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स्कूली पाठ्यक्रम में ही जरूरी हों, नैतिक और यातायात शिक्षा



                   डाॅ. चन्दर सोनाने
     आए दिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं में से अधिकांश दुर्घटनाएं स्कूली बच्चों और विद्यार्थियों की होती हैं। इसका प्रमुख कारण यह हैं कि उन्हें यातायात के बारे में कोई जानकारी नही होती हैं। इसके लिए जरूरी हैं कि प्राथमिक स्तर से हायर सेकेंडरी स्तर तक सभी  पाठ्यक्रमों में ही यातायात शिक्षा जरूरी कर दी जानी चाहिए, ताकि बच्चों को सुरक्षित यातायात के बारे में जानकारी अपने जीवन की शुरूवात में ही प्राप्त हो सकें । साथ ही उन्हें प्राथमिक सतर से ही नैतिक शिक्षा भी दी जानी चाहिए, ताकि भविष्य में वे एक अच्छे नागरिक बन सकें।
     बच्चों का मनोविज्ञान कहता हैं कि उन्हें अपने जीवन के शुरूवात में ही जो शिक्षा प्राप्त होती हैं, वह आगे जाकर उनके व्यक्तित्व विकास में अहम भूमिका निभाती हैं। इसके लिए जरूरी हैं कि प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी में उनके स्तर के अनुसार ही पाठ्यक्रमों में यातायात और नैतिक शिक्षा का समावेश होना चाहिए। इससे बच्चें यातायात के बारें में मूलभूत जानकारी शुरूवात में ही प्राप्त कर सकेंगे। यह उनके भविष्य में आगे जाकर अत्यंत उपयोगी होगा। बच्चों को पाठ्यक्रम में यह भी बताया जाना आवश्यक हैं कि जहां यातायात का  पालन करने से सुरक्षित यातायात मिलता हैं, वही यातायात के उल्लंघन करने के कारण क्या-क्या परेशानियां उनके सामने आ सकती हैं।
    आज से करीब चार दशक पहले बच्चों को स्कूलों में नैतिक शिक्षा दी जाती थी। इस कारण से  बच्चें जहां अपने बड़ों का आदर सम्मान करना सिखते थे, वहीं बचपन से ही आदर्श नागरिक बनने के लिए उनमें नींव पड़ जाती थी। बाद में धीरे-धीरे शिक्षा से नैतिक शिक्षा को विलोपित करने का अघोषित षड़यंत्र चला जो आज तक जारी हैं। प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री श्री पारस जैन और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों तथा शिक्षाविदों को चाहिए कि वे स्कूलों में प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल और हायरसेकेंडरी स्कूलों के पाठ्यक्रमों में नैतिक शिक्षा को अनिवार्य करें, ताकि बच्चों में नैतिक गुणों का स्वभाविक रूप से समावेश हो सकें और वे एक आदर्श नागरिक बन सकें।
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(42) दिनांक 03.03.2016

        

 

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