साधु ,संत और महंत मेले में 30 मई तक रहेंगे 28 मई तक ही सुविधाएँ उपलब्ध कराने के दिए निर्देश
डॉ. चन्दर सोनाने
अखिल भारतीय अखाड़ा परिशद के साधु, संत और महंतों के साथ जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन का तालमेल नही हैं। यह सिंहस्थ के दौरान अनेक बाद देखने को मिला। हाल ही में ताजा उदाहरण सामने आया हैं । अखिल भारतीय अखाड़ा परिशद की हाल ही में हुई बैठक में उन्होनें तय किया कि सभी अखाड़े के साधु, संत और महंत 30 मई तक उज्जैन के मेले क्षेत्र में ही रहेंगे। जबकि अखाड़ा परिषद की जिस दिन बैठक हुई उसी दिन कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत ने एक आदेश जारी किया उसमें उन्होंने समस्त जोनल और सेक्टर अधिकारियों को विभिन्न सुविधाएँ 28 मई तक ही उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इससे यह विसंगति उत्पन्न हो रही हैं कि जिला प्रशासन 28 मई के बाद मेला क्षेत्र में कोई सुविधाएं नही देगा, जबकि मेले में साधु संत 30 मई के बाद ही जाना आरंभ करेंगे।
यह कोई पहला उदाहरण नही हैं, जबकि जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन का समन्वय अखाड़ा परिषद से नहीं होने का मामला सामने आया हैं। सिंहस्थ शुरू होने के बाद कई विसंगतिया सामने आई हैं । इस विसंगति से सीख नही लेते हुए जिला प्रशासन ने फिर एक नया फरमान जारी कर दिया हैं। कलेक्टर का यह आदेश एक सामान्य सा दिखने वाला आदेश हैं। किंतु इसके परिणाम अत्यंत महत्वपूर्ण और दूरगामी वाले सिद्ध होंगे। अखाडा परिषद के निर्णय के अनुसार साधु - संत 30 मई तक तो मेला क्षेत्र में रहेंगे ही। इसके बाद वे धीरे-धीरे यहां से लौटना आरंभ करेंगे। कलेक्टर के आदेश के अनुसार मेला क्षेत्र में साफ - सफाई, स्वच्छता, पेयजल शौचालय ,मूत्रालय की सुविधा, स्नान के लिए पानी की व्यवस्था, प्रकाश की व्यवस्था ,आदि 28 मई के बाद बंद कर दी जाएगी। सरकारी आदेश सरकारी आदेश ही होता हैं। संबंधित विभाग 29 मई से अपनी - अपनी सुविधाएँ देना तुरंत बंद कर देंगे । ऐसी स्थिति में सोचो क्या होगा ? जिला प्रशासन के सामने एक नई समस्या खडी हो जाएगी। साधु संतों के धरने प्रदर्शन आरंभ हो जाएंगे। तब कही ंजाकर शासन और प्रशासन को मेला क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए मजबूर होना पडेगा। श्रद्धालुओं के समक्ष भी एक नई समस्या सामने होगी।
कलेक्टर को अपना आदेश जारी करने से पहले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से चर्चा करके यह पूर्व निर्धारित करना था कि मेले से साधु संतों का कब जाने का कार्यक्रम हैं। यदि पूर्व से ही यह चर्चा कर ली होती तो यह समस्या उत्पन्न ही नहीं होती। अभी भी समय हैं। सिंहस्थ प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह और संभागायुक्त डॉ. रवीन्द्र पस्तोर को चाहिये कि वे तुरंत प्रमुख साधु-संतों से तथा अखाड़ा परिषद से चर्चा कर यह सुनिश्चित जानकारी प्राप्त करें कि निर्धारित तिथि तक मेले में आए सभी साधु संत प्रस्थान कर जाएंगे। उस निर्धारित तिथि तक मेला क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराना राज्य शासन और जिला प्रशासन का अहम दायित्व बनता हैं। यदि यह होता हैं तो फिर कोई समस्या नही आने वाली हैं, अन्यथा एक नई समस्या शीघ्र ही सामने होगी।