पत्रकारों के लगातार हो रहे अपमान के लिए जिम्मेदार हैं कलेक्टर और एसपी
डाॅ.चन्दर सोनाने
22 अप्रैल से 21 मई तक उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ महापर्व के दो शाही स्नान हो गए हैं। अब केवल एक अंतिम शाही स्नान ही बचा हैं। यह स्नान 21 मई को होगा। पिछले दो शाही स्नान में भले वो प्रिंट मीडिया का पत्रकार हो या इलेक्ट्रानिक मीडिया का या न्यू मीडिया का सभी को अपने कव्हरेज के दायित्व के निर्वहन में अत्यधिक परेशानी आई। उन्हें हर मौके पर पुलिस से जूझना पड़ा । इस दौरान कई बार पत्रकारों को धरने पर बैठने के लिए भी मजबूर होना पडा, किंतु परिणाम वही ढाल के तीन पात। मीडिया को कव्हरेज के लिए हर संभव सुविधा उपलब्ध कराने की सीधी जिम्मेदारी कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत और पुलिस अधीक्षक श्री एम.एस. वर्मा की थी। किंतु दोनों ही इस मोर्चे पर पुरी तर असफल सिद्ध हुए । यदि यह कहा जाए कि मीडिया के लगातार अपमान के लिए कोई जिम्मेदार हैं तो वे हैं कलेकटर और एसपी।
सिंहस्थ आरंभ होने के काफी समय पहले से ही पत्रकारों ने उनके कार्य एवं दायित्व के निर्वहन के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए जिले के प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह, केन्द्रीय सिंहस्थ समिति के अध्यक्ष श्री माखन सिंह, सिंहस्थ मेला प्राधिकरण अध्यक्ष श्री दिवाकर नातू, संभागायुक्त डा. रविन्द्र पस्तौर ,अतिरिक्त पुलिस महानिदेषक श्री व्ही मधुकुमार, कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत, पुलिस अधीक्षक श्री एम,एस वर्मा, मेला अधिकारी श्री अविनाश लवानिया आदि को एक नहीं बल्कि अनेक बार निवेदन किया गया था । किंतु सबने मीडिया को मूर्ख बनाया । पत्रकार जो भले ही भोपाल से आए हो या स्थानीय हो , सिर्फ यही चाहते थे कि शाही स्नान के दिन उन्हें सरलता और सुगमता से घाट तक जाने दिया जाए। और यही नहीं किया जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने। पिछले दोनों शाही स्नान 22 अप्रैल और 9 मई के दिन उन्हें रामघाट पर पहुंचने के लिए पुरी शक्ति लगाानी पडी। दो किलोमीटर दूर से ही उन्हें प्रेस पास और वाहन पास होने के बावजूद जगह जगह रोका गया । हर जगह जद्दोजहद करने के बाद ही उन्हें रामघाट तक जाने में सफलता मिल पाई । उनकी आधी उर्जा इसी जद्दोजहद में चली गई। कोई भी पत्रकार ऐसा नहीं जो आसानी से शाही स्नान के दिन बिना जद्दोजहद के रामघाट तक जा सका। यह निश्चित रूप से जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की असफलता हैं।
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहन में अपने उज्जैन के भ्रमण के दौरान प्रेस से चर्चा करते हुए अनेक बार दोहराया भी था कि प्रेस को उनके कव्हरेज के लिए रोका नहीं जाएगा, बल्कि हर संभव सुविधाएं उन्हें मुहैया कराई जाएगी। किंतु हुआ इसके ठीक विपरित। प्रभारी मंत्री हो या केन्द्रीय सिंहस्थ समिति के अध्यक्ष या हो कमिश्नर या एडीजीपी या कलेक्टर अथवा एसपी, सबने पत्रकारों को निरंतर अपमानित करने में अपनी-अपनी भूमिका निभाई। किसी ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया कि पत्रकारों को भी अपने कव्हरेज का महत्वपूर्ण कार्य सम्पन्न करना हैं। एक सामान्य पुलिस कांस्टेबल को भी ड्यूटी स्थल पर वाहन से छोड़ा जा रहा हैं। सामान्य सा नायब तहसीलदार स्तर का मजिस्ट्रेट हो या सब इंस्पेक्टर स्तर का एक पुलिस अधिकारी सब जहां भी जाना चाह,े अपने अपने चारपहिया वाहन से बेरोकटोक आ - जा रहे थे। यदि वे अपनी ड्यूटी का पालन कर रहे थे और उन्हें यह विशेष सुविधा दी गई थी , तो फिर क्या कारण है ंकि एक मीडिया कर्मी को भी अपने ड्यूटी का पालन करने के लिए निरंतर रोका गया। उन्हें अपने कर्तव्य स्थल तक पहुंचने में अनेकानेक बाधा उत्पन्न की गई। यह सामान्य सी बात भी प्रभारी मंत्री ,प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को समझ में नही आ रही हैं। इसी का परिणाम हैं कि इलेक्ट्राॅनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के सभी पत्रकार निरंतर अपमानित हो रहे हैं। यदि ये अपनी भूल सुधार करना चाहते हैं तो उनके सामने अंतिम मौका हैं, 21 मई को होने वाले अंतीम शाही स्नान का। इस दिन भी यदि उन्हें रोका गया तो मीडिया उन्हें कभी माफ नही करेगी और इसका परिणाम संबंधित को अवश्य ही भुगतना पडेगा।
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