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महाशिवरात्रि पर महाकाल के दो घंटे में दर्शन आधे घंटे में दर्शन की जरूरत



डाॅ चन्दर सोनाने
           उज्जैन के प्रसिद्ध दक्षिणमुखी महाकालेश्वर मंदिर में इस महाशिवरात्रि पर्व पर आम दर्शनार्थियों को दो घंटे में दर्शन हो पाए। आगामी 22 अप्रैल से 21 मई तक होने वाले सिंहस्थ महापर्व के लिए प्रशासन के समक्ष इस शिवरात्रि पर्व पर दर्शनार्थियों को कम से कम समय में दर्शन कराने की एक चुनौती थी। इसमें उन्हें सफल नही कहा जा सकता। गत सिंहस्थ सन् 2004 में आयोजित हुआ था, उस समय शाही और पर्व स्नान को छोड़कर शेष दिनों में श्रद्धालुओं को मात्र 30 मिनट का समय ही दर्शन में लग रहा था।
           गत सिंहस्थ में पहली बार महाकाल मंदिर में नंदीगृह का विस्तार कर नंदीगृह के पीछे से नौ पंक्तियों में एक साथ दर्शन करने की व्यवस्था की गई थी। उसके बहुत अच्छे परिणाम भी सामने आए थे। एक साथ नौ पक्ंितयो से दर्शन की सुविधा मिलने से श्रद्धालुओं ने श्रद्धापूर्वक अपने महाकालेश्वर भगवान के दर्शन कर पुण्य प्राप्त किया था। जब गत सिंहस्थ में यह सफल प्रयोग किया जा चुका हैं तो इस सिहस्थ में उसका लाभ क्यों नही लिया जा सकता ? इसके लिए उस समय के प्रशासक और प्रशासनिक अधिकारियों से इस दर्शन विशेष के अनुभव का लाभ इस सिंहस्थ में भी लिया जाना निश्चित रूप से उपयोगी सिद्ध होगा।
            हालांकि प्रशासन ने इस शिवरात्रि पर महाकाल मंदिर में प्रवेश के लिए दो मार्गो से प्रवेश देने की अच्छी व्यवस्था की थी। इसमें हरसिद्धि मंदिर चैराहे से आरंभ कर बड़े गणपति मंदिर के सामने होते हुए बैरिकैट्स के द्वारा तथा नव निर्मित टनल मार्ग से दर्शनार्थियों को प्रवेश दिया गया था। इससे  एक फायदा यह हुआ कि श्रद्धालुओं को बिना वजह कहीं रूकना नही पड़ा। श्रद्धालुओं का मनोविज्ञान यह कहता हैं कि उन्हें बिना वजह कही पर भी नही रोकते हुए सतत् चलायमान रखा जाये। इससे श्रद्धालु भक्ति और श्रद्धापूर्वक दर्शन का लाभ लेते हैं। बीच- बीच में अनावश्यक रोकने पर वे श्रद्धा की बजाय आक्रोश से भर जाते हैं। और प्रशासनिक व्यवस्था को कोसने लगते हैं। इसका  आसान तरीका यह हैं कि श्रद्धालुओं को थोड़ा ज्यादा भले ही चलना पड़े किंतु उन्हें कहीं अनावश्यक नही रोका जाए।
         आगामी सिंहस्थ महापर्व में कम से कम समय में दर्शनार्थियों को भगवान महाकालेश्वर के सुगमता पूर्वक दर्शन हो इसके लिए आवश्यक हैं कि नंदी गृह में बनाए गए बैरिकैट्स की नौ लाइनों को एक साथ चलाया जाए। प्रत्येक लाइन के सामने एक मानसेवी अधिकारी अथवा पुलिस कर्मचारी हो जो नौ लाइन को लगातार चलायमान रखें । इससे निश्चित रूप से दो घंटे की बजाय करीब आधे घंटे में दर्शन सुविधा प्राप्त होने की पूरी संभावनाएं हैं। जरूरत हैं कलेक्टर एवं मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री कवीन्द्र कियावत को इस दिशा में गंभीरतापूर्वक प्रयास करने की।
 

 

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