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अमृत की बूंदें गिरी शिप्रा में और सिंहस्थ स्नान नर्मदा में ! शासन-प्रशासन कर रहा श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़



डाॅ. चन्दर सोनाने
        सिंहस्थ की पौराणिक कथा इस प्रकार हैं कि अमृत प्राप्ति के लिए देव और दानवों के द्वारा समुद्र मंथन किया गया था। इससे निकलें चौदह रत्नों में से अमृत से भरा एक कलश भी प्राप्त हुआ। इस अमृत कलश को प्राप्त करने के लिए देव और दानवों में भयंकर युद्ध हुआ। अमरता के लिए व्याकुल दानवों ने अमृत से भरे कलश को बलपूर्वक प्राप्त करने का प्रयास किया तो इंद्र पुत्र जयंत अमृत कलश को लेकर भागने लगे। दानवों ने जयंत का पीछा किया । इस संघर्ष में अमृत कलश में से अमृत की कुछ बूंदे हरिद्वार में गंगा नदी, इलाहबाद  में गंगा नदी , नासिक में गोदावरी नदी और उज्जैन में शिप्रा नदी में गिरी। इससे इन नदियों का जल अमृतमयी हो गया। अमृत के प्रभाव से ही ये नदियां पवित्र, पावन और मोक्षदायिनी बन गई। इन्ही कारणों से इन चारों पुण्य नदियों के तट पर कुंभ का आयोजन होता हैं। लाखों श्रद्धालु मोक्ष प्राप्त करने के लिए ही कुंभ के दौरान इन नदियों में डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त करते हैं।
            हरिद्वार और इलाहबाद में गंगा नदी तथा नासिक में गोदावरी नदी में ही कुंभ के समय मोक्ष प्राप्ति हेतु लाखों श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं। उज्जैन में भी मोक्षदायिनी शिप्रा  नदी में ही पुण्य प्राप्त करने की लालसा से श्रद्धालु डुबकी लगाने के लिए आएंगे। किंतु, इस बार राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ,द्वारा इस सिंहस्थ में शिप्रा नदी के जल मे भारी मात्रा में नर्मदा का पानी मिलाने की उच्च स्तरीय व्यवस्था की गई हैं। इससे यह स्पष्ट होता हैं कि श्रद्धालु शिप्रा नदी में मोक्ष प्राप्ति के लिए स्नान करने आऐंगे, किंतु वे शिप्रा के जल में स्नान नही करते हुए नर्मदा के जल में स्नान करेंगे।
        नागा संत गणेशदास जी ने उज्जैन आकर जब ये देखा कि श्रद्धालुओं को इस बार सिंहस्थ में शिप्रा के जल की बजाय नर्मदा के जल में स्नान कराने की व्सवस्था की जा रही हैं तक उन्होंने अपना घोर विरोध करते हुए स्पष्ट कहा कि यह श्रद्धालुओं के विश्वास और आस्था के खिलाफ सीधा सीधा खिलवाड़ है। उन्होंने इस व्यवस्था के विरूद्ध अनशन भी शुरू कर दिया हैं। उनकी बात नही मानने पर उन्होंने आमरण अनशन की चेतावनी भी दी हैं। किंतु शासन प्रशासन के कानों में जूं भी नही रेंग रही हैं। यह एक गंभीर मसला हैं। इस पर जितना शीघ्र हो सके चिंतन और मनन कर इस दिशा में सार्थक प्रयास किए जाने चाहिए ताकि श्रद्धालु इस सिंहस्थ में भी शिप्रा के जल में ही स्नान करें, नर्मदा के जल में नही। इस दिशा में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और सिंहस्थ प्रभारी मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह को शीघ्र सार्थक प्रयास करने की सख्त आवश्यकता हैं।


        

 

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