हमारी भौतिक आँखों पर अज्ञान का पर्दा- आचार्य अग्निहोत्री
उज्जैन। हम परमात्मा को मानते है जानते नही, ईश्वर से हमारी दूरी अज्ञान
व अभाव के कारण है। परमात्मा को हम ऊपर बताते है। अंधा व्यक्ति पास बैठे
व्यक्ति को दूर समझता है उसी प्रकार परमात्मा आँखों से दिखाई नही देता।
दर्शन का अर्थ है ज्ञानेंद्रियो के द्वारा जो जाना जाए जिस प्रकार दिन
में आकाश में चाँद तारे नही दिखाई देते उसी प्रकार हमारी भौतिक आँखों पर
अज्ञान का पर्दा होने से हमने ईश्वर से दुरी बना ली है।
यह विचार आचार्य पंडित हरिशंकर अग्निहोत्री ने वैदिक धर्म प्रचार शिविर
में 'ईश्वर से दुरी क्यों' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किये।
महामंत्री प्रकाश आर्य ने कहा की ईश्वर हमारे सबसे निकट है परोपकार के
कार्य करते समय भगवान हमारे हृदय में ख़ुशी प्रसन्नता व गलत कार्य करते
समय भय शंका लज्जा उत्पन्न करता है। प्रारम्भ में कानड़ से पधारे काशीराम
अनल ने ईश्वर भक्ति के भजन प्रस्तुत किये। शिविर में प्रातःकाल चतुर्वेद
पारायण महायज्ञ में सैकड़ो आर्यजन द्वारा आहुति दी गयी। कार्यक्रम का
संचालन वैदिक विद्वान पंडित राजेन्द्र व्यास ने किया एवं आभार
शिविराध्यक्ष गोविन्दराम आर्य ने माना। डॉ. ललित आर्य के अनुसार बड़नगर
मार्ग स्थित वैदिक धर्म प्रचार शिविर में प्रतिदिन यज्ञ योग स्वाध्याय,
वेद, धर्म रक्षा, राष्ट्ररक्षा पर सम्मेलन आयोजित किये जा रहे है।