आंकड़ों की बाजीगरी का क्या है असल मकसद ? सिंहस्थ में श्रद्धालु आए 3 करोड़ , बताया जा रहा 8 करोड ;खर्च हुए 3183 करोड़ , दिखाया जा रहा है 5000 करोड़
संदीप कुलश्रेष्ठ
आस्था और विश्वास का महापर्व सिंहस्थ 22 अप्रैल से 21 मई तक उज्जैन में सम्पन्न हो गया। जिला प्रशासन , पुलिस प्रशासन , राज्य शासन सहित उज्जैन की जनता प्रसन्न हैं कि मेला सानंद संपन्न हो गया। भविष्य में होने वाले सिंहस्थ के सफल आयोजनों के लिए कुछ प्रश्न सबके मन में उठ रहे है, जिनकी पड़ताल आवश्यक हैं। सही आंकड़े और तथ्य भविष्य के आयोजन के लिए सही योजना बना सकेंगे। सिंहस्थ अवधि के दौरान तीन शाही स्नान , सात पर्व स्नान, पंचक्रोशी यात्रा और सामान्य दिनों में तथ्यों की जानकारी के आधार पर करीब 3 करोड़ 32 लाख श्रद्धालु पतीत पावन शिप्रा नदी में पुण्य कमाने के उद्देश्य से उज्जैन आए। सिंहस्थ के प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह , जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा सिंहस्थ अवधि में करीब 8 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का दावा किया जा रहा हैं। राज्य सरकार द्वारा अभी तक सिंहस्थ के समस्त कार्यो के लिए 35 विभागों के 487 कार्यो के लिए कुल 3183 करोड़ रूपये की स्वीकृति दी गई थी। किंतु प्रभारी मंत्री द्वारा करीब 5000 करोड़ रूपये खर्च होने का दावा किया जा रहा हैं। आखिर आंकड़ों की इस बाजीगरी का क्या हैं असल मकसद? यह समझने की जरूरत हैं। इसकी पड़ताल आवश्यक हैं। आईये, हम सिलसिले वार चले।
क्या कहते हैं आंकडे
पूरी सिंहस्थ अवधि में 22 अप्रैल , 9 मई और 21 मई को शाही स्नान थे। श्रद्धालु आस्था और विश्वास के साथ 1 मई से 6 मई तक पंचक्रोशी यात्रा में निकले। 3 मई , 6 मई , 11 मई , 15 मई 17 मई, 19 मई और 20 मई को पर्व स्नान थे। माह के 30 दिनों में से शेष 19 दिन सामान्य स्नान के दिन थे। विभिन्न समाचार पत्रों द्वारा दी गई तथ्यात्मक जानकारी के आधार पर शाही स्नान, पर्व स्नान एवं सामान्य दिनों के स्नान के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या इस प्रकार रही -
(श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में)
क्र. | शाही एवं पर्व स्नान | दिनांक | दावा | तथ्य |
1 | प्रथम शाही स्नान | 22 अप्रैल | 25 | 10 |
2 | पंचेशानि यात्रा | 1-6 मई | 20 | 15 |
3 | वरूथिनी एकादशी पर्व स्नान | 3 मई | 10 | 05 |
4 | पर्व स्नान (अमावस्या) | 6 मई | 50 | 30 |
5 | द्वितीय शाही स्नान (अक्षय तृतीया) | 9 मई | 70 | 35 |
6 | शंकराचार्य जयंती पर्व स्नान | 11 मई | 20 | 10 |
7 | वृषभ संक्रांति पर्व स्नान | 15 मई | 50 | 30 |
8 | मोहिनी एकादशी पर्व स्नान | 17 मई | 20 | 10 |
9 | प्रदोष पर्व स्नान | 20 मई | 50 | 20 |
10 | नृसिंह जयंती पर्व स्नान | 19 मई | 50 | 35 |
11 | अंतिम शाही स्नान | 21 मई | 150 | 75 |
योग | 515 | 275 |
शाही स्नान, पर्व स्नान और पंचक्रोशी यात्रा के दौरान कुल श्रद्धालु 2 करोड़ 75 लाख आने का ठोस अनुमान हैं। इसके अतिरिक्त सामान्य 19 दिनों में प्रतिदिन 3 लाख श्रद्धालुओं के उज्जैन आने की संख्या भी जोड़ ली जाए तो यह संख्या 57 लाख हैं । पूरे महिने में श्रद्धालुओं के उज्जैन आने की तथ्यात्मक संख्या 3 करोड़ 32 लाख से अधिक नही होती हैं। यह आंकड़े विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित संख्या के आधार पर दिए गए हैं।
प्रशासन के दावे
जिले के प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह, जिला प्रषासन और पुलिस प्रशासन द्वारा 8 करोड़ श्रद्धालुओं के उज्जैन आने का दावा किया जा रहा हैं। यदि प्रत्येक शाही स्नान, और पर्व स्नान और पंचक्रोशी यात्रा के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं के उनके दावे को ही माना जाए तो यह संख्या 5 करोड़ 15 लाख से अधिक नही होती हैं। उन्होंने शेष 19 दिन में 3 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान किया हैं । उनके मान से सामान्य दिनों में प्रतिदिन 15 लाख 79 हजार श्रद्धालु आए हैं। प्रभारी मंत्री, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा सम्पूर्ण सिंहस्थ अवधि में 8 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का दावा किया जा रहा हैं। उनके इस दावे की सोशल मीडिया में हंसी उडाई जा रही हैं और इसे हास्यास्पद बताया जा रहा हैं।
संकेत भ्रष्टाचार के
यहां अब यह सवाल उठता हैं कि प्रभारी मंत्री, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को आंकड़ों की कलाबाजी दिखाने की क्या जरूरत थी ? यहां हमें यह ध्यान देना होगा कि राज्य सरकार द्वारा कुल 35 विभागों को 487 कार्यों के लिए 3183 करोड़ रूपये का आबंटन सिंहस्थ के विभिन्न निर्माण और विकास कार्यो के लिए दिया गया हैं । जबकि प्रभारी मंत्री पिछले करीब तीन माह से जोर शोर से हर जगह और हर मंच पर यह कहते आ रहे कि राज्य सरकार ने 3500 करोड़ रूपये खर्च कर दिए हैं। यही नहीं प्रभारी मंत्री यह भी कहते हैं कि सिंहस्थ की अवधि के दौरान 1500 करोड़ रूपये और खर्च होंगे। इस प्रकार प्रभारी मंत्री के कहे अनुसार राज्य सरकार द्वारा सिंहस्थ में कुल 5000 करोड़ रूपये खर्च किए जा रहे हैं। इन आंकड़ों पर गौर करने की आवश्यकता हैं । जब राज्य सरकार के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित साधिकार समिति द्वारा और स्थानीय स्तर पर संभागायुक्त की अध्यक्षता में गठित साधिकार समिति द्वारा अभी तक केवल 3183 करोड़ रूपये की ही स्वीकृति दी गई हैं तो फिर क्या कारण हैं कि 3000 करोड़ रूपये की स्वीकृति को लगभग दोगुना कर 5000 करोड़ रूपये खर्च बताया जा रहा हैं। इस प्रकार कुल स्वीकृत राशि के विरूद्ध करीब दोगुना खर्च की राशि बताए जाने के आखिर क्या कारण हैं ? इसी प्रकार करीब 3 करोड़ श्रद्धालुओं के उज्जैन आने की बजाय 8 करोड़ श्रद्धालुओं की संख्या बताने का कारण संशय उत्पन्न करता हैं। यह आंकड़े भविष्य में किए जाने वाले नए भ्रष्टाचार की और भी संकेत करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज रखे नजर
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने निःसंदेह सिंहस्थ के लिए राज्य सरकार का खजाना खोल दिया हैं। सिंहस्थ में आने वाले साधु- संतों और महंतां तथा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास उनके द्वारा किए गए । पिछले करीब एक साल से वे न केवल नियमित रूप से उज्जैन आकर कार्यो की निगरानी कर रहे थे, बल्कि सिंहस्थ के 30 दिनों में से 20 दिन उज्जैन आकर उन्होंने साधु - संतो और श्रद्धालुओं तथा सिंहस्थ के प्रति अपना समर्पण भाव भी स्पष्ट रूप से दिखा दिया हैं। उन्हें अब यह भी देखना होगा कि आखिरकार आंकड़ों की यह बयानबाजी और कलाबाजी कहीं भविष्य में भ्रष्टाचार का एक नया मुद्दा ही न बन जाए। इसलिए उन्हें चाहिए कि वे वास्तविक स्थिति पर नजर रखे। अपने गुप्तचर सेवा का उपयोग करें । जनप्रतिनिधियों से गोपनीय रूप से राय लें और सही स्थिति का आंकलन करें, ताकि सिंहस्थ भ्रष्टाचार का पर्याय नहीं बन सकें।