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मां नहीं चाहती थी 19 साल की उम्र में बेटी बने साध्वी, पर नहीं मानी बात


जालंधर। पंजाब के जालंधर में जैन भगवती दीक्षा की लेकर 19 की साल की श्रुति जैन महासाध्वी समृद्धि बन गई। अब वह जीवन भर नंगे पांव पद विहार करेंगी। एसएस जैन सभा की तरफ से राजसी ठाठ के रूप में वैरागन श्रुति जैन की दीक्षा से पहले शोभायात्रा निकाली। 

 - वैरागन को रथ पर सवार कर श्री पार्वती जैन स्कूल में दीक्षा स्थल तक लाया गया।

- समारोह का आगाज नवकार मंत्र के उच्चारण व सभा के प्रधान राजेश जैन ने ध्वजारोहण करके किया।

- महासाध्वी श्री सुलक्षणा महाराज ने उन्हें दीक्षा दी।

- उनके ठाणे में तृप्ता महाराज, अनिता महाराज, कमलेश महाराज, निष्हा महाराज, पूजा महाराज हैं।

- इसलिए उन्हें ठाणे-6 कहा जाता था। अब महासाध्वी समृद्धि (श्रुति जैन) के आने से ठाणा-7 बन गया।

 

23 किलोमीटर नंगे पांव किया था पद विहार

जैन नवयुवती डांडिया मंडल जम्मू की सदस्याओं ने कोरियोग्राफी में श्रुति के सामान्य जीवन से जैन दीक्षा तक के सफर की झलकियां दिखाई। एक बार महा साध्वियां श्रुति के घर आहार लेने आई थी। तब वह एक कोने पर रो रही थी। साध्वियों ने उसे चुप करवाया और उसके पिता से अनुमति लेकर वह साथ ले गई।

 

10वीं पास करने के बाद ली साध्वियों की शरण

रोजाना साध्वियों की शरण में जाना और ध्यान लगाने में रूचि बनी। एक दिन माता-पिता से कहा कि वह संयम लेकर साध्वी बनना चाहती है। मां ने मना भी किया लेकिन वह नहीं मानी। अनुमति मिली तो दसवीं कक्षा पास करने के बाद मां उसे महा साध्वियों की शरण में मुकेरियां छोड़ आई।

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