खाटूधाम में ‘रास रचाये मेरा कृष्ण कन्हैया’ के भजन पर झूमे श्रध्दालु
उज्जैन। आज हर कोई स्वार्थी हो गया, स्वार्थ से किया गया8 कोई कार्य भगवान को मान्य नहीं है, लेकिन धर्म से लेकर कर्म तक सभी क्षेत्रों में स्वार्थ को ही सामने रखकर कार्य किए जा रहे हैं। स्वार्थी तत्वों को पलभर का सुख जरूर मिल जाता है लेकिन जीवन यदि धन्य करना हो, मोक्ष प्राप्त करना हो तो स्वार्थ छोड़ना होगा।
खाटूधाम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन भागवताचार्य डाॅ. श्याम सुंदर शास्त्री ने कहा कि स्वार्थवश किए कार्य से दो पल का सुख तो मिल जाता है पर जिंदगी भर का दुख गले पड़ जाता है। प्रेम और समर्पण के भाव से किया गया कार्य सफल होता है, यदि जीवन में सफलता प्राप्त करना हो तो निश्छल भाव से प्रेम करो, फिर जो प्राप्त हो उसे समर्पित कर दो यही जीवन का मूल मंत्र है। डाॅ. शास्त्री ने कहा कि आज दाम्पत्य जीवन की आयु कम होती जा रही है, इसका मुख्य कारण प्रेम और समर्पण का न होना है। जीवन में अनंत सुख की प्राप्ति के लिए श्रीकृष्ण की तरह योगी बनकर कर्म करों और जरूरत पढ़ने पर प्रेम का संदेश दें। बुधवार को खाटूधाम में भागवत में महारास के प्रसंग पर श्रोताओं ने श्रीकृष्ण की लीलाओं का रहस्य समझा और फूलों की वर्षा कर महाराज प्रसंग पर ‘रास रचाए मेरा कृष्ण कन्हैया’ के भजन पर जमकर थिरके। श्रीमद् भागवत की आरती श्याम भक्त नंदकिशोर शर्मा ‘नन्दू भैय्या’ ने की। कथा श्रवण की अपील रमेश अग्रवाल, रामकुमार अग्रवाल, नरेश बेरीवाला, सरोज अग्रवाल, डाॅ. सचिन गोयल ने की है।