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मुख्यमंत्री की पहल पर सिंहस्थ मेला क्षेत्र हुआ पास फ्री , अब जरूरत हैं घाटों को बेरिकेडिंग फ्री करने की



                                        डाॅ. चन्दर सोनाने

         आखिरकार  मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान को उज्जैन में डेरा डालना पड़ा।  उन्होंने स्वयं तीन दिन तक  मेला क्षेत्र का भ्रमण कर हालात की पड़ताल की। स्थानीय अधिकारियों की बदइंतजामी और अव्यवहारिक यातायात व्यवस्था से श्रद्धालुओं को होने वाली असुविधा से उन्हें बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने अच्छी और सार्थक पहल की। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह द्वारा अब सम्पूर्ण सिंहस्थ मेला क्षेत्र पास फ्री घोषित कर दिया गया हैं। अर्थात अब श्रद्धालु पूरे मेला क्षेत्र में अपने चार पहिया व दो पहिया वाहन से बेरोकटोक आ-जा सकेंगे। किसी को कोई पास की आवश्यकता नहीं होगी। मुख्यमंत्री और प्रभारी मंत्री को साधुवाद। अब उन्हंे जरूरत हैं शिप्रा नदी के साढ़े आठ किलोमीटर घाटांे पर की गई पूर्णतः अव्यवहारिक बेरिकेडिंग को हटाने की। सम्पूर्ण घाटों पर की गई बेतरतीब और अवैज्ञानिक सभी बैरिकेटिंग को हटाने से श्रद्धालु अपनी सुविधा से घाट पर जाकर आसानी से स्नान कर पुण्य प्राप्त कर सकेंगे।
         गत सिंहस्थ 2004 में करीब 4 किलोमीटर लंबे घाट श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बनाए गए थे। इस सिंहस्थ 2016 में 4 किलोमीटर से अधिक लंबे नए घाट बनाए गए । इस प्रकार त्रिवेणी से लेकर सिद्धवट तक साढ़े आठ किलोमीटर लंबे घाट अब उपलब्ध हैं। किंतु पहली बार इतने लंबे घाटों की सुविधा होने के बावजूद श्रद्धालु ठगा सा महसूस कर रहे हैं। वे अपनी सुविधा और इच्छा के अनुसार घाट पर नहीं जा पा रहे हैं। क्यों कि नदी के दोनों तरफ बने घाटों पर अव्यवहारिक बैरिकेडिंग कर दी गई हैं। करीब आधे-आधे किलोमीटर की दूरी पर प्रवेश का उन्हें एक मार्ग दिया गया हैं जिनमें से घुमते हुए वे घाट के किसी कोने पर पहुंचते हैं । पहले शाही स्नान में एक करोड़ श्रद्धालुओं के आने के राज्य सरकार के दावे की तुलना में करीब 10 प्रतिशत अर्थात दस लाख श्रद्धालु ही घाट पर स्नान के लिए पहुंचे। तब कहीं जाकर राज्य सरकार चेती। कारणों की पड़ताल की तो पता चला कि घाट से बहुत दूर बनाए गए सेटेलाइट टाउन तथा पांच से दस किलोमीटर लंबी दूरी तक पैदल चलने की बाध्यता के कारण श्रद्धालुओं की रूचि कम हो गई और वे कम आए। जो आए उन्हें सामने बेतरतीब और अव्यवहारिक बैरिकेडिंग दिखे। इससे हो रही असुविधा की जानकारी दूर-दूर तक पहुंची । इसके अच्छे संदेश नहीं गए और परिणाम प्रतिकूल रहा। श्रद्धालु आए ही नहीं ।
                हाल ही में नासिक में हुए कुंभ में भी यही गलती की गई थी। वहाँ घाटों पर की गई अव्यवहारिक बैरिकेडिग के कारण पहले शाही स्नान में करीब 5 लाख श्रद्धालु ही आ पाए थे। वहां भी कारणों की पड़ताल की गई और घाट के किनारे लगाई गई सभी बैरिकेडिंग हटा ली गई। परिणाम सुखद रहे। बात श्रद्धालुओं तक पहुंची और अगले शाही स्नान में श्रद्धालुओं की संख्या करीब 10 गुना तक बढ़ गई । उज्जैन के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने नासिक कुंभ का भ्रमण किया किंतु उससे सीख नहीं ली। यहां भी पहले शाही स्नान के पूर्व समस्त घाटों पर बेतरतीब बेरिकेडिंग कर दी गई । मानों श्रद्धालुओं को किसी भी हालात में घाट तक नहीं जानें की पुलिस ने ठान ली हैं । अब भी समय हैं । नासिक कुंभ और उज्जैन के प्रथम शाही स्नान से सीख ली जाये। शिप्रा नदी के त्रिवेणी से लेकर सिद्धवट तक सभी घाटों पर लगी अव्यवहारिक बैरिकेडिंग हटाने की आज महती आवश्कता हैं । बेरिकेडिंग हटेगी तो अपने आप दूर-दूर तक संदेश जाएगा। और श्रद्धालु पतीत पावन शिप्रा नदी में डुबकी लगाने और पुण्य प्राप्त करने पधारेंगे। अब सिर्फ जरूरत हैं, मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान और प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह को इस दिशा में संज्ञान लेने की तथा कार्यवाही कर तुरंत निर्देश देने की।
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