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हवा में झूल रहा है यह रहस्यमय मंदिर



हम आपको चीन के एक ऐसे ही मंदिर से परिचित करवाने जा रहे हैं जो अपने आप में बहुत विशिष्ट है। आज तक आपने जितने भी मंदिर देखे हैं वे सभी जमीन या फिर किसी सतह पर टिके होते हैं, आपको यकीन नहीं हुआ लेकिन जिस मंदिर की हम यहां बात कर रहे हैं उस मंदिर की संरचना को देखें तो स्पष्ट दिखाई देता है कि चीन का यह प्रसिद्ध मंदिर हवा में अटका हुआ है।
हिन्दू, इस्लाम, सिख, ईसाई, दुनिया के प्राचीनतम धर्मों में से एक है, इसलिए यह माना जाता है कि इनसे जुड़े धार्मिक स्थल भी अपना विशेष महत्व अवश्य रखते हैं। सनातन धर्म भारत का प्राचीनतम धर्म है इसलिए यहां ऐसे कई मंदिर हैं, जो पुराणों की कहानियां कहते हैं।
कई ऐसे मंदिर हैं जो उस समय किसी विशेष देवी-देवताओं को तो समर्पित किए ही गए थे लेकिन कहीं ना कहीं आज भी ये माना जाता है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी देवता उस मंदिर में वास करते हैं, वहां कई तरह के चमत्कार देखने की बात की जाती है।
आज हम आपको चीन के एक ऐसे ही मंदिर से परिचित करवाने जा रहे हैं जो अपने आप में बहुत विशिष्ट है। वहां कोई चमत्कार होता है या नहीं, ये तो नहीं पता लेकिन वह मंदिर स्वयं किसी चमत्कार से कम नहीं है।
आज तक आपने जितने भी मंदिर देखे हैं वे सभी जमीन या फिर किसी सतह पर टिके होते हैं, आपको यकीन नहीं हुआ लेकिन जिस मंदिर की हम यहां बात कर रहे हैं उस मंदिर की संरचना को देखें तो स्पष्ट दिखाई देता है कि चीन का यह प्रसिद्ध मंदिर हवा में अटका हुआ है।
इस मंदिर को सीधी खड़ी चट्टान पर कुछ इस तरह से बनाया गया है कि मानो वह किसी तरह बिना सहारे के हवा में अटका हुआ है। अपनी इस खूबी की वजह से यह मंदिर पूरे चीन में मशहूर है। इसके अलावा चीन जाने वाला हर पर्यटक इस मंदिर को देखने की इच्छा रखता है।
चीन के शानसी के ताथुंग प्रांत के निकट बना यह मंदिर अनुमान के अनुसार आज से करीब 1400 वर्ष पुराना है। यह बौद्ध, ताओ और कंफ्यूसियस धर्मों की मिश्रित शैली से बना एकमात्र संरक्षित मंदिर है।
इस मंदिर का दृश्य बेहद मनोरम है, जो बेहद घनी पहाड़ी के बीच बना हुआ है। इस मंदिर के दोनों ओर 100 मीटर ऊंची चट्टानें सीधी खड़ी हैं। इस मंदिर का निर्माण इन्हीं चट्टानों में से एक चट्टान के 50 मीटर ऊपर बनाया हुआ है, जिसकी वजह से यह आभास होता है कि यह मंदिर हवा में लटका हुआ है।
चीन का यह अद्भुत मंदिर बहुमंजिला होने के साथ-साथ इसमें हुई नक्काशी भी दर्शनीय है। यह मंदिर कुछ लकड़ियों के सहारे टिका है। मंदिर के ऊपर जो चट्टान है उसका एक टुकड़ा बाहर की ओर निकला हुआ है, देखने में ऐसा लगता है मानो यह अभी पहाड़ से खिसककर मंदिर पर गिर जाएगा।
हवा में अटके इस मंदिर में 40 बड़े भवन और मंदिर हैं, जिन्हें चट्टान में लकड़ी के फट्टों से बांधा गया है। मंदिर के भीतर जरा सी लापरवाही जान के लिए खतरा बन सकती है। मंदिर के भीतर चलने से लकड़ी आवाज करने लगती है, लेकिन अभी तक किसी दुर्घटना की खबर नहीं आई।
यह मंदिर जमीन से 50 मीटर ऊपर है जिसकी वजह से यहां आने वाली बाढ़ आदि से भी हमेशा बचाव रहता है। इसके अलावा चारों ओर से पहाड़ी से घिरे होने की वजह से यहां धूप भी महसूस नहीं होती।
कहा जाता है कि भरी दोपहर और गर्मी के मौसम में भी इस मंदिर पर करीब 3 घंटे की धूप ही रहती है। इस कारण यह मंदिर अभी तक सुरक्षित है और 1400 साल बाद भी इसकी संरचना पर किसी तरह का कोई दुष्प्रभाव नहीं हुआ।
चीन के इस मंदिर का नजारा जितना खौफनाक है, उतना ही ज्यादा लोगों के आकर्षण का केन्द्र भी बना हुआ है। यह मंदिर विशेष प्रकार की मजबूत और लचीली लकड़ियों पर खड़ा है। चट्टान के भीतर से भी इस मंदिर को सहारा मिलता है।
अगर कभी आपको चीन भ्रमण का मौका मिले तो इस मंदिर को देखने जरूर जाइएगा। आपको लगेगा कि जैसे हवा का मामूली का झोंका भी इस मंदिर को गिरा देगा लेकिन 1400 सालों में आंधी, तूफान आदि का ना जाने कितनी बार सामना करने वाला यह मंदिर आज भी बड़ी शान से खड़ा है।

 

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