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पिता ने कार बेचकर खेलना सिखाया, अब पाकिस्तानी भी हैं इनके फैन


जयपुर. खिलाड़ी में जोश, जुनून और जज्बा हो तो उसे सफलता की सीढ़ियां चढ़ने सेे कोई नहीं रोक सकता। ऐसा ही जोश, जुनून और जज्बा नजर आया राजस्थान के तीरंदाज रजत चौहान में। दक्षिण एशियाई खेलों में दो स्वर्ण पदक जीत कर रात करीब दो बजे जयपुर पहुंचे और सुबह-सवेरे ही स्टेडियम का रुख कर लिया। 

- रजत चौहान के पिता ने कभी अपनी कार बेचकर उन्हें तीरंदाजी सिखाने के पैसे इकट्ठे किए थे।

- वहीं मां ने भी अपने जेवर गिरवी रख दिए थे।

- अब न केवल पिता को नई कार लेकर दी बल्कि मां के जेवर भी छुड़वाए और उनके लिए कई नए जेवर भी बनवाए।

- पाकिस्तानी तीरंदाज भी रजत के मुरीद हैं। सैफ खेलों के दौरान पाकिस्तानी तीरंदाजों से रजत की मुलाकात हुई।

- एक तीरंदाज ने बताया कि वह मेरे तीरंदाजी के वीडियो भी यूट्यूब पर देखता रहता है।

- वे बताते हैं की इन वीडियो से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिलता है।

- रजत ने बताया, ‘वे भारत आकर काफी खुश थे। कहते थे कि ऐसा लग ही नहीं रहा कि भारत आए हैं।

- उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे लाहौर से कराची आ गए। सैफ खेलों के दौरान काफी प्यार मिला।

 

इसलिए नहीं कटवाते बाल

रजत के बाल काफी लंबे हैं। वे चोटी बनाते हैं। कहते हैं, मेरे ताऊजी काफी बीमार हैं उन्हें काफी खतरनाक बीमारी है। मैंने कसम खाई थी कि जब तक मेरे ताऊजी ठीक नहीं हो जाते तब तक मैं बाल नहीं कटवाऊंगा। बाल उतरवाने के लिए मैं तिरुपति बालाजी जाऊंगा।

 

करीब 35 लाख इनामी राशि बकाया

रजत बताते हैं कि मेरी करीब 35 लाख रुपये की इनामी राशि अभी भी राजस्थान सरकार पर बकाया है। यह राशि 2013 से लेकर अब तक जीते कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदकों की है। मैंने इस बारे में कई बार लिख कर भी दिया है। आज भी मैं राजस्थान स्पोर्ट्स काउंसिल के अध्यक्ष जेसी महांति से मिला तो उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि सारा बकाया जल्द ही मिल जाएगा।


इस साल खेलने हैं तीन वर्ल्ड कप

रजत बताते हैं कि इस साल उन्हें तीन वर्ल्ड कप और एक वर्ल्ड कप फाइनल खेलना है। इनकी तैयारियों के लिए भी पैसों की जरूरत पड़ेगी। महांति जी नेे इसके लिए भी पैसे की व्यवस्था कराने की बात कही है और पूरा प्रोग्राम मुझसे मांगा है।

 

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