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सिंहस्थ में चारों और लाल - लाल पत्थर क्या भ्रष्टाचार का जरिया हैं लाल पत्थर ?



डाॅ. चन्दर सोनाने
                     
        उज्जैन में सिंहस्थ में इस बार चारों और श्रद्धालुओं को लाल-लाल पत्थर ही दिखाई दें रहे हैं। किसी एक विभाग के निर्माण कार्य के लिए लाल पत्थर का उपयोग हो रहा हो तो यह बात समझ में आती हैंै, किंतु एक दो नहीं बल्कि जिन विभागों के जिम्में निर्माण , विकास और सौंदर्य के कार्यो की जिम्मेदारी थी, उन सभी विभागों ने अपने- अपने विभाग के निर्माण कार्यो में राजस्थान के लाल पत्थरों का ही उपयोग किया हैं तो सहज ही यह प्रश्न खड़ा होता हैं कि आखिर माजरा क्या हैं ? निर्माण कार्यो में लाल पत्थर ही लगाया जाना आवश्यक था तो अभी तक किए गए निर्माण कार्यो में ये लाल पत्थर क्यों नही लगाए गए ? अब  अचानक हरेक निर्माण कार्य में लाल पत्थर का उपयोग होना यह संकेत दे रहा हैं कि कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ हैं । क्या राजस्थान से आ रहा यह लाल पत्थर भ्रष्टाचार का जरिया हैं ?
          राज्य सरकार द्वारा इस सिंहस्थ में गत सिंहस्थ की तुलना में 13 गुना अधिक राशि व्यय की जा रही है। यह राशि 3092 करोड़ रूपये से भी अधिक हैं। इस राशि में से अधिकतर राशि निर्माण और विकास विभागों द्वारा व्यय की जा रही हैं। इनमें से कुछ बानगी प्रस्तुत हैं। जल संसाधन विभाग द्वारा 169 करोड़  की लागत से करीब साढ़े 8 किलोमीटर लंबे नए घाटों का निर्माण और पुराने घाटों की मरम्मत का कार्य किया गया हैं। इन सभी निर्माण कार्यो में केवल लाल पत्थरों का ही उपयोग किया गया हैं। इस विभाग द्वारा रामघाट और दत्त अखाड़ें के पुराने सभी घाटों पर भी लाल पत्थरों का ही उपयोग किया गया हैं। रामघाट के इन लाल पत्थरों के निर्माण के समय महंत रघुमुनि जी द्वारा आपत्ति भी ली गई थी कि रामघाट और दत्त अखाड़ा के विस्तृत घाट पर शाही स्नान के दौरान हाथी, घोड़े, रथ आदि निकलेंगें तो लाल पत्थर कमजोर होने के कारण टूट सकता हैं । तब प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह द्वारा उच्च गुणवत्ता के ही लाल पत्थर लगाने के निर्देश भी निर्माण एजेंसी को दिए गए थे।
              नगर निगम उज्जैन द्वारा सर्वाधिक 446 करोड़ रूपये की लागत से सिंहस्थ संबंधित कार्य किए जा रहे हैं । इनमें से बहुत बड़ी राशि से उज्जैन शहर के सभी प्रमुख चैराहों पर रोटरी का  निर्माण, सौंदर्यीकरण , डिवाइडर निर्माण आदि कार्य किए जा रहे हैं। इसके साथ ही प्रमुख चैराहों पर नए उद्यान भी बनाए  गए  हैं। और पुराने उद्यानों का जीर्णोद्धार भी किया गया हैं। नगर निगम द्वारा उज्जैन के चारों और बनाए जा रहे भव्य प्रवेश द्वारों का निर्माण कार्य भी लाल पत्थरों से ही किया जा रहा हैं। नगर निगम द्वारा उक्त समस्त निर्माण कार्यो में केवल और केवल लाल पत्थरों का ही उपयोग किया गया हैं।
              उज्जैन विकास प्राधिकरण के द्वारा 33 करोड़ रूपये की लागत से पुराने प्रमुख मंदिरों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण का कार्य किया गया हैं। इसके साथ ही प्राधिकरण द्वारा चैरासी महादेव मंदिरों की मरम्मत और जीर्णोद्धार का कार्य भी किया गया हैं। प्राधिकरण द्वारा भी उक्त समस्त निर्माण कार्यो में केवल लाल पत्थरों का ही उपयोग किया गया हैं।
              लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़कों के निर्माण कार्यो में से चैराहों का सौंदर्यीकरण और डिवाइडर का निर्माण कार्य भी केवल लाल पत्थरों से ही किया गया हैं। इस विभाग द्वारा निर्माण कार्यो में भी लाल पत्थर का ही उपयोग किया गया हैं। मेला कार्यालय भवन के निर्माण कार्य में भी लाल पत्थर का ही उपयोग किया गया हैं। इसके अलावा अन्य विभागों द्वारा भी अपने अपने निर्माण कार्यो में लाल पत्थर का ही उपयोग किया गया हैं। मंगलनाथ मंदिर का भव्य और शानदार जीर्णोद्धार भी केवल लाल पत्थरों से ही किया गया हैं।
              सिंहस्थ के दौरान किए जा रहे हर निर्माण कार्य में लाल पत्थर राजस्थान से आ रहा हैं। सभी विभागों के निर्माण कार्यो में राजस्थान से ही आ रहे लाल पत्थरों का उपयोग संदेह उत्पन्न कर रहा हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा हैं कि  केवल राजस्थान से ही आ रहे इन लाल पत्थरों के पीछे एक छुपी कहानी हैं । लाल पत्थर प्रदाय करने वाली एजेंसी के उच्च स्तरीय संपर्क सूत्रों से भी इनकार नहीं किया जा सकता । यह अभी और खोज एवं तफ्तिश का विषय हैं। आज नहीं तो कल यह बात उठेगी तब जिम्मेदारों को बताना पड़ेगा कि सिंहस्थ में उज्जैन में सभी निर्माण कार्यो में लाल पत्थर का ही उपयोग क्यों हुआ ? भविष्य में जब कभी सिंहस्थ के निर्माण कार्यो की जांच होगी तो सभी निर्माण कार्यो में राजस्थान के लाल पत्थर का ही उपयोग करना भी निश्चित रूप से एक विषय होगा।
                प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान  ने उज्जैन में सिंहस्थ के निर्माण कार्यो के लोकार्पण के समय भूखीमाता घाट का भी लोकार्पण किया था। उस समय उन्होंने सुन्दर घाटों की सराहना भी की थी।  किंतु ,अब उनसे अपेक्षा है कि घाट ही नहीं बल्कि अन्य निर्माण कार्यो में भी केवल लाल पत्थर का ही उपयोग करने की जांच अपने स्तर पर कराएंगे तो उन्हें निश्चित रूप से चैंकाने वाली नई बातें मिलेंगी।
 

 

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