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पिंगलेश्वर में चल रहे तीन दिवसीय सत्संग समारोह का आज समापन


उज्जैन के नजदीक पिंगलेश्वर में सिंहस्थ के समापन के बाद एक लघु सिंहस्थ का नजारा दिखाई दे रहा है। जहां तक नजर जाती है गुलाबी स्वयंसेवकों का फौज नजर आती है।  जयगुरुदेव के 50 हजार से अधिक अनुयायियों में सत्संग-प्रवचन और भंडारे में प्रसाद लेने का ऐसा जुनून कि उज्जैन के पास पिंगलेश्वर के 2 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में एक पूरा गांव ही बसाकर रहने लगे। गुरु के प्रति ऐसी आस्था और कहीं देखने को नहीं मिलेगी, जहां प्राइवेट नौकरी करने वाले छोटे कर्मचारी से लेकर एक से बढ़कर एक उद्योगपति करोड़ों रुपए का कारोबार छोड़ देश के कोने-कोने से आकर यहां जुटे हो।

                                                यह नजारा है मथुरा के ब्रह्मलीन बाबा जयगुरुदेव की चौथी पुण्य तिथि समारोह पर उज्जैन आश्रम में आयोजित सत्संग एवं नामदान कार्यक्रम का। बाबा के उत्तराधिकारी पं. उमाकांत तिवारी ने गुरुवार सुबह 5 बजे प्रार्थना, 8 बजे माला जाप, ध्यान व भजन कराए। 2000 से ज्यादा लोगों ने नामदान दीक्षा ली। शाम 6 बजे प्रवचन में पंडित जी ने शाकाहार रहने का संकल्प कराया। कई युवाओं की शादियां भी कराई गई। दोपहर में मप्र, छत्तसीगढ़ सहित कई प्रांतों के पदाधिकारियों ने बैठक कर देश में अगले माह से गोरक्षा अभियान चलाने का निर्णय लिया। गांव में रहने, खाने-पीने और रोजमर्रा की जरूरत का सामान से लेकर इलाज की सुविधा सबकुछ मौजूद है। सत्संग के दौरान भास्कर को अंबिकापुर छत्तीसगढ़ से आए तेल मिल के मालिक अरविंद अग्रवाल, उत्तर प्रदेश आगरा के फर्नीचर फैक्टरी मालिक देवेंद्रसिंह सहित ऐसे सैकड़ों भक्त मिले, जिनका कहना था गुरु के लिए वे अपना घर-कारोबार सबकुछ छोड़ यहां चले आए और सेवा कर धन्य हो गए। जयगुरुदेव आश्रम के मुख्य मीडिया प्रमुख सुनील कौशिक ने कहा शुक्रवार को पुण्य समारोह में गुरु स्मरण, पूजन और विशेष प्रसादी वितरण के साथ सत्संग का समापन होगा। गुरुदेव अगले सत्संग-भंडारे की घोषणा करेंगे और अनुयायी अपने घर लौटना शुरू होंगे।

                                                         बाबा जयगुरु देव के सत्संग में दिल्ली, पंजाब, कश्मीर, राजस्थान, कर्नाटक सहित देश के कई राज्यों से आए अनुयायियों के राज्यवार अपने-अपने कैंप-तंबू में 10 घंटे भंडारे चल रहे हैं। खास बात यह है कि यहां बनने वाला भोजन भी अनुयायी स्वयं बना रहे हैं। सत्संग के बाद जयगुरुदेव के प्रसाद के रूप में भंडारे में प्रसादी का विशेष महत्व है। खाने के साथ 10 लाख लीटर पानी की पूर्ति के लिए कैंपों के आसपास छोटे-बड़े कई कुएं बनाए हैं, वहीं 50 से अधिक टैंकरों से पानी सप्लाई किया जा रहा है।

                                                        जय गुरुदेव सत्संग की खास बात यह है कि अस्थाई रूप से बसाए इस गांव में सुरक्षा के भी पूरे बंदोबस्त है और वह भी खुद के। यहां कोई निजी सुरक्षा एजेंसी नहीं है और न पुलिस की तैनाती। स्वयं अनुयायियों ने इसकी कमान संभाल रखी है। मुख्य प्रवेश द्वार से लेकर अंदर तक महिलाएं हाथों में लाठियां लिए तैनात हैं। हजारों लोगों की भीड़ में अब तक एक रुपए का सामान चोरी नहीं गया। युवा एवं महिलाएं इसे बाबा का आशीर्वाद बताती हैं। पढ़े-लिखे युवा पंडाल, कैंप, भंडारों सहित हर जगह नजर रखकर वॉकी-टॉकी से आपस में बात कर व्यवस्था संभाले हुए हैं।

 

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