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बजट सत्र से पूर्व आज राज्य के वित्तमंत्रियों से मुलाकात करेंगे जेटली


नई दिल्ली : आम बजट से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली आज सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बजट के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए बैठक करेंगे। इसके साथ ही वित्त मंत्री राज्यसभा में अटके जीएसटी बिल पर भी परिचर्चा करेंगे। संभावना है कि इस मीटिंग में राज्यों के वित्त मंत्री अपने राज्यों के लिए ज्यादा से ज्यादा फंड की मांग करेंगे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद का बजट सत्र 23 फरवरी से आहूत किया है। पहले दिन मुखर्जी दोनों सदनों के संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे। उसके अगले दिन से संसद का रोजमर्रा का काम शुरू होगा। लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों ने अलग-अलग बयानों में बताया कि बजट सत्र का समापन 13 मई को होगा।

संसद में रेल बजट 25 फरवरी को, बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण 26 फरवरी को और आम बजट 29 फरवरी को पेश किया जाएगा. आने वाले आम बजट में कृषि क्षेत्र के लिये आवंटन बढाने के साथ साथ सातवें वेतन आयोग और समान रैंक समान पेंशन (ओआरओपी) को लागू करने के लिये 1.10 लाख करोड रुपये के प्रावधान की जरुरत होगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उक्त बातें कहीं. वित्त मंत्रालय से संबद्ध सलाहकार समिति की बैठक को संबोधित करते हुये जेटली ने शुक्रवार को कहा कि भारत में और तेजी गति से आगे बढने की क्षमता है। उन्होंने चालू वित्त वर्ष के दौरान वित्तीय घाटे के तय लक्ष्य के दायरे में रहने के बारे में विश्वास व्यक्त किया।

जेटली ने कहा, ‘वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान केंद्र सरकार को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों और समान रैंक समान पेंशन योजना को लागू करने के लिये 1.10 लाख करोड रुपये का प्रावधान करना होगा।' उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दो साल के दौरान जरुरत से कमजोर मानसून रहने की वजह से कृषि  को काफी नुकसान पहुंचा है. इसकी वजह से वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान राज्यों को सूखा राहत सहायता के तौर पर अब तक की सबसे ज्यादा सहायता उपलब्ध करायी गयी है।

जेटली ने कहा, ‘कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढाने के लिये कृषि क्षेत्र को और जयादा प्रोत्साहन दिये जायेंगे।' उन्होंने कहा कि भारत लगातार दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है, लेकिन इसमें और ज्यादा तेजी से बढने की क्षमता विद्यमान है। जेटली ने कहा, ‘विश्व अर्थव्यवस्था अनिश्चित और कमजोर स्थिति के दौर से गुजर रही है. इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिंस और तेल के दाम नीचे हैं. भारत के लिये यह वृहद आर्थिक स्थिति अनुकूल साबित हुई है।'

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