मध्यप्रदेश में वर्ष 2022 तक बिजली की क्षमता 22 हजार 513 मेगावॉट होगी
मध्यप्रदेश में माँग के अनुरूप बिजली की आपूर्ति करने के लिये वर्ष 2022 तक का रोड मेप तैयार कर लिया गया है। इस दौरान प्रदेश की बिजली की उपलब्ध क्षमता बढ़कर 22 हजार 513 मेगावॉट हो जायेगी। वर्तमान में प्रदेश में 16 हजार 116 मेगावॉट बिजली की उपलब्ध क्षमता है।
प्रदेश में सितम्बर, 2015 से फरवरी, 2016 तक पिछले वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक बिजली आपूर्ति की गयी। प्रदेश में पहली बार लगभग 11 हजार मेगावॉट बिजली की आपूर्ति की गयी। वर्ष 2022 तक 22 हजार 513 मेगावॉट बिजली की क्षमता विकसित होगी। इसमें 6185 मेगावॉट बिजली राज्य क्षेत्र की कम्पनी मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कम्पनी लिमिटेड से, संयुक्त क्षेत्र और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) की स्थापित परियोजनाओं से 2427 मेगावॉट, केन्द्रीय क्षेत्र एनटीपीसी और दामोदर वैली कार्पोरेशन के संयंत्रों से 8341 मेगावॉट, निजी क्षेत्र, जिनमें सासन यूएमपीपी, जेपी निगरी, जेपी बीना, टोरेंट, लेन्को अमरकंटक, बीएलए, एस्सार, एमबी पावर और झाबुआ पावर द्वारा स्थापित किये गये संयंत्रों से 3406 मेगावॉट मिलेगी। प्रदेश में 2154 मेगावॉट बिजली नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर आधारित संयंत्रों से भी मिलेगी।
राज्य सरकार की कम्पनी मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कम्पनी द्वारा खण्डवा जिले में 2×660 मेगावॉट क्षमता की सुपर क्रिटिकल तकनीकी आधारित श्रीसिंगाजी ताप विद्युत परियोजना के दूसरे चरण का निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है। इस परियोजना की इकाइयों को वर्ष 2018 में जून और अक्टूबर में क्रियाशील कर दिया जायेगा। परियोजना पर 6500 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में वर्तमान में घरेलू एवं गैर-कृषि बिजली उपभोक्ताओं को 24 घंटे और कृषि उपभोक्ताओं को 10 घंटे बिजली दी जा रही है।