विशेषाधिकार हनन पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच की 'जंग'
नई दिल्ली। मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी के ख़िलाफ़ विशेषाधिकार हनन नोटिस के मामले पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच ठनी हुई है। मंगलवार को जहां कांग्रेस ने इसे दोनों सदन में उठाने की कोशिश की, वहीं बीजेपी लोकसभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया तो राज्यसभा में केसी त्यागी के ख़िलाफ़ विशेषाधिकार हनन का नोटिस लेकर आ गई।
मंगलवार को लोकसभा और राज्यसभा में AIADMK सांसदों का हंगामा होता रहा। वे केन्द्र सरकार से पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। इस शोरगुल में स्मृति ईरानी के ख़िलाफ़ कांग्रेस का विशेषाधिकार हनन का नोटिस कहीं दब गया। राज्यसभा में ग़ुलाम नबी आज़ाद विशेषाधिकार हनन नोटिस के साथ खड़े हुए, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। राज्यसभा दिनभर के लिए स्थगित होने के बाद कांग्रेस सांसद हनुमंथा राव ने कहा कि AIADMK ने बीजेपी के साथ मिलकर ईरानी को बचाने के लिए ये सब किया है।
इस बीच बीजेपी ने रोहित वेमुला मामले पर ही लोकसभा में दिए गए कांग्रेसी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाषण को आधार बनाकर उनके ख़िलाफ़ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दे दिया। लोकसभा में श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मेरा नाम लेकर जो कुछ कहा उससे मेरी छवि को नुकसान पहुंचा है।
इस बीच सूत्रों के मुताबिक़, लोकसभा स्पीकर ने कांग्रेस के विशेषाधिकार हनन नोटिस पर स्मृति ईरानी से अपना पक्ष रखने को कहा है। उम्मीद है इसी तरह से वो ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी अपनी पक्ष रखने को कहेंगी। इन मामलों को विशेषाधिकार हनन समिति को सौंपा जाए या नहीं इसका फ़ैसला इसके बाद ही लिया जाएगा।
उधर, बीजेपी सूत्रों का कहना है कि स्मृति ईरानी ने सदन में रोहित वेमुला मुद्दे पर जो कुछ कहा वो हैदराबाद पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर कहा, जबकि महिषासुर मामले पर विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के आधार पर। ऐसे में ग़लतबयानी या सदन को गुमराह करने का कोई सवाल ही नहीं है। ईरानी का बचाव करते हुए राज्यसभा में संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कांग्रेस पर निशाना साधा कि स्मृति ईरानी ने आपको करारा जवाब दे दिया है, इसलिए आप लोग ये नोटिस लेकर आए है।
सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच विशेषाधिकार हनन की ये लड़ाई बताती है कि दोनों पक्ष की किस तरह से एक दूसरे पर आक्रामक हैं।