उज्वला से होगा गरीबों के घर में उजाला
प्रमोद कुमार
आज भी देश के करोड़ों गरीब परिवार ऐसे हैं जो धुएं के साय में जीवन व्यतीत कर रहे हैं उन लोगों के जीवन के अंधेरे में मोदी सरकार उदय होता सूरज की तरह अपने प्रकाश से उनके जीवनकाल का अंधेरा खत्म करने में सफल होती नजर आ रही है। मोदी सरकार लोगों की उ मीदों और आकांक्षाओं को पूरा करने को प्रतिबद्ध है। जैसा कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने गरीब परिवारों को रसोई गैस सिलेंडर मु त देने की घोषणा करके लोगों को इस जिल्लत से छुटकारा देने में सहायता की है। अब देश के करोड़ों गरीब परिवारों का इस तरह के चूल्हों से पिंड छूटेगा। सचमुच मोदी का दिल खुशी से भर गया होगा कि जो आदमी एक वक्त अपनी मां को चूल्हे से छुटकारा नहीं दिला सका, वह आज करोड़ों माताओं-बहनों को इस जिल्लत से मुक्त कर रहा है। मोदी जी के इस पुण्य कार्य से बलिया जिले ने नरेंद्र मोदी की छवि ही बदल दी। अब तक लोग यह मान रहे थे कि मोदी की सरकार देश के बड़े-बड़े पूंजीपतियों की सेवा कर रही है। उसे न तो देश के मध्य-वर्ग की परवाह है और न ही गरीबों की लेकिन बलिया में मोदी ने गरीब परिवारों को रसोई गैस सिलेंडर मु त देने की घोषणा करके करोड़ों दिलों को छू लिया है। अगले तीन साल में पांच करोड। गरीब परिवारों को ये सिलेंडर मिल सकेंंगे। गैस सिलेंडर देते समय मोदी ने अपनी मां की जो कहानी सुनाई, उसने पत्थरदिल लोगों के दिल को भी पिघला दिया होगा। उन्होंने बताया कि वे जिस कमरे में अपनी मां के साथ रहते थे, उसमें खिड़कियां नहीं थीं। जब चूल्हा जलता था तो कमरे में इतना धुआं भर जाता था कि मां का चेहरा भी नहीं दिखता था। अब देश के करोड़ों गरीब परिवारों का इस तरह के चूल्हों से पिंड छूटेगा। मोदी के इस कार्य को चुनावी पैंतरा कह देना उचित नहीं होगा। उत्तर प्रदेश के चुनाव में इस पहल का फायदा भाजपा को जरूर मिलेगा लेकिन यह पुण्य-कार्य है, राजनीतिक पैंतरा नहीं है। यदि यह सिर्फ पैंतरा होता तो देश के एक करोड़ दस लाख लोग अपनी गैस की एक सिलेंडर पर मिलनेवाली लगभग 150 रुपए की रियायत क्यों छोड। देते? आज देश में नेताओं की इज्जत खतरें में है। उनके कहने से कोई डेढ। सौ रु। क्या, डेढ।-पैसे का भी त्याग नहीं करेगा लेकिन इतने लोगों ने मोदी की आवाज को क्यों सुना? इसीलिए कि वह शुद्ध सेवा, शुद्ध करुणा, शुद्ध परमार्थ की आवाज थी। लेकिन बड़ा प्रश्न यह है कि इस विराट जन-सर्मथन से मोदी कुछ सीखना चाहेंगे या नहीं? इसका पहला सबक तो यही है कि यह जन-सर्मथन उन्हें नौकरशाहों की कृपा से नहीं मिला है और न ही उनकी पार्टी के 11 करोड़ सदस्यों का इसमें कोई योगदान है। वे सब अपनी-अपनी गोटियां बिठाने में मशगूल हैं। यह सर्मथन प्रधानमंत्री को भी नहीं मिला है। प्रधानमंत्री तो कई आए और गए। यह सर्मथन किसी कानून की वजह से भी नहीं मिला है। यह मिला है, जनता से सीधा संवाद कायम करने से। जनता से जो सीधा संवाद कायम कर सके, वही नेता है। पिछले दो साल में लगभग दर्जन भर अभियान शुरू किए गए लेकिन वे सब टीवी के पर्दे पर या अखबारों के पन्नों पर चिपक कर रह गए। जैसे मोदी ने गैस-टंकी पर सरकारी रियायत त्यागने की अपील की, वैसे ही वे शराब बंदी, स्वभाषा प्रयोग, घूसबंदी, पानी बचाओ आदि मुद्दों पर भी जनता से सीधी अपील करें और उसका प्रभाव देखें। प्रधानमंत्री तो वे हैं ही, वे देश के नेता भी बनते चले जाएंगे। पीएम मोदी ने अब साफ कर दिया है कि देश अब किसी से पीछे रहने वाला नहीं है और आज हमारे देश का नाम पूरी दुनिया में वि यात हो रहा है। वहीं पीएम ने जो भी योजनाओं को धीरे-धीरे इस समाज में ला रहे हैं उससे साफ हो गया है कि अब भारत बुलंदियों की उंचाई पर जा रहा है। वहीं पीएम ने जो करोड़ों गरीब परिवारों के लिए योजना शुरू की है उससे चूल्हों से पिंड छूटेगा और कई प्रकार की बीमारियों से भी पीछा छूटेगा। पीएम ने इस योजना को लाकर सरहानिय काम किया है।