही उपयोग किया। उज्जैन विकास प्राधीकारण ने विभिन्न मंदिरों के जीर्णोद्धार  और चौरासी महादेव के मंदिरों के मरम्मत और सौंदर्यीकरण कार्यों में भी लाल पत्थर का ही उपयोग किया। सिंहस्थ में चारों और लाल-लाल पत्थर ही दिखाई दिए। यह अपने आप में एक जांच का विषय हैं।
पुलिस विभाग ने अनावश्यक लगाए जिग जिग बैरिकेटिंग
              सिंहस्थ में साढ़े आठ किलोमीटर लंबे घाट श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उपलब्ध कराए गए थें, जहां पर श्रद्धालु आसानी से अपनी इच्छानुसार स्नान कर सकते थे। किंतु ,पुलिस विभाग ने हर घाट के पहुंच मार्गों पर जगह जगह जिग जिग बैरिकैटिंग लगा दिए और घाटों पर जाने के सभी सीधे रास्ते बंद कर दिए। पूरी सिंहस्थ अवधि में जिग जिग बैरिकेटिंग का कोई उपयोग नहीं किया गया। इससे श्रद्धालुओं को सुविधा की बजाय बहुत असुविधा हुई । इस पकार इसके निर्माण पर खर्च की गई सम्पूर्ण राशि व्यर्थ ही गई । जब इतने लंबे घाट बनाए थे तो पुलिस को जिग जिग बैरिकेटिंग करने की जरूरत ही नहीं  थी।
बहुत दूर बनाए गए सेटेलाइट टाउन जो अनुपयोगी रहे
               सिंहस्थ में छः सेटेलाइट टाउन बनाए गए थे जो नदी से पांच से दस किलोमीटर दूर थे। पूरी सिंहस्थ अवधि में केवल अंतिम शाही स्नान को छोड़कर इनका कोई उपयोग नहीं किया गया। इस प्रकार इस पर हुआ खर्च भी व्यर्थ गया। शुरू से ही यह महसूस किया जा रहा था कि सेटेलाइट टाउन नदी से दूर होने के कारण सिंहस्थ में अनुपयागी रहेंगे। संभागायुक्त डाॅ रवीन्द्र पस्तौर ने सिंहस्थ के करीब 3 महिने पहले ही निरीक्षण कर इसे श्रद्धालुओं की सुविधा के उपयुक्त नहीं माना था। जनप्रतिनिधि भी इसके खिलाफ थें। किंतु संभागायुक्त और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा कर पुलिस विभाग द्वारा गत सिंहस्थ की जगह पर ही सेटेलाट टाउन बनाए गए, जो अनुपयोगी सिद्ध हुए।
महाकाल मंदिर और मंगलनाथ मंदिर के दोषपूर्ण निर्माण कार्य
                महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं की दर्शन की सुविधा के लिए टनल का निर्माण किया गया था । पहली बारिश में ही यहां पर पानी भरने की आशंका के कारण तुरंत प्रवेश रोक दिया गया। महाकाल मंदिर की चांदी गेट के बाहर बनाई गई छत का एक हिस्सा गिर गया। अनेक जगह से पानी रिसने की भी शिकायतें मिली। इसी प्रकार करीब 10 करोड़ रूपये की लागत से मंगलनाथ मंदिर का भव्य जीर्णोद्धार किया गया । यहां पहली बारिश में ही चारों और से पानी रिस रहा हैं। चौरासी महादेव मंदिरों के पहुंच मार्ग और रपट निर्माण कार्य में गुणवत्ताहीन कार्य होने के कारण पहली बारिष में ही अनेक जगह के पहुंच मार्ग खराब हो गए। इस  प्रकार महाकाल मंदिर, मंगलनाथ मंदिर और अन्य मंदिरों के निर्माण कार्यो में भी भ्रष्टाचार करने से ठेके दार नहीं चूकें इसकी भी जांच की जाना आवश्यक  हैं।
              प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान सिंहस्थ के प्रति सजग और सचेत रहें। किंतु सिंहस्थ निर्माण कार्यो की पहली बारिश ने ही पोल खोलकर रख दी हैं। इसके अतिरिक्त अन्य निर्माण कार्यो में जो भ्रष्टाचार की शिकायते प्राप्त हो रही हैं। इन प्राप्त सभी शिकायतों की मुख्यमंत्री से उच्चस्तरीय जांच की जाने की अपेक्षा हैं।
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