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हाफ नहीं फुल भूरे रंग की पैंट पहनेंगे RSS वर्कर्स


आरएसएस की ड्रेस बदल गई है। रविवार को नागौर में हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नेशनल मीटिंग में सर सहकार्यवाह भैयाजी जोशी ने इस बदलाव का एलान किया। उन्होंने कहा, ''हम वक्त के साथ बदलते रहेंगे। खाकी हाफ पैंट के बदले स्वयंसेवक फुल भूरे रंग की पैंट पहनेंगे।'' लंबे वक्त के बाद ड्रेस में यह बदलाव हुआ है। जोशी ने कहा- जेएनयू का माहौल चिंता का कारण...
- मीटिंग के बाद जोशी ने कहा, ''जेएनयू की घटना इस देश के लिए चिंता का विषय है।''
- ''विश्वविद्यालय के परिसर में संसद पर हमला करने वाले व्यक्ति का सपोर्ट किया जा रहा है, इसे क्या मानें?
- ''देश के टुकड़े करने का नारा लगाने वाले समूह के नेतृत्व करने वालों को क्या कहेंगे?''
- ''कानून अपना काम करेगा, सोचना ये चाहिए इस प्रकार के वातावरण को पनपने किसने दिया, पोषण किसने दिया? ये राजनीति का विषय नहीं है।''
तीन बार बदल चुकी है ड्रेस
- संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा, ''संघ में गणवेश (ड्रेस) के बदलाव को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही थी।''
- ''2010 में बैठक के दौरान ड्रेस में बदलाव को लेकर प्रस्ताव आया था, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।''
- ''इसी कारण इस पर पांच साल तक चर्चा करने का फैसला किया गया। मार्च, 2015 में फिर यही प्रपोजल आया।''
- मनमोहन वैद्य ने बताया कि इससे पहले 3 बार ड्रेस में बदलाव हो चुका है।
कब-कब हुए ड्रेस कोड में बदलाव?
> संघ के गठन के वक्त साल 1925 से लेकर 1939 तक संघ की ड्रेस पूरी तरह खाकी थी।
> 1940 में व्हाइट फुल स्लीव्स वाली शर्ट लागू की गई।
> 1973 में लेदर शूज की जगह लॉन्ग बूट शामिल किए गए। हालांकि, रेक्सीन के शूज का भी ऑप्शन रखा गया था।
> 2010 में बदलाव हुआ। तब लेदर बेल्ट की जगह कैनवास बेल्ट लाया गया।
कितनी ड्रेस की होगी जरूरत?
- संघ की देशभर में 50,000 शाखाएं हैं और हर शाखा में 10 स्वयंसेवक हैं। ऐसे में 5 लाख नई ड्रेस की जरूरत है।
- आरएसएस के ड्रेस कोड में आखिरी बार 2010 में बदलाव किए गए थे। लेदर बेल्ट की जगह कैनवास बेल्ट लाया गया था। संघ प्रचारक के मुताबिक, कैनवास बेल्ट को इम्प्लीमेंट करने में दो साल का समय लग गया था।

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