यातायात अव्यवस्था के कारण श्रद्धालु त्रस्त, समय पूर्व वापस जाने के लिए मजबूर श्रद्धालु
प्रभारी मंत्री को कलेक्टर एसपी के साथ पैदल भ्रमण करना चाहिए
डॉ. चन्दर सोनाने
तीस दिवसीय आस्था और विश्वास के महापर्व सिंहस्थ को आरंभ हुए पच्चीस दिन हो गए हैं । अब केवल पांच दिन शेष हैं। अभी तक का अनुभव श्रद्धालुओं के लिए यातायात के दृष्टिकोण से सुविधाजनक नहीं रहा। चौथे पर्व स्नान के दिन रविवार होने के कारण भारी श्रद्धालुओं का जमावड़ा हुआ। किंतु उन्हें उज्जैन आने पर अत्यधिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। एक बार फिर से श्रद्धालुओं को पांच से आठ किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। पुलिस ने पूर्व में यातायात व्यवस्था में कुछ छुट दी थी, जिसके कारण श्रद्धालु उमंग और उत्साह के साथ उज्जैन आने लगे। किंतु, एक बार फिर पुलिस अपने पर आ गई । अव्यवस्थित यातायात के कारण आठ से दस किलोमीटर तक वाहनों का जाम लग गया । श्रद्धालुओं को वाहन कहां पार्क करें ,यह बताने वाला कोई नहीं हैं। पुलिस ने जगह-जगह बेरिकेडिंग कर दी हैं। हलाकान श्रद्धालु इधर-उघर भटकने लगे । उन्होंने जैसे-तैसे वाहन पार्क किया तो समस्या यह आई कि स्नान घाट तक कैसे पहुंचे । स्थानीय परिवहन का कोई साधन उनको नही मिल रहा था। बच्चे-बुजुर्ग के साथ यात्री पैदल चलने को मजबूर हुए। इस कारण कई श्रद्धालुओं ने अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम को संक्षिप्त कर दिया। और वे समयपूर्व ही उज्जैन से जाने के लिए मजबूर हो गयें।
सिंहस्थ श्रद्धालुओं के लिए हैं। आस्था और विश्वास लिए श्रद्धालु यह उम्मीद करके आते हैं कि उन्हें सुगमतापूर्वक स्नान घाट पर पुण्यदायिनी शिप्रा नदी में डुबकी लगाने को मिलेगी। जैस-तैसे घाट पर पहुंचने के बाद और स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं को वापस पार्किंग स्थल पर या बस स्टैंड पर अथवा रेलवे स्टेशन पर जाने के लिए कोई स्थानीय परिवहन नहीं मिला तो पे परिवार सहित परेशान हो उठें। यह हाल वृषभ संक्रांति पर्व के दिन श्रद्धालुओं का हुआ। अनेक श्रद्धालुओं ने बताया कि वे अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम को संक्षिप्त कर वापस जा रहे हैं। जिला और पुलिस प्रशासन को ऐसे श्रद्धालुओं की भी सुध लेनी चाहिए, ताकि वे हताश और निराश होकर वापस नहीं जाए।
गत 22 अप्रैल को पहले शाही स्नान के दिन पुलिस की जगह-जगह की गई बैरिकेंडिग और सेटेलाइट टाउन पर ही वाहन को रोकने की जानकारी मिलने पर श्रद्धालु बहुत कम आए। करीब 10 किलोमीटर दूर से ही वाहनों को रोकने की जानकारी मिलने के कारण उन्होंने प्रथम शाही स्नान से दूरी बनाना ही उचित समझा। प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह और जिला एवं पुलिस प्रशासन का दावा था कि प्रथम शाही स्नान पर एक करोड़ श्रद्धालु आएंगे, किंतु आए मात्र 10 लाख श्रद्धालु। मीडिया में पुलिस की यातायात व्यवस्था की आलोचना होने के कारण मुख्यमंत्री ने स्वयं आकर कमान संभाली। सेटेलाइट टाउन के अतिरिक्त नए-नए पार्किंग स्थल खोजे गए। और फिर लगातार श्रद्धालु आने लगे । गत रविवार को वृषभ संक्राति पर्व होने के कारण करीब 25 लाख श्रद्धालु उज्जैन आए । अव्यवथाओं के चलते अपने वाहन से आने वाले श्रद्धालु और लोक परिवहन वाहन से आने वाले श्रद्धालुओं को अत्यंत ही अव्यवस्थित और अवैज्ञानीक तथा अव्यवहारिक यातायात से बहुत परेशानी हुई ।
सिंहस्थ महाकुंभ के अब केवल पांच दिन शेष हैं। इन पांच दिन में से तीन दिन 17 मई को मोहिनी एकादशी पर्व, 19 मई को प्रदोष पर्व और 20 मई को नृसिंह जयंति पर्व स्नान है। सिंहस्थ मेले में 21 मई को अंतीमशाही स्नान है। पुलिस को चाहिए कि वे श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अधिकतम उपाय करें। मेला क्षेत्र में अनेंक जगह अभी भी कई खाली प्लाट हैं । वहा पार्किंग स्थल बनाए जा सकते हैं। रेल व बस से आने वाले श्रद्धालुओं को कम से कम पैदल चलना पडे, इसके लिए लोक परिवहन वाहन के लिए पर्याप्त इंतजाम किये जाना आवश्यक हैं। अब शेष पांच दिन पुलिस के लिए परीक्षा की घड़ी हैं । जो हुआ सो हुऔ। अंत भला तो सब भला वाली कहावत चरितार्थ करनी हैं तो पुलिस को व्यवहारिक और सुविधापूर्वक यातायात व्यवस्था अपनानी होगी, ताकि श्रद्धालुओं को कम से कम असुविधा हों। इसके लिए प्रभारी मंत्री और जिला एवं पुलिस अधिकारियों को पैदल चलना चाहिए, ताकि वे श्रद्धालुओं की समस्याएं भली भांति समझ सकें और उसका मौके पर ही निराकरण भी कर सकें।