मात्र 500 रूपये में आंगनवाडी के कुपोषित बच्चे को कुपोषण से बाहर निकालने के लिए गोद लेंवे
डाॅ. चन्दर सोनाने
प्रदेश में 5 वर्ष तक के लगभग एक लाख बच्चे हैं , जो कुपोषित हैं। अर्थात एक स्वस्थ बच्चे का उसकी उम्र के अनुसार जितना वजन होना चाहिए वह वजन नहीं होता हैं तो उसे कुपोषित बच्चा कहते हैं। प्रदेश में आंगनवाडियों में दर्ज बच्चों में से ऐसे कुपोषित बच्चों को कुपोषण से बाहर निकालने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग अतिरिक्त पोषण आहार देकर विशेष प्रयास कर रहा हैं। विभाग ने जनता को इस अभियान से जोड़ते हुए एक अभिनव योजना शुरू की है। यह योजना हैं, कुपोषित बच्चो को गोद लेने की । इस योजना में कोई भी व्यक्ति अपने गांव अथवा शहर की आंगनवाडी के एक बच्चे पर मात्र पांच सौ रूपये खर्च कर उस बच्चे को कुपोषण से बाहर निकाल सकता हैं। इस अभिनव योजना में केाई भी आगे आकर आंगनवाडी के कितने भी बालक अथवा बालिका को गोद लेकर पुण्य प्राप्त कर सकता हैं। कोई भी व्यक्ति अपने अथवा अपने बच्चों के जन्मदिन , शादी की सालगिरह, अपने माता-पिता अथवा प्रियजनों की पुण्यतिथि पर भी आंगनवाड़ी जाकर कुपोषित बच्चों को अपने सामथ्र्य के अनुसार गोद ले सकता हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग की यह अनुकरणीय योजना पूरे मध्यप्रदेश में लागू हैं। उज्जैन जिले के कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत ने भी उज्जैन की दो आंगनवाडी के दो बच्चों को गोद लिया हैं। अनेक गणमान्य नागरिकों , जनप्रतिनिधियों एवं शासकीय सेवकों ने भी आगे आकर इस योजना में अनेक कुपोषित बच्चों को गोद लिया हैं। कोई भी व्यक्ति इसमें अपनी सहभागिता कर सकता हैं। इसके लिए उसे अपनी निकट की आंगनवाडी में जाना होगा। वहाँ आंगनवाडी कार्यकर्ता से पुछकर कुपोषित बालक अथवा बालिका को गोद लेने के लिए अपना नाम लिखवाना होगा। इसके लिए उस व्यक्ति को कार्यकर्ता के बताए अनुसार वजन की कुछ सामग्री लाकर आंगनवाड़ी में देनी होगी । यह सामग्री हैं शक्कर , सिके हुए चने, मुंगफली के दाने, परमल, दूध, केला आदि । इस सामग्री को कार्यकर्ता पिसकर रख लेगी। कार्यकर्ता प्रतिदिन इस सामग्री में से एक निर्धारित मात्रा मे लेकर उसे दूध में मिलाकर आंगनवाड़ी में अपनी उपस्थिति में ही कुपोषित बच्चों को खिलाएगी। इस पोष्टिक आहार से बच्चा धीरे - धीरे कुपोषण से बाहर आकर एक स्वस्थ बच्चे के रूप में खेल कूद सकता हैं। गोद लेने वाला व्यक्ति कभी कभी आंगनवाड़ी जाकर गोद लिए गए बच्चे एवं उसके माता पिता से मिलकर उसकी स्वास्थ्य की प्रगती की जानकारी ले सकेंगे। कुपोषित बच्चा नियमित रूप से पोष्टिक आहार लेने के बाद एक माह से दो माह के बीच कुपोषण से बाहर आ सकता हैं।
आइये, इस पुनीत कार्य में हम भी सहभागी बने। और अपने क्षेत्र की आंगनवाड़ी मे जाकर अपनी शक्ति के अनुरूप एक अथवा एक से अधिक कुपोषित बच्चे को गोद लेकर उसे कुपोषण से बाहर निकालने के लिए उस बच्चे और उसके परिवार का भला कर सकते हैं।