सिंहस्थ क्षेत्र के किसान हैरान और परेशान, जमीन जैसी ली थी वैसी करके नहीं दे रहा हैं प्रशासन
डॉ. चन्दर सोनाने
राज्य सरकार ने सिंहस्थ में अब तक के सबसे बड़े क्षेत्र का मेला क्षेत्र होने का दावा किया था। इसके लिए मेला प्रशासन ने 3061 हेक्टेयर जमीन पड़ाव क्षेत्र के लिए और 352 हेक्टेयर भूमि सेटेलाइट टाउन के लिए किसानों से अधिगृहित की गई थी। इस प्रकार कुल 3413 हेक्टेयर भूमि किसानों से सिंहस्थ मेला क्षेत्र के लिए जिला प्रशासन द्वारा ली गई थी। अब मेला समाप्त हो गया हैं। लगभग सभी साधु संत मेला क्षेत्र से चले गए हैं। जिला प्रशासन के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती हैं मेले के लिए किसानों से ली गई 3413 हेक्टेयर भूमि वापस कृषि योग्य बनाकर उन्हें लौटाने की। यह जिला प्रशासन और राज्य सरकार का कर्तव्य भी हैं ।
किंतु, वर्तमान में हाल यह हैं कि किसानों को कोई यह बताने के लिए तैयार नहीं हैं कि उनसे कृषि भूमि लेकर बुलडोजर चलाकर कृषि भूमि को मेले के लिए समतल कर दिया गया था तो अब वापस कृषि भूमि के रूप में उसकी जमीन उसे कब मिलेगी। जिला प्रशासन द्वारा उक्त जमीन अधिकृत कर मेले में पड़ाव क्षेत्र के रूप में विभिन्न साधु-संतां को आबंटित कर दी गई थी। अब जिला प्रशासन का यह कर्तव्य है कि किसानों को वह वैसी ही जमीन वापस करके देंवे जैसी उससे ली गई थी। किंतु यह हो नहीं रहा हैं। राजस्व विभाग ने यह काम करने के लिए हाथ खड़े कर दिए हैं । जिले की उज्जैन और घटिया तहसील की उक्त भूमि मेला क्षेत्र के लिए ली गई थी, किंतु राजस्व विभाग का अब यह कहना हैं कि किसान की जमीन का सींमांकन कर उन्हें जमीन वापस कर दी जाएगी। किंतु खेत को बुलडोजर से समतल कर देने के बाद, उस भूमि पर सिहस्थ के लिए पक्के निर्माण करने, शैचालय, मूत्रालय, पेयजल और स्नानागार बनाने के लिए जो पक्के निर्माण कार्य किए थे उसे तोड़कर तथा अनुपयोगी सामग्री खेत से हटाने की जिम्मेदारी किसकी हैं ? यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ हैं। किसान हैरान और परेशान हैं। उसे समझ नहीं आ रहा हैं कि वह क्या करें। जिला प्रशासन से उसे कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही हैं । वह समझ नहीं पा रहा हैं कि किसके पास अपनी समस्या लेकर जाएं।
प्र्रदेष के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सिंहस्थ समाप्त होने के बाद किसानों से वादा किया था कि किसानों की जमीन वापस वैसी ही करके दी जाएगी, जैसी सिंहस्थ के पूर्व उनसे ली गई थी। अब जबकि राजस्व विभाग ने समतल की गई जमीन को वापस खेती योग्य बनाने से हाथ खड़े कर दिए हैं, तब मुख्यमंत्री को चाहिए कि वह संभागायुक्त डॉ. रविन्द्र पस्तौर और कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत को निर्देश दे कि वें किसानों की जमीन वापस उन्हें वैसी ही करके देवें जैसी उनसे ली गई थी। यहीं नहीं किसानों की जमीन में बनाए गए पक्के निर्माण कार्यो का मलबा भी पूरी तरह से हटाकर उन्हें उनकी कृषि भूमि लोटाएं, ताकि किसानों के साथ न्याय हो सकें।