25 से 30 हजार रु. किलो बिकती है यह सब्जी, जानें क्यों है इतनी महंगी
उज्जैन। सिंहस्थ के मद्देनजर यहां पर पहुंच रहे साधु-संतों के आसान से लेकर खानपान तक आमजन के लिए कौतुहल का विषय है। वनखंडी महादेव भैरव कुटी आश्रम पर श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के संतश्री भरत गिरि महाराज तलवार वाले बाबा के आश्रम पर संतों को नित नए व्यंजन परोसे जा रहे हैं। इसमें हिमालय में मिलने वाली गुच्छी नामक सब्जी भी शामिल है। गुच्छी की कीमत 25 से 30 हजार रु. किलो है।
बिजली की गड़गड़ाहट व चमक से बर्फ से निकलती है गुच्छी...
सिंहस्थ की तैयारियों को देखने श्री जालोर गिरिजी महाराज हिमाचल वाले बाबा, श्री विवेकगिरिजी महाराज झारखंड, श्री सुखदेव गिरिजी महाराज बिजनौर उप्र उज्जैन पहुंचे। इन्हें आश्रम में खासतौर पर कश्मीर, हिमाचल व हिमालय के ऊंचे हिस्सों में पैदा होने वाली गुच्छी की सब्जी परोसी गई। जालौर गिरि महाराज ने बताया कि गुच्छी पहाड़ों पर बिजली की गड़गड़ाहट व चमक से बर्फ से निकलती है। बाजार में इसकी कीमत 25 से 30 हजार रुपए प्रति किलो है। यह दुर्लभ सब्जी पहाड़ों पर साधु-संत ढूंढकर इकट्ठा करते हैं और ठंड के मौसम में इसका उपयोग करते हैं। इसको बनाने की विधि में ड्रायफ्रूट, सब्जियां, घी इस्तेमाल किया जाता है। संतश्री ने बताया कि 1980 के सिंहस्थ में जूना अखाड़ा के एक महंत ने 45 लाख रुपए की गुच्छी की सब्जी का भंडारा सात दिन तक चलाया था।
नियमित खाने से नहीं होती दिल की बीमारी...
लजीज पकवानों में गिनी जाने वाली औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी के नियमित उपयोग से दिल की बीमारियां नहीं होती हैं। जो हार्ट पेशेंट इस का उपयोग करते हैं उन्हें भी फायदा होता है। गुच्छी का वैज्ञानिक नाम मार्कुला एस्क्यूपलेंटा है, लेकिन इसे हिंदी में स्पंज मशरूम कहा जाता है।
स्थानीय लोग जंगल में डाल लेते हैं डेरा
प्राकृतिक रूप से जंगलों में उगने वाली गुच्छी फरवरी से लेकर अप्रैल के बीच मिलती है। बड़ी-बड़ी कंपनियां और होटल इसे हाथोहाथ खरीद लेते हैं। इस कारण इन इलाकों में रहने वाले लोग सीजन के समय जंगलों में ही डेरा डालकर गुच्छी इकट्ठा करते हैं। इन लोगों से गुच्छी बड़ी कंपनियां 10 से 15 हजार रुपए प्रतिकिलो के हिसाब खरीद लेती हैं, जबकि बाजार में इसकी कीमत 25 से 30 हजार रुपए प्रति किलो है।
विदेशों में अच्छी मांग
गुच्छी की देश ही नहीं विदेशों में भी खासी मांग है। अमरीका, यूरोप, फ्रांस, इटली व स्विट्जरलैंड के लोग कुल्लू की गुच्छी को खूब पसंद करते हैं। इसमें विटामिन-बी और डी के अलावा सी और के प्रचूर मात्रा में होता है।