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46 बार दी 10 वीं की परीक्षा पर नही हो सके पास, इस बार है आस


कहते हैं कि इंसान जब कुछ ठान ले तो वो हर वो काम कर सकता हैं जो वो करना चाहता हैं। लेकिन जब वह पूरा नही होता तो वह एक जीद बन जाता हैं। और इंसान हर कीमत में उसे हासील करना चाहता हैं ऐसी ही कहानी हैं राजस्थान में बहरोड तहसील के खोहरी गांव निवासी 82 वर्षीय शिवचरण यादव की इन्होनें ऐ संकल्प लिया था कि जब तक 10 वीं पास नही करूंगा शादी नही करूंगा। लेकिन इनकी किस्मत कहें या जीद, 46 बार 10 वीं की परीक्षा देने के बाद भी न तो ये परीक्षा पास कर पाए और न ही इनकी शादी हुई । शिवचरण यादव  10 मार्च से शुरू होने जा रही 10 वीं की परीक्षा  में एक बार फिर बैठने जा रहे हैं।

 "बनूंगा  तो मैट्रिक पास दूल्हा,वरना शादी नहीं करूंगा।" राजस्थान में बहरोड तहसील के खोहरी गांव निवासी 82 वर्षीय शिवचरण यादव वषों पहले खाई इस कसम पर आज भी कायम हैं। शिवचरण 46 बार राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं की परीक्षा दे चुके हैं।

उन्हें उम्मीद है कि इस साल 10 मार्च से शुरू होने वाली बोर्ड परीक्षा में वह 47वीं बार में तो पास हो ही जाएंगे। शिवचरण यादव ने दसवीं पास करने के बाद ही शादी करने की कसम खाई थी। बढती उम्र के साथ भले ही शरीर के विभिन्न अंगों ने साथ देना बंद कर दिया हो, लेकिन उनमें दसवीं पास करने की ललक अभी बरकरार है।
सिलेबस बदलते गए लेकिन नहीं बदला तो इनका दसवीं पास करने का जज्बा। यादव ने लगातार 46 बार फेल होने के बावजूद अब तक हिम्मत नहीं हारी। शिवचरण यादव कहते हैं कि अब शायद ही कोई दुल्हन मिले लेकिन दसवीं पास जरूर करूंगा। शिवचरण की कहानी भी कसम की तरह जुदा है। दसवीं पास करने के लिए उन्होंने अपनी जमीन भी बेच दी और पुरखों का घर छोड दिया। परिवार में कोई नहीं होने और स्थायी आजीविका न होने से गांव में बने हनुमान मंदिर में रहते हैं।

मनरेगा योजना में मजदूरी कर लेते हैं। बीपीएल में होने की वजह से उन्हें राज्य सरकार द्वारा वृद्धावस्था पेंशन में 500 रूपये भी मिलते हैं। शिवचरण ने बताया कि 1995 में वह गणित को छोड सभी विषयों में पास हो गये, लेकिन उसके बाद से अब तक किस्मत उसका इतना साथ भी नहीं दे रही की वह गणित विषय को पास कर सकें।

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