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प्रदेष में 40 % महिलाएँं अभी भी निरक्षर, 35 % ग्रामीण जनता अभी भी साक्षर नहीं, स्थिति में बदलाव की सख्त जरूरत



 
डाॅ. चन्दर सोनाने
             मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस वर्ष भी स्कूल चले अभियान जोर शोर से शुरू किया हैं। मध्यप्रदेश में अभी  भी साक्षरता की स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती हैं। सन् 2011 की जनगणना के आंकडों के अनुसार मध्यप्रदेश के 51 जिलों में कुल साक्षरता की दर 70.6 % हैं। अर्थात अभी भी 29.4 %  जनता निरक्षर हैं। शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र की स्थिति और भी बदतर हैं। नगरीय क्षेत्र में 84.% और ग्रामीण क्षेत्र में 65.3% जनता ही साक्षर हैं। इस प्रकार अभी भी शहरी क्षेत्र के 15.9 %  नागरिक और ग्रामीण क्षेत्र के 34.7 % जनता निरक्षर हैं। पुरूषों की साक्षरता की दर देखें तो अभी 80.5 % और महिलाओं की 60.0%  ही साक्षरता हैं। अर्थात अभी भी प्रदेश में 40% महलाएं निरक्षर हैं। यह अत्यधिक चिंता का विषय हैं। इस स्थिति में शीघ्र बदलाव की आवश्यकता हैं। क्योंकि साक्षरता का क्या महत्व हैं। यह आज किसी को बताने की आवश्यकता नहीं हैं।
              मध्यप्रदेश में साक्षरता के दृष्टिकोण से सबसे खराब हालत मध्यप्रदेश के दो आदिवासी जिलों में हैं। अलिराजपुर जिले में मात्र 37.2 % ही साक्षरता हैं। उसी प्रकार झाबुआ जिले में 44.5 % ही साक्षरता हैं। इन दोनों जिलों की साक्षरता की स्थिति के ओर विस्तार में जाए तो पता चलता हैं कि अलिराजपुर में जहां पुरूष 43.6 % साक्षर हैं, वही महिलाएं मात्र 31 % ही साक्षर हैं। नगरीय क्षेत्र की स्थिति जिले में जरूर थोड़ी अच्छी कही जा सकती हैं। इस जिले के नगरीय क्षेत्र में 81 % साक्षरता हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में स्थिति बहुत बदतर हैं। ग्रामीण क्षेत्र में 33.2 % जनता ही साक्षर हैं। इसी प्रकार झाबुआ जिले में पुरूष 54.7 % साक्षर हैं। वहीं महिलाए मात्र 34.3: % ही साक्षर हैं। झाबुआ जिले के नगरीय क्षेत्र में स्थिति थोडी ठीक हैें। इस जिले में नगरीय क्षेत्र में 84.7%    साक्षरता है। किंतु ग्रामीण क्षेत्र की स्थिति चिंताजनक हैं। इस जिले की ग्रामीण क्षेत्र की 40.1% जनता ही साक्षर हैं।   
                 प्रदेश के 51 जिलों में से सबसे अच्छा साक्षरता का प्रतिशत जबलपुर जिले का हैं। इस जिले में 82.5 प्रतिशत साक्षरता हैं। भोपाल जिले और इंदौर  जिले में समान रूप से 82.3 प्रतिशत साक्षरता हैं। प्रदेश के सभी जिलों की साक्षरता के दृष्टिकोण से आंकलन करें तो पाया जाता हैं कि आदिवासी और पिछडे जिले साक्षरता में अत्यधिक पिछड रहें हैं । यहां काम करने की ज्यादा जरूरत हैं।
                प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने शाला जाने योग्य सभी बच्चों को शाला में प्रवेश देने के लिए एक मुहिम शुरू की हैं। किंतु यहां जरूरत इस बात की हैं प्रदेश के आदिवासी , दलित एवं पिछडे जिले जहां साक्षरता का प्रतिशत अत्यधिक कम हैं, उन जिलों में विशेष अभियान चलाने की जरूरत हैं। इसी प्रकार जिन जिलों के ग्रामीण क्षेत्र में साक्षरता का प्रतिशत अत्यधिक कम हैं, उन जिलोें में ग्रामीण क्षेत्र में विशेष पहल करने की आवश्यकता हैं। योजनाबद्ध तरीके से अभियान चलाया जाएगा तो निश्चित रूप से प्रदेश में साक्षरता की स्थिति में सुधार संभव हो सकेगा। इसके लिए कम साक्षरता वाले जिलों को चिन्हित कर वहां विशेष अभियान चलाने की अत्यंत आवश्यकता हैं। प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री श्री पारस जैन से भी अपेक्षा हैं कि वें कम साक्षरता वाले जिलों पर विशेष ध्यान देकर वहां विशेष पहल आरंभ करें तो निष्चित रूप से सफलता मिल सकेगी।

 

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