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आखिरकार क्यों प्रभारी मंत्री ने सभी झोन में नियुक्त किए अपने प्रतिनिधि: एक पड़ताल



डाॅ. चन्दर सोनाने
        मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान ने करीब दस महिने तक उज्जैन जिले एवं सिंहस्थ प्रभारी मंत्री का पद रिक्त रखने के बाद बहुत सोच समझकर सिंहस्थ और प्रभारी मंत्री के रूप में अपने विश्वस्त साथी श्री भूपेन्द्र सिंह को सिंहस्थ प्रभारी मंत्री नियुक्त किया। शुरूवात में प्रभारी मंत्री  उज्जैन आकर स्थानीय प्रशासन पर विश्वास करते हुए केवल बैठक लेकर तथा भ्रमण कर वापस भोपाल जाते रहे। आरंभ में कुछ दिनों तक यह खेल ऐसा ही चलता रहा।
        मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान जब मार्च के प्रथम सप्ताह में उज्जैन आए और उन्होंने करोड़ो रूपये के निर्माण कार्यो और विकास कार्यो का लोकार्पण किया, तब वे प्रशासनिक  अधिकारियों के ही सुझाव के अनुसार किसी भी साधु संतो से नही मिलें। किंतु जब वे महाकाल मंदिर दर्शन करने पहुंचे तब उन्होंने महंत प्रकाशपुरी जी से भेंट की और उनका आक्रोश देखा तथा उनकी यह चेतावनी सुनी कि अधिकारियों की मनमानी और तानाशाही के कारण उनके भूखंड पर कोई भी कार्य नही हो पा रहा हैं, इसलिए वें उज्जैन सिंहस्थ का बहिष्कार कर अर्धकुंभ में स्नान हेतु इलाहबाद जा रहे हैं। महंत प्रकाश पुरी जी से भेंट के बाद मुख्यमंत्री को लगा कि उन्होंने साधु संतो से नही मिलकर गलती की और तब उन्होंने प्रभारी मंत्री को भोपाल जाते समय निर्देश दिये कि वे अभी उज्जैन में ही रहें। यहां डेरा डाले और सभी साधु संतो से रूबरू मिलकर उनकी नाराजगी दूर करें।
       मुख्यमंत्री से निर्देश पाने के बाद प्रभारी मंत्री चेते और उन्होंने अगले दिन ही महंत प्रकाश पुरी से मिलकर और यह कहकर कि अधिकारियों की गलती के लिए कृपा कर उन्हें माफ करें तथा अपनी नाराजगी दूर करें। यही नही उन्होंने वहीं उन्हें आश्वस्त भी किया कि आप के आदेशानुसार सभी कार्य समयावधि में ही पूर्ण होंगे। प्रभारी मंत्री ने न केवल मंहत प्रकाशपुरी को अपनी कार्यकुशलता और विनम्रता से मनाया, बल्कि मेला क्षेत्र में भूख हड़ताल कर रहे तथा असतुष्ट चल रहे संतो से भी मुलाकात की । उनकी बात मानी तथा समयावधि में कार्य करने के सख्त निर्देश अधिकारियों को दिए। प्रभारी मंत्री ने अपने भ्रमण के दौरान नाराज और असंतुष्ट चल रहे साधु संतो को मनाकर अपनी कार्यकुशलता सिद्ध कर दी । प्रभारी मंत्री अपने साथ प्रशासनिक अफसर भी साथ लेकर चले। उनके साथ कमिश्नर डाॅ. रवीन्द्र पस्तोर, एडीजीपी श्री व्ही. मधुकुमार, डीआईजी श्री राकेश गुप्ता , कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत, पुलिस अधीक्षक श्री एम.एस. वर्मा , मेला अधिकारी श्री अविनाश लवानिया तथा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और संगठन के पदाधिकारी भी थे। प्रभारी मंत्री के अपने इस दो दिवसीय सघन भ्रमण में साधु संतो से चर्चा के दौरान सभी वरिष्ठ अधिकारी लगभग मौन से रहे और समर्पण की मुद्रा में दिखाई दिए
         प्रभारी मंत्री ने इसके बाद भी लगातार उज्जैन आना जारी रखा और उन्होंने अधिकारियों की सुनने के बजाय अब क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और संगठनों के पदाधिकारियों से वास्तविक स्थिति की जानकारी लेना आरंभ किया। जो अब तक प्रशासनिक अधिकारी उन्हें सही जानकारी नही दे रहे थे, उसकी वास्तविक जानकारी उन्हें संगठन के पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से मिलनी शुरू हुई । प्रभारी मंत्री को लगा कि अब वास्तविक स्थिति की सही जानकारी मिलती रहे इसके लिए उन्हें अपना नेटवर्क बनाना पड़ेगा। इसके लिए उन्होंने मेला क्षेत्र के प्रत्येक झोन में अपना एक एक प्रतिनिधि भी नियुक्त किया। प्रत्येक झोन में नियुक्त प्रतिनिधि साधु संतो से मिलकर उनकी समस्या समझकर सही जानकारी सीधे प्रभारी मंत्री को देंगे। त्रिवेणी झोन में सुरेश गिरी, मंगलनाथ झोन में विवेक जोशी, कालभैरव झोन में विजय अग्रवाल, महाकाल झोन में ऋशिराज अरोरा, दत्त अखाड़ा झोन में धनंजय षर्मा और चामुंडा झोन  में विनोद बरबोटा को अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर यह  साफ संकेत दिया कि वे अब अधिकारियों के भरोसे कदापि नही रहेंगे। प्राप्त सही जानकारियों के आधार पर प्रभारी मंत्री समस्याओं की तह तक जाकर उसका निपटारा भी समय पर ही कर सकेंगे जिससे कि सिंहस्थ निर्विघ्न सम्पन्न हों सकें।
       प्रभारी मंत्री द्वारा सभी झोन में अपने प्रतिनिधि नियुक्त करने के संकेत स्पष्ट हैं। प्रशासनिक अधिकारियों को इससे सबक लेना चाहिए। इन्ही प्रशासनिक अधिकारियों की अदूरदर्शिता के कारण ही साधु संतो में पिछले दिनों अत्यधिक नाराजगी देखी गई और अनेक बार अप्रिय स्थिति उत्पन्न हुई। इससे अनेक बार लगा कि यदि साधु संत ही नाराज रहें और वे महंत प्रकाशपुरीजी की तरह उज्जैन सिंहस्थ का बहिष्कार कर उज्जैन से जाने लगे तो सिंहस्थ निर्विघ्न संपन्न नही हो सकेगा।
        प्रभारी मंत्री ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री नरेंद्रगिरीजी महाराज की बात मानते हुए और उन्हेे अध्यक्ष की मान्यता देते हुए 13 अखाड़ों और प्रशासन की संयुक्त बैठक सफलता पूर्वक आयोजित कर मुख्यमंत्री जी को भी आश्वस्त कर दिया कि उन्होंने प्रभारी मंत्री के रूप में श्री भूपेन्द्र सिंह को नियुक्त कर सही काम किया हैं। अब प्रभारी मंत्री ने सारे सूत्र अपने हाथ में ले लिए हैं। इससे लगता हैं कि विश्व का सबसे बड़ा आयोजन सिंहस्थ निःसंदेह सफल सिद्ध होगा।
 

 

 

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