प्रतिपक्ष में रहते हमेशा एफडीआई का विरोध करने वाली भाजपा बन गई सबसे बड़ी पैरोकार, भाजपा की कथनी और करनी में अंतर
डाॅ. चन्दर सोनाने
केंद्र में बैठी भाजपा सरकार और उसके मुखिया प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में रक्षा और सिविल एविएशन के साथ ही आठ बड़े और महत्वपूर्ण क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 100 प्रतिशत तक कर दी हैं। पहली बार पूर्ण बहुमत में आई भाजपा अब एफडीआई की सबसे बडी पैरोकार बन गई हैं। आश्चर्य की बात यह हैं कि प्रतिपक्ष में रहते हुए अनेक दशकों तक भाजपा एफडीआई का घोर विरोध करती आई हैं। इससे यह स्पष्ट होता हैं कि सत्ता में आते ही भाजपा अपनी मूल रीति और नीति को भूल गई हैं।
भाजपा में ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है। खाद्य प्रसंस्करण और ऐसे ही अन्य विषयों में भी एफडीआई की तरफदारी करने वाली भाजपा सरकार लगता नहीं है कि अब इसमें कुछ बदलाव करेगी। भाजपा सरकार के इस निर्णय से देश एक नई आर्थिक गुलामी की ओर निश्चित रूप से बढ़ेगा। यह सबको ज्ञात हैं कि भारत में प्रचुर मात्रा में हर क्षेत्र का कच्चा माल उपलब्ध हैं और सस्ती मजदूरी भी हमारे देश में उपलब्ध हैं। विदेशी पूंजीपति अब भारत के छोटे और मध्यम उद्योगों को पनपने नही देंगे और उन्हें अपना उद्योग बंद करने के लिए मजबूर कर देंगे। विदेशी पूंजीपति सारा मुनाफा अपने देश ले जाएंगे और धीरे धीरे देश आर्थिक गुलामी की ओर अग्रसर हो जाएगा।
श्री अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार देश के प्रधानमंत्री बनें । किंतु हर बार वे अन्य दलों के सहारे होने के कारण तथा अपनी नीति और रीति पर दृढ़ विश्वास होने पर उन्होंने कभी अपने सिद्धांतों के साथ कोई समझौता नहीं किया था। अल्प मत में होने के बावजूद श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश हित सर्वोपरि रखा। आश्चर्य एवं दुखद यह हैं कि पूर्ण बहुमत पा लेने के बाद भी भाजपा के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने न जाने क्यों सिद्धांतों की तिलांजलि देते हुए संवेदनशील क्षेत्रों में भी एफडीआई की सीमा शत प्रतिशत करते जा रहे हैं। आर एस एस के संवेदनशील विद्वानों को चाहिए कि वह केंद्र सरकार की इस घोषणा पर शीघ्र अंकुश लगाए अन्यथा भाजपा और कांग्रेस में कोई अंतर नहीं रह पाएगा।