सियाचिन में मौत को मात देने वाले हनुमंतप्पा हुए शहीद, ली अंतिम सांस
सियाचिन में छह दिनों तक भारी बर्फ के नीचे दबे रहेलांसनायक हनुमंतप्पा की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। डॉक्टरों के मुताबिक, उनकी किडनी और लिवर ने काम करना बंद कर दिया है। उनकी हालत बेहद गंभीर है।
डॉक्टरों की रिपोर्ट के मुताबिक, हनुमंतप्पा के ब्रेन में ऑक्सीजन की कमी है और दोनों फेफड़े निमोनिया की चपेट में हैं। उनकी किडनी भी काम नहीं कर रही है। एम्स केडॉक्टरों की टीम भी उनके इलाज में जुटी है।
दो लोगों ने की किडनी दान करने की पेशकश
जांबाज लांसनायक को बचाने के लिए यूपी के दो लोग आगे आए हैं. लखीमपुर खीरी जिले की एक महिला और एक रिटायर्ड सीआईएसएफ हेड कॉन्स्टेबल प्रेम स्वरूप ने अपनी किडनी देने की पेशकश की है। सरिता नाम की इस महिला ने कहा, 'जब देश के लिए एक जवान अपनी जान दे सकता है तो क्या मैं अपनी किडनी भी नहीं दे सकती।'
बर्फ के 35 फीट नीचे मिले थे हनुमंतप्पा
सियाचिन में देश की हिफाजत के लिए तैनात लांसनायक हनुमंतप्पा 35 फीट मोटी बर्फ की परत के नीचे करीब छह दिन तक दबे रहे। सेना के रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान वह जीवित अवस्था में मिले थे। उनकी हालत बेहद खराब है. दिल्ली के आर.आर. अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।
देशभर में हनुमंतप्पा के लिए प्रार्थना
लांसनायक हनुमंतप्पा की सलामती और उनके जल्द ठीक होने की कामना के लिए देश भर में लोग दुआएं कर रहे हैं. कहीं, लोग कैंडल लेकर प्रार्थना कर रहे हैं तो कहीं उनकी सलामती के लिए यज्ञ और महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जा रहा है। हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की यज्ञशाला में हनुमंतप्पा के स्वास्थ्य के लाभ के लिए छात्रों और शिक्षकों ने यज्ञ किया। इस अवसर पर उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी किया और ईश्वर से उनको जल्द से जल्द स्वस्थ्य करने की प्रार्थना की।