top header advertisement
Home - आपका ब्लॉग << खान डायवर्सन योजना व्यवहारिक नहीं: 90 करोड़ रूपये गए बेकार

खान डायवर्सन योजना व्यवहारिक नहीं: 90 करोड़ रूपये गए बेकार



डाॅ. चन्दर सोनाने
              राज्य सरकार द्वारा उज्जैन में 22 अप्रैल से 21 मई तक आयोजित होने वाले आस्था और विश्वास के महापर्व सिंहस्थ के लिए करीब 3500 करोड़ रूपये खर्च किए जा रहे हैं। इसमें से 90 करोड़ रूपये शिप्रा नदी को स्वच्छ रखने के लिए इंदौर से आने वाली खान नदी को डायवर्ट करने पर खर्च किए जा रहे हैं। ग्राम पिपल्याराघौ से खान नदी को पाइप लाइन के जरिये कालियादेह महल के आगे वापस शिप्रा नदी में ही छोड़ दिया जाएगा। 19 किलोमीटर लंबे इस मार्ग के लिए 90 करोड़ रूपये खर्च किए जाकर खान नदी के गंदे पानी को वापस शिप्रा नदी में ही मिलाने की यह योजना बनाई गई हैं। पतीत पावन शिप्रा नदी में इस प्रकार केवल त्रिवेणी, भूखीमाता, रामघाट और मंगलनाथ के सभी घाटों पर ही खान नदी का गंदा पानी नही मिलेगा। इस योजना में खान नदी के गंदे पानी को फिल्टर और शुद्ध करने के बाद ही शिप्रा नदी के पानी में मिलाने की कोई योजना नही बनाई गई हैं। इस प्रकार 19 किलोमीटर के लिए 90 करोड़ रूपये बेकार खर्च किए जा रहे हैं।
                     इस योजना में मजेदार बात यह भी हैं कि बारिश के चार महिनांे में खान नदी का प्रदूषित पानी पाइप लाइन के माध्यम से डायवर्ट होकर नही जाएगा बल्कि, वह सीधा शिप्रा नदी में मिलेगा। गर्मी के चार महिनों में खान नदी में वैसे भी पानी नही रहता हैं। खान नदी उस समय  लगभग सूखी ही रहती हैं । इसीलिए यह योजना शेष चार महिनों के लिए बनाई जा रही पतीत हो रही हैं।
               केंद्र सरकार और राज्य सरकार के स्पष्ट नियम और निर्देश हैं कि पवित्र नदियों के किनारे लगने वाले उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी को शुद्ध करने के बाद ही नदी में मिलाने की इजाजत दी जाती हैं। ऐसे उद्योग जिनसे पवित्र नदियों का पानी दूषित हो उन्हें उद्योग लगाने की अनुमति इसी शर्त पर दी जाती हैं कि वे अनिवार्य रूप से अपने उद्योग से निकलने वाले गंदे पानी को फिल्टर कर और शुद्ध करने के बाद ही नदी में मिलने के लिए छोड़ेंगे। गंगा और यमुना नदी के किनारे लगे समस्त उद्योगों पर भी यह नियम लागू होता हैं। प्रदूषण निवारण मंडल इसका देखरेख करता हैं। नियम का उल्लंघन करने वाले के विरूद्ध कार्यवाही करने के लिए उन्हें अधिकृत भी किया गया हैं।
                 केन्द्र और राज्य सरकार के स्पष्ट नियम और निर्देश होने के बावजूद क्या कारण हैं कि इंदौर से आने वाली खान नदी के प्रदूषित पानी को बिना फिल्टर के ही शिप्रा नदी में छोड़ा जा रहा है। देष में और विदेष में अनेक ख्यात कंपनियाँ है जो प्रदूषित जल को फिल्टर और  शुद्ध करने का काम बखूबी कर रही हैं। शिप्रा नदी में खान नदी का गंदा पानी नही मिले इसके लिए बनाई गई योजना ही दोशपूर्ण हैं।
                  इस योजना में शुरू से ही होना यह चाहिये था कि खान नदी  के प्रदूषित जल को वहीं फिल्टर करने के बाद शिप्रा में छोड़ा जाता । अब हो यह रहा हैं कि केवल 19 किलोमीटर लंबे मार्ग में पाइप लाइन डालकर खान नदी  के प्रदूषित जल को वैसा का वैसा ही पुनः कालियादेह महल के पास मिलाया जा रहा हैं। कालियादेह महल के पास शिप्रा नदी में खान नदी का प्रदूषित पानी मिलने से शिप्रा नदी प्रदूषित की जा रही हैं।  कालियादेह महल के आगे कई गांव ओैर शहर भी आते हैं जो शिप्रा नदी के किनारे पड़ते हैं। वहां के निवासियों ने शिप्रा नदीं में खान नदी के गंदे पानी के मिलने की शिकायत करना भी आरंभ कर दिया हैं।
                      इस सम्पूर्ण योजना की मूलभूत कमी यह हैं कि खान नदी के प्रदूषित जल को फिल्टर और शुद्ध करने के बाद ही मोक्षदायिनी शिप्रा नदी में मिलाने की बजाय खान नदी का प्रदूषित जल वैसा का वैसा ही 19 किलोमीटर दूर ले जाकर शिप्रा नदी में मिलाया जा रहा हैं। इस योजना में 90 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की गई हैं। किंतु जानकारों का यह मानना हैं कि यह योजना पूर्ण होने के बाद 100 करोड़ के ऊपर जाएगी। इस प्रकार इस योजना के लिए खर्च की रही कुल राशि को पानी में मिलाया जा रहा हैं। विशेषज्ञों द्धारा बताया जा रहा हैं कि इससे करीब 25 प्रतिशत राशि में ही खान नदी के प्रदूषित जल को संयंत्र डालकर शुद्व करने के बाद शिप्रा नदी में छोड़ा जा सकता था। इस प्रकार यह पूरी योजना बेकार और भविष्य में सफेद हाथी सिद्ध होने की पूरी संभावना हैं। जब कभी भी यह मुल्यांकन होगा कि जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा बेकार गया है उस समय इस योजना का भी नाम निश्चित रूप से आएगा।
 

 

Leave a reply