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दुनिया में आतंकी देहशत?


अवनीश सिंह भदौरिया

पूरी दुनिया पर आतंकी साया बढ़ता जा रहा है। कोई भी आतंकी संगठन हो आज के इस दौर में अपने आतंक का नंगा नाच दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा। इस पूरी दुनिया में लागातार बढ़ते आतंकी हमलों से हर एक इंशान देहशत में जी रहा है। आतंकियों की बढ़ती तादात से दुनिया चिंता करने पर मजबूर है। वहीं, नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने हैदराबाद में छापेमारी के दौरान आतंकी संगठन आईएसआईएस के 11 संदिग्ध पकड़े गये हैं और इतना ही नहीं पकड़े गये आतंकी तबाही मचाने का पूरा ब्योरा तैयार कर रहा था लेकिन नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने उन्हें पहले ही धर लिया इसके लिए हम नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए)सराहना करते हैं। वहीं, भारत में जनवरी 2016 को जनवरी में भी एनआई ए ने देश के अलग-अलग शहरों से आईएस से जुड़े 14 लोगों को अरेस्ट किया था, जिनमें से 2 हैदराबाद के थे। वहीं, बंगलादेश के शहर ढाका में आतंकीयों ने अपना घिनौना रूप देखने को मिला है। आतंकी संगठन जाल फैला रहा ,संगठन अलग हैं और निशाने भी। लेकिन मानसिक्ता एक जैसी है। अलग-अलग देशों में कहर मचा रहे इस्लामी आतंकवादी संगठनों पर गौर करें, तो एक एैसी भयंकर तस्वीर उभर कर आती है।  तुर्की में इस्तांबुल के कमाल अतातुर्क हवाई अड्डे पर हुए आतंकी हमले में 42 लोग मरे, तकरीबन डेढ़ सौ जख्मी हुए। तुर्की सरकार ने इसके लिए इस्लामिक स्टेट (आईएस) को दोषी ठहराया। आहत दुनिया अभी इस खबर के असर से उबरी भी नहीं थी कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुए बम धमाकों ने उसे फिर हिला दिया। यहां 30 से ज्यादा जानें गईं। 50 से अधिक लोग घायल हुए। तालिबान ने हमले की जिम्मेदारी ली। जून में अफगानिस्तान में इस खूंखार संगठन का यह तीसरा बड़ा हमला है। 19 जून को काबुल में ही उसने एक बस पर आत्मघाती हमला कर 14 नेपाली सुरक्षा गार्डों को मार डाला था। पांच जून को इसी शहर में हुए बम विस्फोट में एक अफगान सांसद और तीन दूसरे लोग मारे गए। तुर्की में भी हाल में लगातार बम धमाके हुए हैं। बीते साल तुर्क सरकार और कुर्द अलगाववादियों के बीच संघर्ष-विराम खत्म हो गया। तबसे ऐसे धमाकों में इजाफा हुआ है। तुर्की नरमपंथी इस्लामी देश है। आईएस वहां कट्टरपंथी शासन लाना चाहता है। सीरिया और इराक की तरह ही आईएस ने तुर्की के मौजूदा शासकों के खिलाफ भी जंग का एलान कर रखा है। हालांकि अभी वहां सीरिया जैसी गृहयुद्ध की हालत नहीं है, किंतु वहां की सुरक्षा स्थिति को लेकर आशंकाएं लगातार गहराती गई हैं। कुछ ही दिन पहले अमेरिकी विदेश विभाग ने अपने नागरिकों को चेताया कि वे तुर्की जाएं तो वहां सावधानी बरतें।
आईएस के आतंक का साया फ्रांस से लेकर बेल्जियम तक पर पड़ चुका है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने आगाह किया है कि इस्तांबुल जैसा हमला अमेरिका में भी हो सकता है। भारत में हैदराबाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आईएस के मॉड्यूल को ध्वस्त करने का दावा किया। पांच लोग गिरफ्तार किए गए। यानी खतरा हर जगह है। आईएस और तालिबान के रोजमर्रा के खूनखराबों के बीच अलकायदा का नाम फिलहाल पृष्ठभूमि में चला गया लगता है। लेकिन यह आतंकी संगठन खत्म हो गया है, यह मानने का कोई आधार नहीं है। ऐसे तमाम संगठनों का घोषित उद्देश्य पूरी दुनिया में ‘इस्लामी राज’ कायम करना है। ‘इस्लामी राज’ की समझ पर उनमें मतभेद हैं। खुद को ज्यादा ‘इस्लामी’ बताने की होड़ भी उनके बीच है। मगर अपनी धर्मांधता और उन्माद से उन्होंने पूरी दुनिया में भय का माहौल बना रखा है। अफसोसनाक है कि उन्हें परास्त करने के लिए जैसी एकजुटता चाहिए, वह दिखाने में दुनिया अब तक नाकाम रही है। जबकि भारत ने विश्व मंचों पर इसकी लगातार वकालत की है। अब जबकि पानी सिर के ऊपर से गुजर रहा है, क्या विश्व समुदाय भारत की बातों पर ध्यान देगा, ध्यान देगा नहीं देना चाहिए अगर दुनिया ने भारत की बातों वर ध्यान नहीं दिया तो आगे आने वाले समय में बहुत कुछ भुगतना पड़ सकता है?
     

 

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