आस्था में निःशक्तता नहीं बन सकी बाधक
सिंहस्थ कुम्भ महापर्व में छतरपुर जिले की तहसील बिजावर के ग्राम भौंरा से उज्जैन पहुँचे श्री गुलाबलाल का कहना है कि किसी भी व्यक्ति की आस्था में उसकी निःशक्तता बाधक नहीं बन सकती है। साठ वर्षीय श्री गुलाब दोनों पैर से निःशक्त हैं, इसलिए चल-फिर नहीं सकते। महाकाल के भक्त श्री गुलाब की इच्छा थी कि 12 वर्ष के अंतराल में होने वाले सिंहस्थ में मोक्षदायिनी क्षिप्रा में स्नान कर पुण्य लाभ लें।
श्री गुलाब ने लकड़ी की चार पहियायुक्त डेढ़ बाई डेढ़ फुट की छोटी गाड़ी तैयार करवाई और यात्रा पर निकल पड़े। रस्सी से इस गाड़ी को उनके बचपन के मित्र श्री बाबूलाल खींचते हैं। इस तरह दोनों मित्र विभिन्न धार्मिक स्थल और मंदिरों का भ्रमण करते-करते उज्जैन पहुँचे। श्री गुलाब बताते हैं कि उनकी दृढ़ इच्छा थी कि सिंहस्थ में साधु-संतों से साक्षात्कार कर उज्जैन के मंदिरों के दर्शन करें। अब वे यहाँ आध्यात्म की अनुभूति कर रहे हैं। श्री गुलाब का कहना हैं कि अभी उनका तीन-चार दिन और सिंहस्थ मेला क्षेत्र में ठहरने का विचार है। कुम्भ क्षेत्र में श्रद्धालुओं के लिये प्रबंध अच्छे हैं। यहाँ पर रुकने और भोजन की कई जगह व्यवस्था है। घाटों पर स्नान के लिये सुरक्षित प्रबंध किये गये हैं। निःशक्त व्यक्ति भी सुविधा के साथ सुरक्षित स्नान कर सकता है। घाटों पर भी अच्छी साफ-सफाई है। - कमल/यशवंत बरारे